” बहू.. तुमने तो नाक कटवा दी मेरी… अरे आठ दस जनों का खाना भी ढंग से तुमसे ना हो पाया। अब घर जाकर देखना वो लोग कितनी बातें बनाएंगे…. उनके यहां जब हम सब खाने पर गए थे तो उनकी बहू ने पंद्रह जनों को खाना खिलाया था और वो भी इतने सलीके से की पूछो मत। तुम्हारा तो बीच में ही रायता खत्म हो गया।
ऊपर से पूरियां भी इतनी धीरे आ रही थीं कि सबको थाली में आने का इंतजार करना पड़ रहा था। ,, राधा जी झुंझलाते हुए अपनी बहू चारू को सुना रही थीं।
चारू की शादी को दो साल होने को आ गया था लेकिन अभी तक अपनी सास के दिल में वो अपनी जगह नहीं बना पाई थी। चारू की पढ़ाई में ज्यादा रूचि थी लेकिन घर के काम वो कम ही करती थी। उसकी मां उसे बहुत कहतीं कि घर के काम अच्छे से सीख लो नहीं तो ससुराल में बहुत मुश्किल होगी । वो कोशिश भी करती लेकिन उससे काम कुछ धीरे होता था।
शादी के बाद तो उसने फिर भी थोड़ा जल्दी काम करना सीख लिया था लेकिन फिर भी सासु मां कभी कभी बातें सुना ही देती थीं। राधा जी की आदत थी कि वो अपने घर परिवार और मौहल्ले में आई बहुओं से हमेशा रूचि की तुलना करती रहती थीं।
आज राधा जी ने अपनी बुआ सास के पूरे परिवार को खाने पर बुलाया था । जिनके खाने का जिम्मा राधा जी ने अपनी बहू चारू पर डाल दिया था । चारू ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश भी की थी । बुआ के परिवार को तो खाने में कोई कमी नजर नहीं आई लेकिन फिर भी राधा जी बार- बार अपनी बहू को अच्छा इंतजाम ना करने का उलाहना देती रहतीं ,” बुआ जी के तो भाग खुल गए इतनी सुघड़ बहू पाकर …..
रसोई और घर के सब कामों में निपुण है ऊपर से दहेज भी इतना लाई है कि घर भर दिया …. खैर सबके नसीब ऐसे कहां होते हैं ……. हमें ही देख लो कैसी बहू मिली है!! मां ने तो कुछ सिखाया नहीं और हमारे पल्ले बांध दिया … ,,
चारू हमेशा इन सब बातों को नजरंदाज करने की कोशिश करती रहती थी।
इस कहानी को भी पढ़ें:
बहू तुम ये सब क्या कर रही हो – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi
बुआ सास की बहू कविता चारू से कुछ साल ही बड़ी थी थी इसलिए एक दो मुलाक़ात में ही वो एक दूसरे की अच्छी सहेली बन गई थीं । कविता अक्सर उससे फोन पर बातें करती रहती थी। कुछ दिनों बाद कविता का जन्मदिन था तो चारू ने उसे जन्मदिन की बधाई देने के लिए फोन किया,
” हैप्पी बर्थडे कविता भाभी …. इस बार क्या स्पेशल कर रही हैं अपने बर्थडे पर??” कविता ने हंसते हुए पूछा ।
” अरे चारू, मैं क्या करूंगी….. यहां सभी मिलकर ही मेरा बर्थडे स्पेशल बना देते हैं , तुम्हारे भाई साहब तो एक हफ्ते पहले ही कहीं बाहर घूमने का प्लान बनाने लगते हैं , और मम्मी जी …. उन्होंने तो सुबह उठते ही तरह तरह के पकवान बना कर रख दिए हैं फिर पूजा करने के बाद उन्होंने मुझे सोने के झुमके गिफ्ट किए हैं ….. ननदों ने तो पूरे घर को गुब्बारों से सजा दिया है …. सच में मैं बहुत खुशकिस्मत हूं” कविता मुस्कुराते हुए बोली।
कविता की बातें सुनकर चारू को बहुत अच्छा लगा लेकिन दूसरे ही पल उसे अपना पिछला जन्मदिन याद आ गया । ना तो घर में किसी ने उसे बधाई दी थी और ना ही कोई प्लान बनाया … वो तो चारू की ज़िद पर ही उसका पति उसे डिनर पर ले गया था जिसके लिए बाद में तीन दिन तक राधा जी का मुंह फूला रहा था ।
एक दिन राधा जी ने चारू से कहा कि अचार बनाने का सारा सामान ला कर दो तो चारू पूछ बैठी ,” मां जी, कौन कौन से मसाले लाने हैं ??”
इतना पूछते ही राधा जी कड़कते हुए बोलीं, ” लो कर लो बात…. इस माहरानी को ये भी नहीं पता कि अचार बनाने में कौन कौन से मसाले लगते हैं … मेरे तो कर्म फूट गए जो ऐसी बहू पल्ले पड़ी है ….. अरे , मायके में कुछ देखा है या नहीं …. बुआ की बहू को देख लो खुद ही सारे परिवार के लिए अचार बना देती है ।”
इस बार चारू से रहा नहीं गया और वो बोल पड़ी, ” अब बस करो मां जी, अगर कविता भाभी में सारे गुण हैं तो उनकी सास भी बहुत अच्छी हैं जो उनका इतना ख्याल रखती हैं । भाभी के जन्मदिन पर भी उनकी सास सोने के झुमके देती हैं और यहां तो बधाई देने में भी सबके मुंह में छाले पड़ जाते हैं ….. मां जी रिश्ता दोनों तरफ से निभाया जाता है ।
मानती हूं मैं सारे कामों में निपुण नहीं हूं लेकिन क्या आपने कभी एक अच्छी सास की तरह मुझे कुछ सिखाने की कोशिश की?? बस हमेशा मेरी परवरिश और संस्कारों पर ऊंगली उठाती आई हैं … यदि आप चाहती हैं कि मैं भी कविता भाभी की तरह एक अच्छी बहू बनूं तो आप क्यों नहीं उनकी सास की तरह अच्छी सास नहीं बनना चाहतीं हैं….
इस कहानी को भी पढ़ें:
क्या कभी आपने सुना है कि बुआ जी ने अपनी बहू के बारे में किसी के सामने कुछ भी कहा है?? वहीं खुद को देखिए…. मैं कोई गलती ना भी करूं तो मेरी पिछली गलतियों का गुणगान करने से भी आप नहीं चूकतीं ….. मां जी मैं कोशिश तो कर रही हूं सब कुछ सीखने की , फिर क्यों हर वक्त मुझे आप कटघरे में खड़ा कर देती हैं ….
मैंने शादी की है ना कि किसी प्रतियोगिता में हिस्सा लिया है जिसमें मुझे फर्स्ट आना है …. ,, कहते कहते चारू रो पड़ी ।
राधा जी आज चुप थीं क्योंकि आज चारू ने उन्हें आईना दिखा दिया था जिसमें वो खुद एक अल्हड़ सास के रुप में नजर आ रही थीं। वो खुद जिस तरह की बहू की अपेक्षा कर रही थीं कभी खुद तो वैसी सास बनने की कोशिश नहीं की थी …..
उन्होंने खुद को संयमित करते हुए कहा, ” चुप हो जा बहू…. मैं ही भूल गई थी कि तुलना सिर्फ बहुओं की नहीं सास की भी हो सकती है ….. चल आज से हम दोनों ही एक अच्छी सास बहू की जोड़ी बनने की कोशिश करते हैं ।”
कहते हुए उन्होंने चारू को अपने गले से लगा लिया । चारू भी आज पहली बार अपनी सास के गले लगकर भाव विभोर हो गई थी ….
लेखिका : सविता गोयल
VM