मजाल है जो इस घर में 2 मिनट की भी सांस ले ले, खुद तो महारानियां खा पी कर अपने-अपने कमरों में सो गई है और यहां बच्चों को छोड़ दिया है मेरी नींद हराम करने के लिए, जाओ बच्चों बाहर जाकर खेलो थोड़ी देर, अभी दादी आराम करेगी, लेकिन दादी बाहर तो बहुत धूप हो रही है हम कैसे खेलेंगे, 6 वर्ष के मन्नू ने कहा! तभी 4 वर्ष की खुशी बोल पड़ी..
दादी.. कुछ अच्छा सा खाने को बना दो ना बहुत भूख लग रही है, क्यों.. तुम्हारी मां ने नहीं बनाया खाने को कुछ भी? स्कूल से आए तुम्हें 2 घंटे हो गए बस महारानियां जैसे तैसे खाना थेप के रख देती हैं और सोचती है दादी है तो सही.. कर करके खिला देगी, बस इसी काम के लिए रह गई हूं
मैं तो, 2 मिनट भी कोई आदमी शांति से नहीं रह सकता इस घर में, बेटे जाते हैं सुबह के 10:00 बजे और बहूऔ को दिन भर सोना और घूमना फिरना, कभी किटी पार्टी के बहाने कभी शॉपिंग के बहाने और कुछ नहीं तो कभी रिश्तेदारों से मिलने के बहाने, अरे खूब जाओ ना.. पर कम से कम अपने बच्चों को तो साथ में ले जाओ यहां क्यों मेरी छाती पर छोड़ जाती है
इनको, और फिर शाम को आते ही हुकुम छोड़ देते हैं.. मां आज बहुत ज्यादा थक गए हैं अपनी पसंद का ही कुछ बना लीजिएगा, या फिर आज खाने में यह बना लेना, और बच्चे भी.. दादी… आज यह बना देना, जैसे मां नहीं नौकरानी हो, जाओ जाकर अपनी-अपनी मां को जगाओ, उन्हीं से बनवाना कुछ बनवाओ जो!
शारदा जी के दो बेटे और दो बहुएं हैं बड़ी वाली बहू के पास में 6 वर्ष का मनन है और छोटी बहू के पास 4 साल की खुशी !वैसे तो दादी बच्चों से बहुत लगाव रखती है, किंतु दिन में दादी को अपनी नींद बहुत प्यारी है उस वक्त तो अगर यमराज जी भी आ जाए तो दादी कहेगी.. अभी 2 घंटे बाद आना पहले नींद पूरी कर लूं ,
जब दादी की नींद पूरी नहीं होती तो वह दिन भर चिड़चिड़ाती सी रहती है, बच्चों ने जाकर अपनी मां को जैसे ही जगाया उधर उनकी मम्मीया चिल्ला उठी.. स्कूल से आए अभी 2 घंटे भी नहीं हुए और तुम्हारे भूख फिर से जागृत हो गई, अरे भाई तुम बच्चे हो या शैतान हो कितनी अशांति मचा रखी है तुमने, अभी-अभी तो खाना खिलाया था,
तब जाकर सोने आए हैं पर तुम्हें तो जैसे ही मम्मी सोएंगी इस समय सारे काम याद आते हैं ,किसी को होमवर्क करना है, किसी को खेलना है, किसी को पढ़ना है किसी को खाना खाना है, किसी को सुसु पॉटी जाना है, अब हम 2 घंटे भी ना सोए, सुबह से शाम तक 24 घंटे लगे रहते हैं, अपनी दादी से नहीं कह सकते कुछ भी जाकर, जो दिन भर सिर्फ आराम करती हैं
अरे.. और कुछ नहीं तो बच्चों को तो संभाल ही सकती है दादी, घर में सास बहू से दुखी ,बहुएं सासू मां से दुखी, करें तो क्या करें? एक दिन इस समस्या का समाधान उन सब ने मिलकर ढूंढ लिया, शारदा जी ने अपनी बहू से कहा… देखो बेटा.. बच्चों के आने का तो हमेशा एक ही समय होता है और इस समय भूख भी लगती है और बच्चों का क्या बच्चे तो कभी भी किसी भी चीज की जिद्दी कर बैठते हैं, अब हम उन्हें सारा दिन चिल्लाएंगे तो घर में अशांति तो फैलेगी ही,
इसके लिए सबसे अच्छा उपाय यह है कि बच्चे जब 2:00 बजे आते हैं उससे पहले तुम अपनी नींद पूरी कर लो, तब तक मैं थोड़ा बहुत घर का काम देख लूंगी और 2:00 बजे के बाद में तुम दोनों अपने-अपने बच्चों का देख लो, बेटा बच्चों पर हर समय चिल्लाना भी सही बात नहीं है, बच्चे फिर किसी का भी मान सम्मान आदर करना नहीं सीखेंगे,
अभी तो बच्चे कोमल कलियां हैं इन्हें जैसे हम बना देंगे वैसे ही बन जाएंगे, अतः तुम बच्चों से भी प्यार से बातें किया करो! दो-चार दिन ऐसा ही हुआ, शारदा जी खूब आराम से दिनभर सोती रही पर तीन-चार दिन में उन्हें यह शांति बोझ लगने लग गई, क्योंकि अब दिन भर बच्चों का शोर नहीं आता था जिसकी उन्हें आदत भी हो गई थी,
उनकी मां बच्चों को अपने कमरे में ले जाकर बैठा देती थी, तब शारदा जी ने कहा… बेटा घर तो बच्चों की शैतानियों से ही गुलजार रहता है इनके शोरगुल और शैतानियां अशांति नहीं बल्कि प्रेम दर्शाती है और भाई मुझे तो इन बच्चों की खामोशी वाली शांति से तो इनकी शैतानियां वाली अशांति ही भली,
अब से बच्चों तुम खूब शैतानियां करो, उधम करो, मैं तुम्हें बिल्कुल भी नहीं डांटूंगी, मेरे पीछे जब दादी दादी कहकर दिनभर घूमते हैं, दुनिया का सबसे बड़ा सुख होता है वह, तुम नहीं जानती मुझे कितना सुकून मिलता है और जब बहू ने भी सुना तो उन्होंने भी कहा.. हां मांजी ..आप सही कह रही हैं, अब हम भी पूरा समय का सदुपयोग सही ढंग से करेंगे ताकि आपकी नींद भी खराब ना हो और आपके बच्चों की ‘अशांति’ भी आपको मिल जाए और ऐसा कहकर तीनों मुस्कुराने लगी!
हेमलता गुप्ता स्वरचित
कहानी प्रतियोगिता #अशांति