मुझे सपने देखने की आदत थी l पढ़ाई के दौरान जब मेरी शादी की बात होने लगी तो मैं सोचती कि मेरा एक घर होगा सुंदर सा पति होगा और मैं और मेरे पति खुशी खुशी उसे घर में रहेंगे l खूब घूमेंगे फिरेंगे और अपने घर को सजाएंगे l पढ़ाई में शुरू से मेरी रुचि कम रही l
मैंने एम ए कंप्लीट कर लिया और आगे पढ़ने कि मेरी इच्छा भी नहीं थी l मेरे पिताजी ने मेरे लिए लड़का देखना शुरू कर दिया l उन्होंने मेरे लिए घर देखा जहां माता-पिता और उनका एक इकलौता बेटा था l लड़का मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी करता था और पिता की कपड़ों की दुकान थी l मेरे पापा ने उसे घर में मेरा रिश्ता तय कर दिया क्योंकि मैं सबसे बड़ी थी मुझसे छोटी एक बहन और एक भाई था l
धीरे-धीरे शादी की तारीख पास आई गई मेरे ससुराल वालों की कोई मांग नहीं थी उन्हें केवल लड़की सुंदर चाहिए थी तो उन्होंने मुझे पसंद किया था l मेरी और मेरे होने वाले पति राजेश की राय भी ले ली थी l
धीरे-धीरे वह दिन भी आ गया जब मैं दुल्हन बनी और अपने सपनों के राजकुमार के साथ अपने ससुराल पहुंच गई l वहां पर सभी परिवार वालों ने मेरा भव्य स्वागत किया l और एक-दो दिन में नई बहू की सारी रस्में पूरी कर ली गई l उसके बाद धीरे-धीरे मेहमानों का जाना शुरू हो गया और घर पर मैं मेरे पति और सास ससुर चार लोग ही रह गए l
मेरे पति अपने मां बाप की इकलौती संतान थे इसलिए मेरे सास ससुर हम लोगों के साथ ही रहते थे l मेरे सास ससुर मुझे बहुत प्यार करते थे और किसी मामले में कोई पाबंदी भी नहीं लगते थे परंतु फिर भी उनके साथ रहने में मुझे दिक्कत हो रही थी मुझे कुछ घुटन सी महसूस होती थी l मेरे पति राजेश जी भी मुझे बहुत प्यार करते थे
परंतु फिर भी मैं घर में एडजस्ट नहीं कर पा रही थी l इसी तरह शादी के 6 महीने गुजर गए तभी मैंने अपने पति राजेश जी से कहा कि मुझे अलग घर में रहना है l उन्होंने मुझे समझा दिया कि मैं मां-बाप का इकलौता बेटा हूं अलग कैसे हो सकता हूं और बात आई गई हो गई l
फिर मैं रोज-रोज उनसे अलग रहने को कहने लगी परंतु वे अपने माता-पिता को छोड़ने को तैयार नहीं थे मुझे ही समझते रहते l
जब मेरी बात सीधे से नहीं बनती दिखी तो मैं बेवजह है लड़ाई झगड़ा शुरू कर दिया रोज कुछ ना कुछ बात पर बहस करने लगी l कुछ दिनों बाद जो मैं चाहती थी वही हुआ रोज के झगड़े से तंग आकर मेरे सास ससुर ने अपने बेटे से कहा की बहू हमारे साथ नहीं रहना चाहती है तुम अलग घर ले लो और शांति से रहो l
राजेश जी ने अलग घर ले लिया और हम दोनों पति-पत्नी उसमें शिफ्ट हो गए l मैं बहुत खुश थी मेरे पति एक मल्टीनेशनल कंपनी में इंजीनियर थेl ऑफिस से आने के बाद कभी पार्क और कभी शॉपिंग मॉल में शाम बिताती l एक दिन घर पर काम करते-करते मुझे चक्कर से आने लगे डॉक्टर को दिखाया तो पता चला कि मैं 2 माह की गर्भवती हूं l फिर क्या था खुशी दुगनी हो गई मेरे पति भी बहुत खुश थे l परंतु मैं अभी यह बात अपनी सास को नहीं बताई थी l क्योंकि हम दोनों अकेले समय बिताना चाहते थे l
एक दिन अचानक से मेरी तबीयत खराब हो गई मेरे पति मुझे डॉक्टर के पास लेकर गए l डॉक्टर ने कहा कि मुझे घर का कुछ काम नहीं करना है बेड रेस्ट करना है नहीं तो गर्भपात होने का खतरा है l अब घर के काम की दिक्कत हो गई मैंने अपनी मां को फोन किया l मैंने बताया कि मुझे बेड रेस्ट बताया है इसलिए राजेश जी को ऑफिस और घर दोनों का काम करना पड़ता है आप आ जाइए l
मेरी मां बोली की एक दो महीने की बात होती तो आ जाती परंतु पूरे 9 महीने की बात है तुम्हारे भाई और पिताजी को बहुत परेशानी होगी l छोटी बहन की पढ़ाई की वजह से मां ने मना कर दिया l निराश होकर मेरे पति ने अपनी मां यानी मेरी सास को फोन किया तो वे तुरंत ही मेरे पास आ गई l मुझे बहुत प्यार किया और अपने साथ घर पर ले गई पूरी लगन से मेरी सेवा की उनकी सेवा भावना देखकर मुझे अपने आप पर शर्म आने लगी l मैं अपनों के महत्व को नहीं जाना और मेरी सास कितनी महान है जिन्होंने मेरी सारी हरकतों को भूल कर मुझे मां से भी बढ़कर प्यार और सुख दिया l
यह सब सोचकर मैं उनके पैरों में गिरकर माफी मांगने लगी l उन्होंने मुझे गले से लगाकर कहा की बेटी में सेवा करूंगी तभी तो दादी बनूंगी l तुम मुझ पर यह उपकार कर रही हो l
ममता से भारी सास की यह बातें सुनकर मैंने जिंदगी भर उनके साथ ना छोड़ने की कसम खा ली और उसी पल एक आदर्श बहू बनने की प्रतिज्ञा की l
बिंदेश्वरी त्यागी
स्वरचित
अप्रकाशित ka