सौभाग्यवती हो , सौभाग्यवती रहो ये क्या हैं शुभम घर में मैं जब भी मम्मी या दादी के पैर छूती हूं यही सुनने को मिलता है।खुश रहो , हंसते मुस्कुराते रहो ये कोई क्यों नहीं कह सकता ।तो इसमें हर्ज ही क्या है सोनल ये तो बहुत अच्छी बात है कि तुम्हें बड़ों के पैर छूने पर इतना अच्छा आशीर्वाद मिलता है शुभम बोला ।
फिर बड़ों का आशीर्वाद तो बहुत फलता फूलता है , जितना हम बड़ों के सामने झुकते हैं न उतना ही हमारा कद ऊंचा उठता है । तुम्हें परेशानी क्या है इससे ।हैं परेशानी तुम अपनी मम्मी और दादी से कह दो कि मैं जब भी उनके पैर छूने जाऊं तो मुझे कोई और आशीर्वाद दे ये सौभाग्य वती का नहीं । आखिर बताओगी कि क्या बात है शुभम बोला ।
आंखों में आंसू भरकर सोनल बोली इसी सौभाग्यवती के आशीर्वाद ने मेरी मां को हमसे छीन लिया । पगली आशीर्वाद से कोई मरता है क्या ।बड़ों का आशीर्वाद तो हमारे जीवन को और सुंदर और सुदृढ़ बनाता है, संस्कार पैदा करता है, बड़ों का प्यार और सम्मान मिलता है जरा सोचो जब बड़े सिर पर हाथ फेरकर हमें आशीर्वाद देते हैं तो कितना अच्छा लगता है।
कठिनाइयों और मुसीबतों से हमारी रक्षा करते हैं। जरा सोचो बड़े लोग जो भी पूजा पाठ करते हैं आशीर्वाद देते हैं सब हमारे जीवन का रक्षा कवच होता है।आओ तुम्हें ऐसे समझाते हैं ,मान लो हमारा कोई एक्सिडेंट हो गया जिसमें बचने की कोई उम्मीद नहीं है,अरे नहीं ऐसा क्यों बोल रहे हो शुभम सोनल बोली , अरे मैं तो तुम्हें बस एक बात बता रहा हूं और वो इंसान बच जाए तो सभी कहते हैं
न बड़ों का आशीर्वाद था या तुम्हारी मां या दादी इतना पूजा पाठ करती हैं तो आज फलित हो गई बेटा मौत के मुंह से बचकर आ गया।तो फिर मेरी मां क्यों चली गई दुनिया से सोनल बोली मेरी दादी भी मां को हमेशा सौभाग्यवती हो ऐसा आशीर्वाद देती थी और देखो कितनी जल्दी चली गई।और मम्मी के देहांत के बाद भी सब लोग कह रहे थे कि देखो तो कितनी सौभाग्यवती थी जो पति के सामने चली गई ।
अरे तुम्हारे मम्मी को तो कैंसर हो गया था न और तुम्हारे पापा ने बहुत इलाज कराया लेकिन वो बच न सकी ,ये बीमारी जान लेवा होती है सोनल कोई आशीर्वाद देने से नहीं मरता पगली।
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सोनल और सोहम भाई बहन थे ,सोहम बड़ा था और सोनल छोटी थी ।सोनल की मां करूणा को एक बेटी चाहिए थी तो दूसरी बार में उनको बेटी पैदा हुई । बेटी को पाकर करूणा जी फूली नहीं समा रही थी। बहुत लाड़ दुलार करती थी उसकी मोहिनी सूरत पर वारी वारी जाती थी।वो जब अपने नन्हे नन्हे कदमों से चलती तो खुशी के मारे दोहरी हो जाती।जिगर का टुकड़ा थी उनके लिए सोनल।ऐसे ही मां के लाड़ दुलार में बड़ी होती सोनल थोड़ी जिद्दी हो गई थी । क्यों कि उसके हर मांग को पूरा किया जाता था । करूणा की सोनल में और सोनल की करूणा में जान बसती थी।
इसी तरह बच्चे बड़े हो गए और आज भाई सोहम की शादी थी ।सोनल भी भाई की शादी में खुब संजी संवरी घूम रही थी ।आज घर में लेडीज संगीत था ,सोनल मेरे हाथों में नौ नौ चूड़ियां है पर बहुत सुंदर नृत्य किया था ।कद काठी और रूप रंग में बहुत सुंदर थी सोनल । लाल रंग के लंहगे में उसका रूप और निखर आया था ।
शुभम, जो सोनल के पापा के दोस्त का बेटा था ।शुभम की मम्मी भी आज लेडीज संगीत में आई थी वो तो सोनल पर जैसे फिदा ही हो गई।सोनल को अपनी बहू बनाने का मन ही मन फैसला कर डाला ।शुभम भी काफी स्मार्ट और देखने सुनने में अच्छा था । किसी कम्पनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत था।शुभम की मम्मी ने सोनल वाली बात मन में ही रखी क्योंकि अभी तक शुभम ने सोनल को नहीं देखा है । अभी सभी को शादी में जाना है तो उसके बाद ही बात करेंगे ।
आज बारात थी सोहम की शुभम के पूरे परिवार ने शादी में शिरकत की थी ।हर तरफ गहमागहमी थी । जयमाल के समय सोनल भाई के साथ स्टेज पर थी ।इस समय सोनल इतनी खूबसूरत लग रही थी कि नई नवेली दुल्हन को भी मात दे रही थी ।शुभम और उसकी मम्मी वहीं जयमाल देखने के लिए बैठ गए थे।शुभम एकटक सोनल को ही देखें जा रहा था। मम्मी जब भी शुभम की ओर देखती तो थोड़ा झेंप सा जाता शुभम ।वो समझ गई कि शुभम को सोनल पंसद आ गई है।
घर जाकर जब शुभम की मम्मी ने पूछा और शुभम सोनल कैसी लगी तो शुभम थोड़ा झेंप गया ।शुभम की मम्मी वन्दना जी ने शुभम से पूछा क्या सोनल से तुम्हारी शादी की बात चलाई जाए तो शुभम ने स्वीकृति में सिर हिला दिया। वन्दना जी इंतजार कर रही थी कि सोनल की भाई की शादी के कुछ समय बीत जाए तो फिर रिश्ता भेजा जाए ।
छै महीने हो गए सोहम की शादी के ।शुभम के पापा ने सोनल के पापा राकेश जी से कहा हम आपकी बेटी को अपनी बहू बनाना चाहते हैं । राकेश जी ने घर आकर सोनल की मां करूणा जी से बताया तो सब बहुत खुश हुए कि चलो ऐसी जगह से रिश्ता आया है जो जाना पहचाना है।और लड़का भी अच्छा देखा-सुना है।
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अच्छी नौकरी पर है। करूणा की सास का बड़ा रूतबा था घर में,जब करूणा ने सास से पूछा इस रिश्ते के लिए तो उन्होंने तुरंत अपनी स्वीकृति दे दी और कहने लगी तू बड़ी भाग्यशाली हैं ये करूणा तूझे इतनी अच्छी बहू मिली है और अब इतना अच्छा दामाद भी मिल रहा है।देखा समझा परिवार है राकेश तो काफी समय से शुभम और उसके परिवार को जानता है तू हां कर दें ।और एक बार घर बुलाकर सोनल और शुभम को मिलवा लें ।
फिर शुभम और उसके परिवार को घर बुलाया गया सोनल और शुभम आपस में मिले ।न करने का सवाल ही नहीं उठता था ।सोनल खुबसूरत थी तो शुभम भी कम नही था । छोटी सी रस्म करके रिश्ता पक्का कर लिया गया । लेकिन शादी अभी कुछ समय बाद ही होगी क्योंकि सोनल के एम बीए के एग्जाम थे उसके बाद ही शादी रखी जाएगी।
इधर कुछ दिनों से करूणा की तबीयत ठीक नहीं चल रही थी । कमजोरी , चक्कर आना , बहुत जल्दी थकान हो जाना अनियमित माहवारी से परेशान थी करूणा। राकेश जी आज डाक्टर के पास ले गए ।सारा चेकअप हुआ तो अंदर यूर्टस में कैंसर की पुष्टि हुई ।सबके चेहरे पर उदासी छा गई। काफी इलाज चला पर वो बच न पाई और छै महीने में ही उनकी मृत्यु हो गई।
आज सोनल का रो रोकर बुरा हाल था । अंतिम संस्कार में आई सभी महिलाएं कह रही थी करूणा कितनी सौभाग्यशाली थी अंतिम विदाई भी पति के कंधों पर हो रही है जिसकी तमन्ना हर महिला करती है।सोनल एक मिनट मां के बिना नहीं रहती थी बड़ी लाडली दुलारी थी वो मां की ।बस यही पर सौभाग्यवती या सौभाग्यशाली शब्द सुनकर सोनल को इस शब्द से चिढ़ हो गई थी।वो जब भी ये शब्द सुनती उसको मां की याद आ
जाती और वो दुःखी हो जाती। इसी लिए वो शुभम से कह रही थी मम्मी और दादी से कहो मुझे ये आशीर्वाद न दिया करें । कुछ और कह दिया करें जैसे खुश रहो ,या फलों फूलों ,सुखी रहो , अच्छा अच्छा बाबा बोल दूंगा मम्मी और दादी से मेरी जान अब दुखी न हो ।ये रोनी सूरत न बनाया करो हमें अच्छा नहीं लगता ।तुम तो हंसती खिलखिलाती ही अच्छी लगती हो ।और शुभम की ऐसी बात सुनकर शुभम के गले से लग गई शुभम तुम कितने अच्छे हो ।
मंजू ओमर
झांसी उत्तर प्रदेश
30 सितम्बर