ओ मेरी सोनिए,, देख तेरे लिए खास चूड़ियां लाया हूं… खास तौर पर अपने एक दोस्त से फिरोजाबाद से मंगवाई हैं..
ओहो अमन,, फिर से चूड़ियां ले आए.. कितनी बार मना किया इतनी सारी चूड़ियां ना लाया करो… दिखाओ आज क्या उठा कर लाए हो… मानवी ने अमन के हाथ से चूड़ियों का डब्बा लिया।
डिब्बा खोलते ही उसकी आंखें फटी की फटी रह गईं…
अरे डार्लिंग,, मुंह बंद कर लो मक्खी घुस जाएगी, अब बताओ क्या कहती हो..?? कर दिया ना तुम्हारा दिल खुश….!!
अमन ये चूड़ियां… क्या बोलूं.. कुछ समझ में नहीं आ रहा है… इतनी खूबसूरत हैं और इस पर मेरा और तुम्हारा नाम… वाह
थैंक यू थैंक यू थैंक यू मेरे रांझणा थैंक यू सो मच… मानवी अमन के गले झूम गई। इस बार करवा चौथ पर तुम यही वाली चूड़ियां पहनना,, देखना कैसे तुम्हारी सारी सहेलियां जलकर राख हो जाएंगी…
अरे करवा चौथ में तो बहुत टाइम है उससे पहले हरियाली तीज है कि मैं यह सेट हरी चूड़ियों के साथ मैचिंग करके पहनूंगी और हां मुझे ना हरी साड़ी भी चाहिए सुंदर सी..
अरे बिल्कुल जो चाहिए सब ले लेना,, बंदा कत्ल होने को तैयार खड़ा है तुम चाहें अपनी निगाहों से जितने भी जुल्मों सितम ढाओ… अमन ने बड़े नाटकीय अंदाज में अपने सीने पर हाथ रखते हुए कहा।
बिल्कुल शर्म नहीं आती है ना तुमको,, कोई कहेगा 4 साल के बच्चे के बाप हो तुम…
हाय कौन कहेगा तुम 4 साल के बच्चे की मां हो,, आज भी तुम्हारे चेहरे से नूर टपकता है,, मेरे दिल की मलिका अब और न तड़पाओ आ जाओ इन बाहों में…
मम्मा मम्मा…
हटो दूर,, चीकू देख लेगा…
मम्मा,, भूख लग रही है,, मम्मा,, सुनो ना क्या देख रही हो.. चीकू के हिलाने से मानवी की तंद्रा टूटी..!!
क्या हुआ बहु..?? चीकू इतना चिल्ला क्यों रहा है..?? मानवी की सास अर्चना जी दोनों को देखने मानवी के कमरे में आईं। मानवी के हाथों में अमन का लाया हुआ चूड़ियों का सेट देखकर उन्हें मानवी के मन की हालत समझ आ गई।
रिया रिया बहू… जरा चीकू को खाना खिला दो,, छोटी बहू रिया चीकू को लेकर चली गई।
मानवी बेटा,, अमन की याद आ रही है… यह चूड़ियां अमन तेरे लिए खास बनवा कर लाया था ना… अर्चना जी ने मानवी के हाथों से चूड़ियां ले लीं। दोनों सास और बहू की नजरें टकराई और दिल में छुपा दर्द का समंदर आंखों से बह निकला.. !!
कोई किसी से कुछ भी कहने की हालत में नहीं था बस उन चूड़ियों को देखकर एक पत्नी अपने पति के और एक मां अपनी पहली संतान के बलिदान को याद कर रही थी।
अमन मर्चेंट नेवी का ऑफिसर, घर का सबसे बड़ा और जिम्मेदार बेटा, मानवी का पति और चीकू का पिता… बहुत खुशहाल संयुक्त परिवार था।
पूरे 7 महीने हो गए हैं अमन को शहीद हुए।
वैसे तो मानवी ने खुद को बहुत मजबूत कर लिया लेकिन 2 दिन बाद तीज है और अमन के साथ हर साल खुशी-खुशी तीज मनाती थी,, अमन का और उसका एक अलग ही रिश्ता था… सिर्फ प्यार ही नहीं था दोनों के रिश्ते में समझदारी सम्मान और जिम्मेदारियों को निभाने की भरपूर चाह… कह सकते हैं किसी के भी सपने से सुंदर जोड़ी थी दोनों की लेकिन वक्त ने साथ बहुत कम लिखा था।
बहुत देर तक रोने के बाद अर्चना जी ने मानवी को पानी पिलाया और उसकी पीठ पर हाथ फेरते रहीं…
मम्मा,, ऐसी क्या गलती हुई थी मुझसे जो अमन मुझे बताया बिना ही चले गए,,बिना बात किए इतनी दूर चले गए वो भी हमेशा के लिए… कितने प्यार से यह चूड़ियां लाये थे मेरे लिए… अब क्या करूं मैं इन चूड़ियों का…
मानवी ने चूड़ियों को फेंक दिया।
वाओ मम्मा सो प्रिटी.. आपका और पापा का नेम भी है… चीकू वो सारी चूड़ियां समेट रहा था,, चूड़ियां मानवी के पास लाकर…
मामा पहन कर दिखाओ ना,, आप बहुत सुंदर लगोगी सच्ची… बिल्कुल अमन की ही तरह सीने पर हाथ रखकर उसने कहा।
आज नहीं चीकू,, 2 दिन के बाद एक फेस्टिवल है हरियाली तीज… मम्मा उसी दिन ये चूड़ियां पहनेगी…
मानवी ने अचंभित नजरों से अर्चना जी को देखा…
ओके दादी,, मैं चाची और बुआ को बता कर आता हूं,, मेरी मम्मा के पास तो सो प्रिटी प्रिटी बैंगल्स हैं मम्मा पापा के नाम वाली… उछलता हुआ चीकू कमरे के बाहर भाग गया।
मम्मा,, छोटे से बच्चे के मन में क्यों उम्मीद दे रही हो आप..?? वो जिद करेगा, रोएगा कैसे समझाऊंगी उसे… आप जानती हो ना ऐसा नहीं हो सकता है…!! मेरे सारे त्यौहार भी अमन के साथ ही चले गए अब मेरे अंधेरे जीवन में रोशनी का कोई दिया नहीं जलेगा।
जानती हूं बेटा… अपने दिल में अमन की जगह तू किसी को नहीं दे सकती लेकिन तुझ से किसने कहा कि तू तीज नहीं मना सकती.. तीज सिर्फ घर की बहू ही नहीं बेटियां भी मनाती हैं और अब से तू मेरी बड़ी बेटी है,, मेरी बेटी खुशी खुशी तीज मनाएगी… अमन भी तो यही चाहता है,, कहीं नहीं गया है वह,, हम सबके बीच हमारे दिलों में जिंदा है… अपनी मानवी को ऐसे साधारण से कपड़ों में और उदास चेहरे के साथ देखना उसे कितना बुरा लग रहा होगा… बहू की तरह नहीं बेटी की तरह तो तैयार होकर रह सकती है ना घर में…
तू मेरे बेटे की जान थी,, तू हंसेगी, मुस्कुराएगी, खुश रहेगी तो हमें तुझमें अपना अमन दिखाई देगा और चीकू उसे भी तो अपनी पुरानी मम्मा वापस चाहिए ना… बेटा हम अमन की जिंदादिली, उसकी मुस्कान को तो जिंदा रख सकते हैं ना… अर्चना जी ने मानवी के आगे दोनों हाथ जोड़ लिए और मानवी उनके हाथ पकड़ कर उनके सीने से लग गई।
छोटी बहू रिया और घर की बेटी अविका चीकू के साथ दरवाजे पर खड़ी होकर पलकों में आंसू लिए सब देख और सुन रही थीं कि अर्चना जी और मानवी ने अपनी बाहें फैला दीं और सारा परिवार अपने दुख को बुलाकर अपने अमन की शहादत को नमन करने लगा।
दोस्तों,,आज भी न जाने कितने परिवार अपने बच्चों के लिए ऐसे ही तरस रहे होंगे। बस एक प्रार्थना है कि “जियो और जीने दो” नहीं पता जिंदगी कितनी बड़ी है या कितनी छोटी है लेकिन इसे दूसरों के लिए मुश्किल ना बनाएं। आज से खुद से वादा करें कि जो जैसे जीना चाहता है, करना चाहता है, उसको लेकर हम ना कोई कटाक्ष करेंगे,, ना किसी को जज करेंगे और और ना ही अपने मन से किसी के भी बारे में कोई राय बनाएंगे।
स्वरचित एवं मौलिक रचना
नीतिका गुप्ता
गाजियाबाद