Moral stories in hindi : सच हीं कहा गया है घर से प्रेमी के साथ भागी हुई लड़कियां समाज की परिवार की आस पड़ोस की बाकी लड़कियों की जिंदगी शक और संशय में डाल देती है.. समाज परिवार सब निर्दोष होते हुए भी उन्हें शक की दृष्टि से देखता है … घर वाले भी मानसिक और सामाजिक दवाब के शिकार हो जाते हैं..
बबिता और सविता दोनो बहनों में चार साल का फासला था.. कट्टर ठाकुर परिवार की बेटियां थी.. बबिता ग्रेजुएशन कर रही थी और सविता दसवीं में थी.. गांव में दसवीं तक हीं पढ़ाई की सुविधा थी.. बबिता को शहर के कॉलेज में जाने के लिए ठाकुर साहब यानी उसके पिताजी अपनी गाड़ी में अपने भतीजे के साथ भेजते थे..
बबिता को एक लड़के से प्रेम हो गया.. ऐसे पहरेदारी के बाद भी.. ग्रेजुएशन के फाइनल एग्जाम के दिन उस लड़के के साथ भाग गई.. अपने घर का माहौल देखते हुए कोई उम्मीद नहीं थी.. बबिता की शादी ठाकुर साहब अपने दोस्त के बेटे से तीन साल पहले तय कर दी थी.. लड़का भी पढ़ाई कर रहा था इसलिए तय हुआ था बबिता के फाइनल एग्जाम के बाद शादी हो जायेगी.. बबिता को वो लड़का बिल्कुल पसंद नहीं था पर बोलने की इजाजत कहां थी.
और ये लड़का नितिन बबिता के आज दोस्त का दूर का देवर लगता था.. इंटर से हीं दोनो का आपस में परिचय था.. लड़का आर्मी में सेकेंड लेफ्टिनेंट के पोस्ट पर जम्मू में पोस्टेड था और दूसरी जाति का था. कोर्ट मैरिज कर अपने साथ बबिता को लेकर अगली फ्लाइट से हीं निकल गया..ठाकुर साहब के गुर्गे बंदूक लेकर हर जगह खोजने के लिए गए पर.. घर में चूल्हा नहीं जला.. आस पड़ोस पूरे गांव में धीरे धीरे बात फैलने लगी..
ठाकुर साहब जहां बबिता की शादी पहले तय हुई थी वहां गए.. हाथ जोड़कर माफी मांगी.. फिर तय हुआ सविता की शादी इस लड़के से हो जायेगी..
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सविता का स्कूल जाना बंद कर दिया गया.. घर में एक स्कूल की महिला टीचर आकार पढ़ाने लगी.. हर गतिविधि पर नजर रखी जाने लगी… हंसना बोलना भी शंका की वजह बन जाती.लैंड लाइन फोन का कनेक्शन बाहर बैठक में कर दिया गया..सविता के बोर्ड के इम्तिहान के बाद उसकी शादी के दिन तय हो गए थे … मासूम सविता बिना किसी अपराध के अपराधी बन गई थी.. अम्मा बाबूजी सभी शक की नजर से देखते थे . बड़ा भाई विजय भी बिना बात झिड़क देता सविता को.. घर में कैद होकर रह गई थी बेचारी बच्ची..
इम्तिहान खत्म होते हीं सविता की शादी हो गई.. ससुराल में उसके आने के पहले हीं उसकी बहन के करतूत सबको पता था..
उसका पति सुरेश दो भाई था.. छोटा भाई एलएलबी कर रहा था.. हंसमुख चंचल दिल का साफ समीर सविता से बाहर जाते समय पूछता भाभी कुछ चाहिए कोई जरूरत हो तो बोलिए..
सुरेश बहुत क्रोधी और शक्की मिजाज का था, सविता से उम्र में लगभग दस साल बड़ा.. सास भी कड़े स्वभाव की थी.. कम उम्र की सविता को ससुराल में एक एक पल काटना मुश्किल हो रहा था..
एक समीर हीं था जो उसके दर्द को समझता था.. समीर से बात करके सविता का दर्द थोड़ा कम हो जाता.. सास जब भी सविता को समीर से बात करते देखती सशंकित हो जाती और सुरेश के कान भरती.. अब बेवजह सुरेश सविता को पीट देता.. ये अब आए दिन होते रहता..
एक दिन सुरेश सविता को दीवाल में धक्का दे दिया और कहा तू उसी कमिनी की बहन है अलग कैसे होगी.. समीर बाहर से आया तो माथा से खून निकलते देख कॉटन से साफ करने लगा और कहा भैया से मैं आज बात करूंगा ये अपराध है तभी अचानक सुरेश आ गया और सास भी आ गई.. सुरेश जोर जोर से चिल्लाने लगा मेरा शक सही निकला , देखो दोनो के बीच चक्कर चल रहा है.. सास भी चिल्लाने लगी मुझे पहले से ही शक था मेरे भोले भाले बेटे को फंसा ली है..
अपनी छिनाल बहन की तरह मेरे समीर को लेकर भाग जायेगी.. सुरेश अचानक हिंसक हो गया और एक लात सविता के पेट पर मारा.. सविता दो महीने की गर्भवती थी.. रक्तस्राव होने लगा.. समीर जल्दी से डॉक्टर के पास ले गया.. दो दिन जिंदगी और मौत से लड़ने के बाद सविता ने अत्यधिक रक्तस्राव के कारण दम तोड दिया.. समीर ने पुलिस स्टेशन में जाकर अपनी मां और भाई के खिलाफ रपट दर्ज कराई.. कोर्ट में भी बयान दिया.. मां को सात साल और सुरेश को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई..
शक ने मासूम निर्दोष सविता को कितनी बड़ी सजा दी..
#स्वलिखित सर्वाधिकार सुरक्षित #
वीणा सिंह