शक का कीड़ा-मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

बस दीदी बस•• बहुत हो गया ••अब इतनी भी बेज्जती मत करो मेरी•••! मैं तो यहां सिर्फ तुम्हारे लिए आई  और तुमने मेरे कैरेक्टर पर ही सवाल खड़ा कर दिया •••?

मममममम•• मेरा•• मतलब कहने का ये नहीं था छोटी••!

 कहते हुए रजनी के हाथ पैर ठंडे हो गए। वह अंदर ही अंदर कांपने लगी ।

 लांछना लगाने के पहले एक बार सोच तो लिया होता  कि••  अगर मुझे पता चलेगा तो मुझपे  क्या बीतेगी••• ? क्या मैं इतनी बुरी हूं•• कि मजाक में बोली गई बातों से आप इतनी इनसिक्योर हो गई••? मजाक करना तो मेरी बचपन की आदत थी ये बात आप भी जानती हैं•• और कौन सी साली अपने जीजा जी से मजाक नहीं करती ••?यह रिश्ता ही ऐसा होता है दीदी••!

 हंसी मजाक••• जिंदगी का एक रंग है•• हमेशा आप मुंह बनाकर नहीं बैठ सकती! जिंदगी को रंग-बिरंगी बनाने के लिए हंसना और हंसाना भी पड़ता है•••कभी-कभी तो अपना भी मजाक उड़ाना पड़ता है••• ! बस-बस••• अब कितना शर्मिंदा करेगी मुझे•••? माफ कर दे•••! माफी जैसी कोई बात ही नहीं•• आपने अपनी बहन पर शक किया••• घिन••• आती है मुझे ऐसी बात सोच के•••

 मुझसे गलती हो गई•• मैं तुझे जब भी राजेश जी  के साथ  हंसते-बोलते देखती तो मुझे अंदर ही अंदर जलन महसूस होने लगता•••ऐसा लगता जैसे तू मुझे उनसे अलग कर रही है••!

कैसी बात करती है••••जब जीजाजी एयरपोर्ट पर मुझे लेने आए तभी उन्होंने मुझसे कहा कि पारो क्या मैं तुझे परू बुला सकता हूं•••? तू एकदम मेरी छोटी बहन परी जैसी दिखती है••• जो आज से 4 साल पहले कोरोना में गुजर गई••• और आप की सोच•••!

खैर— मैं आपको बताने ही आई थी कि कल मेरी नई जॉब की कॉलिंग लेटर आ गई है••• 5 दिन के अंदर ही मुझे ज्वाइन करनी होगी•• अब आपकी तबीयत भी ठीक है तो सोचती हूं••• परसों की टिकट बुक कर लूं•••!

अब रजनी का रोते-रोते बुरा हाल था वह फूट-फूट के रोने लगी और उसके मुंह से एक ही वाक्य निकल रहा था कि माफ कर दे••• छोटी माफ कर दे••••!

रजनी और पारो के पिता सदानंद जी एक सरकारी कार्यालय में ऊंचे पद पर विराजमान थे। पत्नी सविता जी बहुत ही कर्मठ महिला थी।  हंसता-खेलता परिवार को न जाने किसकी नजर लग गई एक दिन गंभीर बीमारी से सदानंद जी की मृत्यु हो गई सविता जी के सर पर•• मानो बिजली टूट पड़ी हो•• कुछ साल बाद•• बड़े प्रयास से सदानंद जी के दफ्तर में ही उन्हें किरानी की नौकरी लग गई। अब उन्हें घर और ऑफिस दोनों में  सामंजस्य स्थापित करके चलना पड़ता••• । समय का चक्र चलता गया अब बच्चियों भी बड़ी होकर अपने-अपने पैरों पर खड़ी हो गईं••• ।

अरे सविता••• कल ऑफिस में फैमिली पार्टी रखी गई है•• बच्चों को लेकर जरूर आना•••! उनके बॉस प्रमोद जी इनविटेशन कार्ड देते हुए बोले ।

 “थैंक यू सो मच सर” जरूर लेकर आऊंगी– !

पार्टी के दिन:-

सविता••! तुम्हारी बड़ी बेटी रजनी

 क्या करती है—?

 सर वह एम टेक करके जॉब कर रही है—!

प्रमोद जी को रजनी बहुत पसंद आई उन्होंने अपने बेटे राजेश के लिए उसका हाथ मांग लिया।

देखो फोटो•••! सविता जी दोनों बेटियों को फोटो दिखाते हुए बोली ।

लड़का बहुत सुंदर है ना—? मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करता है•• मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा है कि•• हमारी रजनी के लिए बैठे-बिठाये अच्छा रिश्ता मिल गया! मैने अब तक तो  इसकी शादी के बारे में सोचा ही नहीं••• सब भगवान की कृपा है••! सविता जी खुश होते हुए बोली ।

सचमुच••• लड़का तो बहुत सुंदर है दीदी•••! मां—- मेरे लिए भी दीदी जैसा ही लड़का ढूंढना••” मैं तो कहती हूं दीदी आप शादी-वादी रहने दो मैं ही कर लेती हूं शादी क्यों मां••?

चल पगली•••! इसकी मजाक वाली आदत नहीं जाएगी—!

रजनी•• तुझे पसंद है ना बेटा••? अगर नहीं पसंद या किसी और को पसंद करती है तो•• मुझे बता दे•• मैं मां हूं तेरी••• पापा, के जाने के बाद तुम दोनों के सिवा मेरा कौन है जिसमें तुम दोनों खुश रहोगी वही मेरा फैसला होगा••! सविता जी थोड़ी भावुक सी हो गई।

 मां आपने जो भी फैसला किया है•• या करते आई हैं••  हम लोगों को कभी पछताना नहीं पड़ा और मुझे अब भी आप पर पूरा यकीन है•••! शरमाते हुए रजनी मां के गले लग गई ।

अब शादी की तैयारी पूरी जोर- सोर से चलने लगी सभी अपने-अपने काम में व्यस्त थे। सविता जी के सर पर  जिम्मेदारियों का बोझ था जिनको वह बखूबी निभा रही थी•• साथ में पारो और उसकी सहेलियां सभी ने मिलकर ,शादी का आधा भार संभाल रखा था ।

 एक दिन शाम में:-

मां•• यह बड़ा दिल किनके पास होता है••? पारो सविता जी से पूछी ।तभी रजनी तपाक से जवाब देती है सुना है बड़ा दिल सिर्फ मां के पास ही होता है••• क्योंकि ••अगर उनकी संताने कितनी भी गलतियां कर ले परंतु एक मां ही होती है जो उन गलतियों को क्षमा करती हैं •••!

पर बेटा•••! कभी-कभी हम सब में भी बड़ा दिल छुपा होता है जब जैसी परिस्थितियां बनती हैं आदमी वैसा फैसला लेता है••!सविता जी हंसते हुए बोली। अच्छा फिलहाल तो मुझे माफ कर देना क्योंकि  मुझसे एक गलती हो गई है••!

 वह क्या••?

 अरे अब बता भी दे मां तुझे माफ कर देंगी••रजनी बोली ।

आपने दीदी के लिए जो ब्लाउज और पेटीकोट सिलवाने के लिए दिया था वह तो मैं भूल गई ••• आज-कल में सोचते रह गई और कोई दूसरा ही काम आन पड़ा•••!

  अब शादी में कुछ ही दिन बचे हैं और तूने अब तक यह काम नहीं किया•••! चल मेरे साथ•••! 

सविता जी बोली।

देखते-देखते शादी वाला दिन भी आ गया••• जहां रजनी दुल्हन के जोड़े में बिल्कुल “सीता मैया”  लग रही थी ।

 अरे बेटा••• तैयार हो गई अरे वाह•••मेरी बेटी तो बिल्कुल चांद के टुकड़ा है  ! कहते हुए उनकी आंखें रजनी के चेहरे पर टिक गई।

 आज•• तेरे पापा होते तो कितने खुश होते•••सविता जी की आंखें भर आई!

 चल ••जल्दी जयमाल के लिए सभी इंतजार मे हैं•••!

जीजा जी—! तो फोटो से भी ज्यादा स्मार्ट और हैंडसम है•• दीदी अभी भी वक्त है तुम शादी से इनकार कर दो तो मैं उनके गले में वरमाला डाल दूं•••! हंसते हुए पारो बोली। सभी सहेलियां भी  ठहाके लगाकर हंसने लगी। अच्छा••• तो मेरी दोस्त कम थोड़े ना है जीजा जी से••• रजनी की दोस्त राम्या बोली।

देखते-देखते वरमाला ,कन्यादान, सिंदूरदान और अब विदाई का वक्त हो चला सभी के आंखें नम थे—कविता जी को इतना खाली पन तब लगा जब पति सदानंद जी उन्हें छोड़कर गए— आज वह ठीक उसी तरह महसूस कर रही थीं।

अब— रजनी का पति राजेश के साथ ससुराल में प्रवेश हुआ। परिवार में सभी अच्छे थे ।

 शादी के२० दिन  बाद राजेश और रजनी बेंगलुरु चले आए।  धीरे-धीरे महीने साल में बीत गये  रजनी मां बनने वाली थी•• घर में नए मेहमान के आने का बेसब्री से इंतजार था आठवां महीना आते ही उसके प्रेगनेंसी में भाई दिक्कतों की वजह से डॉक्टर ने तुरंत बच्चा निकालने का फैसला लिया– ।

मां आप पारो को बैंगलोर भेज दीजिए••• मुझे उसकी बहुत जरूरत है••!

  बेटा वह चली जाएगी•• तू कहे तो मैं चली आती हूं•••!

 नहीं मां••• आपकी ऑफिस भी तो है छुट्टियां कहां मिलती है आपको•••!

 “मैं पारो से पूछ के तुझे बताती हूं– वैसे वह फ्री है नई जॉब के लिए अप्लाई किया है•••!

 फोन लेते हुए पारो बोली इसमें पूछने वाली क्या बात है•••मैं आज ही••• कल की  फ्लाइट बुक करती हूं दीदी•••तुम चिंता ना करो सिर्फ समय पर एयरपोर्ट जीजू को भेज देना•••!

राजेश पारो को डायरेक्ट एयरपोर्ट से हॉस्पिटल ले आया•••हॉस्पिटल पहुंचते ही अरे मैं मौसी बन गई•••! दीदी•• आपने मेरे आने तक का भी इंतजार नहीं किया ••मुझसे पहले ही इस शैतान को लेते आई••• !गोद में उठाते हुए बोली। 

5 दिन के बाद रजनी को डॉक्टर ने डिस्चार्ज कर दिया ।

अब वह घर चली आई ।

पारो रजनी और बच्चे की सारी जिम्मेदारियां अपने ऊपर ले ली••साथ में राजेश का भी वह अच्छे से ख्याल रखती समय पर खाना देना समय पर ऑफिस भेजना•••!   धीरे-धीरे उसने रजनी को अच्छी तरह से स्वस्थ कर दिया••!

 इधर कुछ दिनों से रजनी बेचैन थी क्योंकि उसके दिमाग में शक की सूई घूमने लगी•• जब भी वह राजेश के साथ रजनी को देखती तो मन में बुरे-बुरे ख्याल आने लगते। वह अपने आप को इनसिक्योर महसूस करने लगी उसे लगता कि पारो उसको राजेश   से अलग कर रही है।

 एक दिन राजेश पारो के लिए सुंदर सा इयररिंग लाया और लाकर रजनी को देते हुए बोला मैंने यह पारो के लिए लिया है देखो उसे पसंद आएगा ना•••? अगर नहीं तो मैं चेंज कर आऊंगा•••!

 पर मैंने तुम्हें लाने के लिए तो नहीं कहा था •••?गुस्से से रजनी बोली।

इसमें गुस्से वाली क्या बात है•••?आज नहीं तो कल तुम्हें देना ही था••!

 रजनी चुप हो गई ।

पारो ने मेरे पति और मेरे घर पर पूरा अधिकार जमा लिया— देखो  राजेश भी मुझसे चिढ़ के बात  करने लग गए हैं•••• उसे महसूस होने लगा कि राजेश उसके हाथ से छूटता जा रहा है।  

नहीं-नहीं मेरी बहन ऐसा नहीं कर सकती••   मेरे बुलाने पर ही तो वह इतनी दूर आई •••और मैं भी क्या सोच रही हूं••• फिर एक-दो घंटे के बाद वापस जब राजेश के साथ उसे हंसते हुआ देखती तो उसके अंदर फिर से वही बात उठने लगती ।

शक बिल्कुल “दीमक की तरह उसे अंदर ही अंदर खाता जा रहा था एक दिन :-

मैं ठीक हूं मां•••!

बेटा••• पारो तेरी ठीक से सेवा कर रही है ना—?

 2 महीने होने वाले हैं और अब मुझ में ताकत आ गई है सोचती हूं कि•• पारो को वापस भेज दूं•• आप भी अकेली हैं ••!

मेरी चिंता छोड़ मैं तो ठीक से हूं पारो को १५ दिन और रख ले•• थोड़ी ताकत आ जाएगी•••!

 मां•• अब मुझसे सहन नहीं हो पाएगा ••

सहन नहीं हो पाएगा मतलब •••?मुझे लगता है कि पारो और राजेश जी दोनों एक दूसरे को पसंद करते हैं मैं देख रही हूं वह राजेश के कुछ ज्यादा ही करीब आने लगी है•••!

 क्या बकवास है•••? मुझे अपनी बेटी पर पूरा भरोसा है तू ऐसी बात सपने में भी कैसे सोच सकती है•••? वह अपना कैरियर अपना सब कुछ छोड़•• तेरे पास आई सिर्फ तुझे और तेरे परिवार को संभालने और तू है कि बिना सर पैर की बातें की जा रही है•••! पर मां •••!

बस ••अब ज्यादा मत सोच•• अगर ••किसी दिन पारो को पता चल गया तो सोच उसे पर क्या बीतेगी•••!

 अभी इससे पहले रजनी कुछ बोल पाती की पीछे से कुछ आवाज आई जब उसने पलट कर देखा तो पारो हाथ में चाय और आंखों में आंसू लिए खड़ी थी रजनी को समझते देर ना लगी की, पारो ने सारी बातें सुन ली•••।

अब रजनी को अपनी गलती का एहसास होने लगा फुट फुट के रोने लगी।

  “मुझे माफ कर दे अपनी ही बहन के लिए ऐसी सोच घिन आती है मुझे अपने आप पे•••! उसके इस तरह से रोते हुए देख पारो अंदर से पिघल गई ।

बस अब चुप भी हो जाओ मुझे भी रुलाओगी क्या••रोते हुए  बोली।

 मैं इस आंसू को बचा के रखना चाहती हूं•• ताकि अपनी शादी में  रो सकूं कहते हुए उसने रजनी के आंसू पोछ अपने गले से लगा लिया••• और हंसने लगी।

 

 छोटी एक दिन तूने मां से पूछा था ना कि यह बड़ा दिल क्या होता है••• तो मैं तुझे आज कहती हूं कि बड़ा दिल तेरे जैसे लोगों के पास होता है ‌•••मेरी बहना••!

 रजनी का दिल और मन बहुत हल्का प्रतीत हो रहा था कारण शक के बोझ से वह मुक्त हो चुकी थी ।

 दोस्तों “शक का कीड़ा” बिल्कुल दीमक के कीड़े के जैसा होता है जो एक बार लग जाए तो वह अंदर ही अंदर हमें खोखला बना देता है और हमारे अपनों से संबंध  भी खराब हो जाते हैं।

 

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धन्यवाद ।

मनीषा सिंह

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