शक – गीता वाधवानी

नीरज बहुत गुस्से में चिल्लाया-“अनु यार बस करो, कितने सवाल पूछोगी? आधा घंटा हो गया ,जब से आया हूं सवाल पर सवाल पूछे जा रही हो। एक गिलास पानी का भी दिया नहीं है तुमने अब तक। शक करने की भी कोई हद होती है। ” 

अनु-“मुझे लग रहा है तुम सच नहीं बता रहे हो, तुम्हें आज देर क्यों हुई?” 

नीरज-“कह तो रहा हूं ऑफिस में बहुत काम था और उसके बाद रास्ते में ट्रैफिक। बाहर से परेशान होकर आओ और फिर घर में तुम परेशान करती हो।” 

अनु-“चलो मान लिया, कि आज ऑफिस में काम था। कल भी तो तुमने देर की थी और फिर तुम्हारी शर्ट पर वह लंबा काला बाल किस लड़की का था?” 

नीरज-“अरे यार, कहीं से उड़ कर आ गया होगा। इसका मतलब यह तो नहीं कि मेरा किसी लड़की से चक्कर चल रहा है।” 

अनु-“मैं कैसे विश्वास करूं और क्यों करूं?” 

नीरज-“बस करो, मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ता हूं, अगर तुम ऐसे ही शक करती रहोगी तो जीना मुश्किल हो जाएगा और सोच लो इसका अंजाम और भी खराब हो सकता है।” 

अनु-“अच्छा, तो तुम अब मुझे धमकी दे रहे हो।” 

नीरज-“अच्छा, मैं इस कमरे से ही चला जाता हूं और खुद ही पानी लेकर पी लेता हूं तुम बैठकर और सवाल सोचो।” 

नीरज कमरे में जाकर चुपचाप सो जाता है और रात का खाना भी नहीं खाता। अनु उसकी पत्नी एक बहुत शक्की औरत थी। नीरज अगर पड़ोस में भी किसी औरत को नमस्ते कर देता था ,तो वह सौ सवाल पूछती थी। 

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जब नीरज की अनु से नई-नई शादी हुई थी तब वह इन बातों को मजाक में उड़ा देता था लेकिन अब अनु की इस आदत से वह इस कदर परेशान हो चुका था कि कई बार गाड़ी चलाते समय उसका ध्यान भटक जाता था और एक्सीडेंट होते-होते बचता था। 

वह कभी भी अनु से झूठ नहीं बोलता था और ना ही उसका कोई चक्कर था, लेकिन अनु को कौन समझाए। 

एक दिन वह अपने ऑफिस में काम कर रहा था। तभी उसकी सेक्रेटरी उससे कुछ पूछने के लिए आई। उसी समय नीरज के पास अनु का फोन आया। इत्तेफाक से उसने उसकी सेक्रेटरी की आवाज सुन ली और उसका शक यकीन में बदल गया। उसी समय उसने नीरज से बहुत से सवाल किए और उससे लड़ पड़ी। उसके बाद नीरज का मन बिल्कुल भी काम में नहीं लग रहा था और जब वह सारा काम छोड़ कर घर के लिए निकला ,तब घर जाने का भी उसका मन नहीं कर रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि कहां जाऊं। सोचते सोचते वह एक बार में चला गया और वहां उसने खूब शराब पी। 

वह इतना नशे में था कि उससे सीधे चला भी नहीं जा रहा था ।वह लड़खड़ा रहा था। ऐसी हालत में उसने ड्राइविंग की और घर पहुंचा। घर पहुंच कर उसने गुस्से में अनु से कहा-“हां, एक लड़की के साथ मेरा चक्कर चल रहा है और मैं कल तुम्हें तलाक के पेपर दे दूंगा, तुम उस पर साइन कर देना।” 

बेवकूफ अनु इस बात को सच मान बैठी और उसने नीरज को खूब खरी-खोटी सुनाई। उसने इस बात का एक बार भी अंदाजा नहीं लगाया कि नीरज मुझसे बहुत प्यार करता है इसीलिए गुस्से में ऐसा कह रहा है। 

उसके खरी-खोटी सुनाने के बाद नीरज और भी ज्यादा परेशान हो गया तब उसने अनु को छोड़ने का पक्का निश्चय कर लिया। उसे लग रहा था कि इसके साथ रहने से मेरा आगे का जीवन बर्बाद हो जाएगा। 

सुबह होश में आते ही, नहा धोकर वह वकील के पास गया और तलाक के पेपर बनवाए। उसने सचमुच अनु को सबक सिखाने का सोच लिया था, लेकिन शक्की अनु ने अपने घमंड में पेपर्स पर साइन कर दिए और नीरज को छोड़कर मायके चली गई। उसके बेवजह  शक से एक परिवार बिखर गया था। 

#मासिक_कहानी 

स्वरचित अप्रकाशित गीता वाधवानी दिल्ली

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