हमारे एक मित्र है रमेश सिन्हा, वे भी इश्योरंस सेक्टर से ही जुड़े है तो अच्छा रिश्ता है उनसे
उन्हे एक बेटा और एक बेटी है नेहा जो रमेश बाबु की बडी संतान है वो पढने लिखने मे कुशाग्र बुद्धि की थी जब वो ग्रेजुएट की पढाई कर ही रही थी तो रमेश बाबु उसके लिए वर की तलाश करना शुरु कर दिया था
कही बात बहुत आगे बढ भी जाती तो नेहा की साॅवलापन के कारण बात टुट जाती बार बार नेहा को किसी मंदिर मे तो किसी होटल मे दिखाने के कारण नेहा बहुत उब सी चुकी थी
उसने मन मे ठान लिया की हमे कुछ बन कर दिखाना है और वो अब कुछ नही सोचती केवल लगन से पढाई पर ही ध्यान देती
उसकी इस लगन से पढाई को देख कर उसके घर के बगल मे एक लड़का रहता था जिसका नाम रोहित था जिसे हाल मे ही कौआकोल प्रखंड मे सहायक लिपिक की नौकरी मिली थी
तो उसने डायरेक्ट रमेश बाबु से मिलकर नेहा से शादी की इच्छा जाहिर कर दिया ,तब तो रमेश बाबु ने उसे कुछ नही कहा लेकिन ये बाते नेहा को मालुम पडने पर वो सहर्ष मन बना लिया की जो लड़का मेरी काली होने के बावजूद शादी का प्रस्ताव दे रहा है
ये औरो से तो कुछ अलग जरुर है उसे सुरत और गोरी चमड़ी को महत्व न देकर मेरी सीरत पर ध्यान दिया है तो निश्चित इसके साथ मेरा दाम्पत्य जीवन सूखमय रहेगा
लेकिन इधर रोहित के घरवालो का विरोध जारी था रोहित पर दबाव था की तुम उस काली कुलुटी मे क्या गुण देखा जो उससे शादी करने की ज़िद पर अडे हो
क्या गोरी लडकी सारे मर गई है जो तुम ये कर रहे हो तुम तो सरकारी नौकरी मे हो
अभी तो लोगो को मालुम भी नही हुआ है मालुम तो हो जाने दो सुन्दर लडकियों की लाईन लग जायेगी,लेकिन रोहित परिवार वालो की एक न सुनी और विष्णु पद मंदिर ‘गया’ मे जा कर निस्वार्थ वगैर दहेज की शादी उसने कर लिया
इधर नेहा ने अपने पति को पाकर इतना खुश हुई और उसने ठान लिया की मै अपने पति को इस त्याग का वो गिफ्ट दुगी की लोग जल भुनेगे
अब वो विवाह के बाद ग्रेजुएट करने के बाद रात दुनी दिन चौगुनी प्रतियोगी परीक्षाओं पर मेहनत करती
आखिर वो पल आ ही गई जब उसने बी पी एस सी मे पुरे बिहार मे चौदवी रैक लाई और उसे डी एस पी के लिए चयन कर लिया गया
चुने जाने के बाद उसने प्रेस के समक्ष अपने पति के साथ ये ब्यान दिया की ये सफलता मेरे पति का है इसमे मेरा कोई योगदान नही है
जब मेरे रिश्ते के लिए दरवाजे दरवाजे मेरे पिता ठोकर खा रहे थे
और बार बार हमे देख कर लडके वाले मुँह बना रहे थे
तो ये मेरा पति रोहित ने जो मुझपर उपकार किया है जैसे वो मेरे जीवन मे भगवान का रुप धारण कर प्रवेश किया हो और मै उन्हें कभी हीन भावना से ग्रसित नही होने दुगी
की वे महज प्रखंड मे क्लर्क है और मै डी एस पी
मै तो यही कहूँगी मेरा पद उनका है और उनका पद मेरी है
मेरा पति जो है आजीवन मेरा पतिप्रमेश्वर है और रहेंगे,समाज का क्या है वो न कल मेरे साथ थे न अब मेरे साथ रहेंगे ,मै अर्धांगनी हु इनकी तो इनका आधा सबकुछ मेरी हुई न और मेरा आधा सबकुछ इनकी हुई न तो हम दोनो बराबर बराबर है एक समान है
ये कहते हुए नेहा अपने पति का हाथ पकड कर घर के अंदर चली गई