सर्विस वाली बहू सुहागन जैसी दिखती ही नहीं!- अमिता कुचया : Moral stories in hindi

रीना सर्विस करने वाली बहू है।वह एक कंपनी में बहुत बड़ी पोस्ट पर है।और उसे तो सजने संवरने का भी शौक नहीं है ,वह शादी से पहले भी सादगी से रहती थी। उसे ससुराल में ज्यादा रहने का मौका नहीं मिला ,क्योंकि घर से दूर दूसरे शहर में उसकी और उसके पति की नौकरी होने की वजह से कम ही वह ससुराल जा पाती थी।

वह हमेशा ही आफिस के कामों में उलझी रहती।न तो सजने-संवरने का समय था, न ही शौक ..

… बिल्कुल साधारण सी ही रहती थी।

उसे घर में भी सादगी से रहना पसंद था।वह हमेशा घर में आती तो टॉप और लोअर ही पहन लेती।आफिस जाती तो उसकी अलग यूनिफॉर्म पहनती थी। जिसमें उसे शर्ट पैंट के साथ कोट पहनना होता था। उसमें केवल वह पतली सी चैन ही पहनकर जाती।और एक हाथ में घड़ी, दूसरे हाथ में कंगन। सिंदूर की बात ही छोड़ो वह लगाती भी थी तो उसके ऊपर बाल रख लेती ,उसका सिंदूर भी नहीं दिखता था। उसका पति जानता था। कि जेवर , सिंदूर ,बिंदी के बिना भी मेरी पत्नी सुहागन है, मैं क्यों कुछ कहूं,मैं तो रीना का ही पति रहूंगा। क्यों पहनने ओढ़ने के लिए बाध्य करना। वह कभी नहीं टोकता ,यही रीना की आदत में हो गया।जब कोई त्यौहार होता तो वह पूरे नियम कायदे से करती, लेकिन अचानक कोई देखे तो ये न कह पाए।ये रीना शादी शुदा औरत भी है।

एक बार की बात है कि उसकी सास को आना था।वह पुराने विचारों की थी। उन्हें लगता था कि बहू को घर में बहू जैसे ही रहना चाहिए। लेकिन रीना को साधारण सा रहने की आदत थी।

जब रीना आफिस से घर पहुंची तो सासु मां पहुंच चुकी थी। रीना के आफिस से लौटते ही सासु मां ने तो देखा कि बहू तो सिंपल सी लग रही है। उसने पहुंचते ही सासुमा के पैर छुए और वह तुरंत ही

फ्रेश होकर सलवार सूट पहन लिया। और किचन के काम में लग गयी सासु मां आई थी। चाय पानी पीकर खाने की तैयारी में लग गयी,तभी सासु मां ने कहा -“अरे रीना तुम तो कहीं से भी सुहागन जैसी दिखती ही नहीं हो! न तो बिंदी है ,न ही सिंदूर,न ही मंगलसूत्र!!

तब रीना ने कहा -“मम्मी जी आफिस जाती हूं। रोज- रोज ये सब कहां तक करुंगी । बिछिया, पायल, चूड़ियां रोज तो नहीं पहन सकती। इतना घर में आकर रोज -रोज कौन पहनता है ?”

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तब सासु मां ने कहा-“अरे बहू ये नये जमाने के चोंचले है ••बस पहनना न पड़े। ये हाथ तो देखो कैसे डंडा जैसे लग रहे हैं•••

रीना के हाथ में सिंपल सा कंगन ही था । और दूसरा हाथ भी खाली था उसने घड़ी उतारकर रख दी थी।न गले में मंगलसूत्र था ,न ही मांग में सिंदूर दिख रहा था।

इतना देखते ही सासु मां बोली- “बहू कितने भी आगे बढ़ जाओ ,पर औरत के लिए थोड़ा बहुत श्रृंगार तो जरुरी ही है। कि औरत लगे भी तो ,वह शादी शुदा है•••तुम लोग नये जमाने के हो।पर मांग में लंबा सिंदूर न लगा कर थोड़ा बहुत तो सुहाग के लिए लगा लो।”

तब रीना ने कहा -“मां देखो मेरी सिंदूर लगाने की आदत बीच में लगाने की है। और बाल में साइड की मांग निकालती हूं।तो वह दिखता नहीं है। पेंट-शर्ट में सामने से सिंदूर थोड़े ही अच्छा दिखेगा।

तब सासुमा बोली -” बिंदी भी सुहागन की निशानी होती है। रीना वो तो लगा सकती हो।

बिंदी बड़ी न लगाओ पर छोटी तो लगाओ।”

आफिस में न सही ,घर में तो लगाओ। रोज घर में बिंदी लगाने में कितना समय लगेगा। ये सुहाग की निशानी है । और बिछिया भी छोटी-छोटी पहन सकती हो!पतले पतले छल्ले जैसे ही पहने रहो क्या हो जाएगा। मोजे से थोड़े ही दिखेंगें।

पर रीना को सासु मां की बात बुरी लग रही थी। क्योंकि आफिस से आने के बाद वह थक चुकी थी।कभी उसनेे अपने लिए इस तरह सोचा ही न था।

तब उसने कहा-” मम्मी जी कहना आसान है। ये सब करो । इसके लिए मेरे पास समय ही नहीं रहता कि मैं यह सब लगाने की सोचूं ,रविन्द्र को भी पता है, मुझे दिखावा करना नहीं आता है। मैं यह सब न पहनकर भी मैं रहूंगी तो उनकी पत्नी ही!”

इसके बाद उसकी बात सुनकर सासु मां ने कहा –

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“बहू न पहनना हो तो बहाना है कि समय नहीं मिलता।पर ये सोचा है कि अगर चेहरे पर बिंदी चुड़ी और मंगलसूत्र पहनो तो पति की उम्र के साथ- साथ शादी शुदा जिंदगी पर भी सकारात्मक प्रभाव पर पड़ता है । इसलिए इसे पहनना चाहिए ।

फिर अनमने मन से सासु मां के कहने से उसने लंबा सा लगा कर बीच मांग कर ली और बिंदी भी लगा ली ।फिर वह काफी सुंदर लग रही थी और वो बिल्कुल बदली हुई लग रही थी। उसने खुद को जब आईना में देखा तो अपने आप को काफी सुंदर महसूस किया।फिर मम्मी जी से पूछा -” अब तो ठीक लग रही हूं?”

फिर तो सासु मां ने कहा -“अब लग रही हो मेरी बहू•••” और नजर उतारते हुए बोली मेरी बहू अब सुंदर सलोनी लग रही है और वो थूथू करके बलैया उतारती है ।उन्होंने उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरा।तो उसे बहुत अच्छा लगा।अब उसने तुरंत सासु मां के पैर छू लिए ।आज उसमें भारतीयता की झलक दिख रही थी। इस तरह के वो संस्कार देखकर सासु मां फूली न समाई। उन्हें लगा कि पढ़ी लिखी बहू के साथ मेरी बहू तो संस्कारी भी है। तभी उसे गले से लगा लिया।

आज जब वह गले सासु मां के लगी तब उसने कहा -” मम्मी जी अब से हमेशा ध्यान रखूंगी कि बिंदी और सिंदूर घर में तो लगा ही लूं।” फिर उसने कहा मम्मी जी आप तो जानती ही हैं कि सुबह से कितना काम रहता है,ऊपर से आफिस जाना, फिर शाम के घर की दिनचर्या •••

मैं क्या करूं बहुत थक जाती हूं।

रविन्द्र ने भी कभी नहीं टोका इसलिए मेरी आदत छूट सी गई।

ठीक है बहू मेरा फ़र्ज़ था समझाना , मैंने समझा दिया मुझे खुशी भी हो रही है। कि तुमने मेरा कहना मान लिया। मैं जानती हूं बहू तुम त्योहार में श्रृंगार तो करती ही होगी, पर इस तरह रोज बिंदी और सिंदूर लगाने से चेहरे की रौनक भी बढ़ जाती है।अब देखना कि रविन्द्र तुम्हें इस तरह देखकर कितना खुश होगा । उसकी नजरें भी न हटेंगी।

जब शाम को आफिस से तुम आई थी तब देखो अपना चेहरा और अब देखो अपना चेहरा कितना अंतर लग रहा है ,अब लग रही हो मेरी बहू•••

इस तरह रीना को सासु मां ने समझा दिया कि नये जमाने में चलने के साथ ही सुहागन जैसे भी औरतों को रहना चाहिए। इससे न केवल चेहरा खिला-खिला दिखता है बल्कि पति की उम्र के साथ तनावमुक्त दिमाग रहता है। उन्होंने बताया कि मस्तिष्क पर बिंदी या टीका दिमाग को शांत भी रखता है। इसलिए रोज बिंदी सिंदूर लगाया करो।आज रीना पर सकारात्मक असर हुआ।उसे अंदर से चिड़चिड़ापन और थकावट लगती थी। वह भी उसे अंदर से शांति और सुकून सा महसूस हो रहा था। रविन्द्र जब आफिस लौटा तो बदला स्वरूप देखकर दंग सा रह गया।तब उसने कहा-” क्यों रीना मां के कहने से सिंदूर और बिंदी लगाई है।”तब वह बोली- ” देखो रविन्द्र एक तो तुमने टोका नहीं, ना ही मुझे सजने संवरने शौक ही था इसलिए कभी इसका इस तरह महत्व नहीं समझा।

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आज मां जी के कारण ये लगाने से मुझे इसका प्रभाव दिख रहा है।मेरे अंदर चिड़चिड़ेपन की जगह सुकून सा है।

तब सासुमा ने कहा -” बेटा रवीन्द्र देख मेरी रीना बिल्कुल ही अलग लग रही है न ,बिल्कुल भारतीय नारी ,सुहागन जैसी…

तब रवीन्द्र भी उसे देख‌ मुस्करा दिया। अब रीना जब भी मुंह हाथ धुलती तो क्रीम के बाद बिंदी और सिंदूर लगा लेती।इस तरह सुहागन जैसी वह घर में रहने लगी।

दोस्तों – आजकल की व्यस्तता को देखते हुए सर्विस वाली औरतें नये जमाने के साथ चल रही है वैसे ही संस्कार और पहनावे को ध्यान रखना चाहिए। न कि हम पूरी तरह पाश्चात्य संस्कृति को अपनाएं।

इस तरह हमें आज की पीढ़ी को भारतीय रीति रिवाज के साथ- साथ भारतीय संस्कृति को अपनाने की प्रेरणा देनी चाहिए। बिंदी सिंदूर ही भारतीय नारी के प्रमुख गहना होते हैं ,यह निश्चित ही लगाना चाहिए। इससे सकारात्मक असर भी पड़ता है।

स्वरचित मौलिक रचना

अमिता कुचया

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