सुमित और तन्मय मौसेरे भाई थे। दोनों अलग-अलग शहर में रहते थे। उनकी उम्र में 5 साल का अंतर था। वे छुट्टियों में हमेशा एक दूसरे से मिलते रहते थे। दोनों में बहुत स्नेह था। सुमित बी.टेक .कर रहा था। तन्मय11वीं कक्षा में पहुंच गया था ।उसने गणित विषय लिया था।बाकी विषय तो उसे समझ आ जाते थे लेकिन केमिस्ट्री उसे बहुत कठिन लग रही थी ।वह बहुत कोशिश करता फिर भी उसे अच्छे से समझ नहीं आ पा रहा था। उसके मम्मी पापा ने उसकी परेशानी देखकर उसे कोचिंग में भी भेजा लेकिन उसे स्कूल में और कोचिंग में दोनों ही जगह जाने पर भी अच्छे से कुछ पाठ समझ नहीं आ पा रहै थे।वह बहुत परेशान रहता था ।तनाव के कारण उसकी तबीयत भी खराब होने लगी। उसे बहुत ज्यादा सिर दर्द होने लगा।तिमाही परीक्षा में उसके बहुत कम अंक आये।
वह सोता तो हमेशा उसे एक सपना आता था कि एक नदी के बीच पत्थर में बिल्ली का बच्चा असहाय और डरा सहम बैठा है और किनारे की तरफ देख रहा कि कोई आये और उसे बचा ले। उसे यही लगता था कि वह बिल्ली का बच्चा वही है और वह केमिस्ट्री रूपी नदी के बीच फंस गया है। वह हड़बड़ा के सपने से उठ जाता था।
वह बहुत ही अच्छे चित्र बनाता था।जब उसे बार बार यही सपना दिखाई देने लगा तो उसने अपने सपने में देखे दृश्य का चित्र बनाया ।
इस बार छुट्टियां हुई तो दोनों भाई दोनों मिले। तन्मय ने सुमित को अपनी पढ़ाई की समस्या के बारे में बताया तो सुमित ने उसे कहा “अब तक तुमने मुझे उसके वारे में क्यों नहीं बताया ।मुझे भी शुरू में ऐसे ही लगता था ।लेकिन धीरे धीरे अभ्यास करने पर मुझे सब समझ में आने लगा।तू टेंशन मत ले। ” सुमित ने उसे समझाया ” हर टॉपिक को समझने का अलग अलग तरीका होता है।” उसने कुछ बेसिक चीजों को सरल करके तन्मय को समझा दिया।तन्मय को अब थोड़ा सा अच्छा लगने लगा क्योंकि कक्षा में और कोचिंग में सभी विद्यार्थियों के साथ शिक्षक पढ़ाते थे। तन्मय संकोची होने के कारण समझ ना आने की बात उन्हें बोल नहीं पाता था। सुमित ने उसके कुछ समस्याओं का समाधान आसानी से कर दिया। अब तन्मय का तनाव थोड़ा कम हो गया। जब छुट्टियां खत्म हुई तो दोनों अपने-अपने क्लास जाने लगे। सुमित को जब भी समय मिलता तन्मय को ऑनलाइन समस्याओं को समझा देता था। सुमित के समझाने का तरीका बहुत ही अच्छा था और तन्मय को उसके बताया तरीके से आसानी से समझ आने लगा। इस बार की परीक्षा में उसके अच्छे अंक आए।आज उसे सपने में वह दॄश्य दिखाई दिया पर उसमें कुछ अलग था।उसने देखा कि बिल्ली का बच्चा तो नदी के बीच एक पत्थर पर बैठा हुआ था लेकिन एक हाथी का बच्चा ऊपर से अपनी सूंड बढ़ाकर उसे बचाने की कोशिश कर रहा है। तन्मय जब सुबह उठा तो उसने इस दृश्य को अपने चित्र में उतार दिया। उसे इस चित्र के बिल्ली का बच्चा अपने रूप में आप सुमित भैया हाथी के रूप में लग रहे थे ।उसने अपने बनाए चित्र को सुमित को भेजा और उसे बहुत-बहुत धन्यवाद कहा ।अब उसे पढ़ाई में रुचि आने लगी। सुमित ने उसका हौसला बढ़ाया और कहा जब भी तुम्हें कोई विषय समझ ना आए तो ।मुझे मैसेज कर देना। मैं जब भी समय मिलेगा तो तुम्हें समझा दूंगा।” इस तरह दोनों भाई
पढ़ाई करते रहे और एक दिन सफलता का प्राप्त की।
स्वरचित
नीरजा नामदेव
छत्तीसगढ़