आज अवनि क्षितिज से झगड़ा करके मायके में आकर बैठ गई थी। क्षितिज बार बार फोन कर रहा था पर अवनि फोन नहीं उठा रही थी। शादी के समय बहुत सीधी साधी सी दिखने वाली अवनि शादी के बाद बात बात में तुनक जाती थी और मुंह फुलाकर बैठ जाती थी।और नहीं तो लोकल मायका था जब चाहे मायके चली जाती थी।घर में सास अनुपमा जी से पूछती भी नहीं थी।
अवनि और क्षितिज की अभी छै महीने पहले शादी हुई है।जब अनुपमा और उनके पति नीरज और क्षितिज पहली बार अवनि को देखने गए थे तो अवनि बहुत सौम्य सुशील सरल और शांत दिखी थी हंसती मुस्कुराती सी। लेकिन एक बार की मुलाकात में आप किसी को कुछ नहीं कह सकते।पहली नज़र में ही सबको पसंद आ गई थी सबको अवनि।
उसके बाद क्षितिज ने कहा मैं अभी शादी नहीं करूंगा मैं उससे दो तीन बार और मिलना चाहता हूं तब ही तय करूंगा। क्षितिज ने अवनि के सामने ये प्रस्ताव रखा तो वो बात मान गई ।दो तीन मुलाकातों के बाद क्षितिज ने हामी भर दी शादी के लिए। पहले सगाई हुई फिर दो महीने बाद शादी हो गई । शादी के दो महीने तक तो सब ठीक था लेकिन उसके बाद अवनि कोई न कोई डिमांड करने लगी । दरअसल अवनि एक साधारण परिवार से थी ,दो बहन और एक भाई थे ।
पिताजी एक प्राइवेट कंपनी में पचास हजार की नौकरी करते थे।रहने सहन बिल्कुल साधारण था । तीन तीन बच्चों की परवरिश पढाई लिखाई आज के समय में इतनी कम तनख्वाह में मुश्किल होता है।बस घर उनका अपना था पुश्तैनी। अवनि ने भी किसी तरह जोड़-तोड़ करके छोटे से कालेज से एम बीए कर लिया था । अवनि के पापा तो ठीक थे पर मां गांव की अक्खड़ थी ।घर में अवनि की दादी रहती थी । अवनि देखने सुनने में अच्छी थी और अनुपमा और नीरज की तरफ से दहेज वगैरह की कोई मांग नहीं थी तो शादी के लिए अवनि को पसंद कर लिया ।
इधर क्षितिज इंजीनियर था और अच्छी नौकरी पर था।घर में नवीन जी का बिजनेस था बहुत तो नहीं था फिर भी अच्छा था। क्षितिज की एक बहन थी जो दिल्ली में नौकरी करती थी। अवनि जब शादी होकर घर आई तो घर का रहने सहन देखकर उसे लगा घर में बहुत पैसा है चाहे जो मांग लो ।
शादी के बाद एक दिन अनुपमा ने कही बेटा अवनि यहां हम समाज के बीच में रहते हैं यहां जिंस मत पहनना बाकी जब क्षितिज के साथ कहीं जाओ तो पहन सकती हो तो अवनि ने तपाक से जवाब दिया था अपने घर में तो मैं पहनती हूं यहां पर मेरे कपड़े पहनने पर भी आजादी नहीं है क्या, अनुपमा जी हैरान रह गई सीधी साधी सी दिखने वाली अवनि ने कैसे तड़ाक से जवाब दे दिया ।
अवनि की शादी के छै महीने बाद अवनि के ताऊजी के लड़के की शादी पड़ी थी ।इस शादी में पहनने के लिए अवनि साढ़े तीन लाख के हार की डिमांड कर रही थी क्षितिज से । क्षितिज बोला मैं एकदम से इतने पैसे नहीं खर्च कर सकता । अवनि बोली इतना कमाते हो एक चार लाख का हार नहीं दिला सकते हो ।
कमाता हूं तो क्या पैसे को सोंचसमझ कर खर्च किया जाता है ।और फिर कौन सा तुम्हारे सगे भाई की शादी है ताऊजी के लड़के की है और तुम्ही बता रही थी कि ताऊजी से हम लोगों की ज्यादा बनती नहीं है।और अभी पिछले महीने करवा चौथ निकली है उसमें तुम्हें एक लाख दस हजार का कान के ईयरिंग दिलाई थी और मम्मी ने भी गले की सोने की चेन दी थी ।
अरे अभी रूको एकदम से तो सबकुछ नहीं खरीदा जा सकता ।अरे तो घर में पापा से पैसे मांग लो ना अवनि बोली , नहीं मैं पापा से पैसे नहीं मांगूंगा ।मैं तुम्हारी बीबी हूं तुम मुझे खुश नहीं रखना चाहते। क्या केवल जेवर से ही खुश होगी क्षितिज बोला ।बस इसी बात पर दोनों में बहस इतनी बढ़ गई कि तूं तूं मैं मैं होने लगी और अवनि मायके में आकर बैठ गई ।
असल में अवनि की तीन मौसेरी बहनें थीं और दो मामा की बेटियां थीं सबके सामने अपने ससुराल का रौब दिखाती थी कि क्षितिज की इतनी अच्छी सैलरी है और हमारा ससुराल भी अच्छा है पैसे से । क्यों कि अवनि एक साधारण से परिवार से थी और उसको घर में सबकुछ बहुत ज्यादा लग रहा था सोचती थी चाहे जो मांगो सब मिल जाएगा।
क्षितिज बार बार फोन कर रहा था अवनि को पर वो उठा नहीं रही थी । फिर क्षितिज ने मम्मी को फोन किया कि अवनि की मम्मी से बात करो ऐसी ऐसी बात है। अनुपमा ने अवनि की मम्मी को फोन लगाया और शिकायत की अवनि की तो अवनि की मम्मी बोलने लगी इतनी अच्छी लड़की है हमारी आप लोग ठीक से नहीं रखते अरे प्यार से बेटी की तरह रखें क्षितिज जी लड़ाई करते रहते हैं । अनुपमा जी बोली बिना मतलब के लडाई झगड़ा होता रहता है ऐसे थोड़े ही होता है अब ताऊ के लड़के की शादी है तो चार लाख का हार दिला दो ,बहू है घर की इकलौती ये भी नहीं कर सकती क्या अवनि की मम्मी बोली ,अरे इकलौती बहू है तो क्या वो जो भी डिमांड करें बस मान जाए । अनुपमा ने फोन बंद कर दिया अरे ये तो फ़ूहड़ औरत है इससे तो बात करना ही बेकार है।
अवनि की मम्मी की और अवनि की सांस की बातें वहां बैठी अवनि की दादी सुन रही थी वो बोल पड़ी क्यूं री बहुरिया तू अपनी बेटी को ससुराल में बसने न देगी क्या , बेटी कुछ ग़लत करती है तो उसे समझाने के बजाय तू और बढ़ावा देती है उसे। कुछ माएं खुद ही बेटियों का घर बर्बाद कर देती है ।
अरे अभी शादी के दिन ही कितने हुए हैं अच्छे लोग हैं बिना दान दहेज के शादी हो गई अभी दूसरी जगह करती तो पसीने छूट जाते।अरे जरा ससुराल में रहने दो ससुराल वालों का दिल जीतने दे अवनि को ससुराल में अपनी जगह बनाने दे अरे तू तो कुछ नू समझती सब बर्बाद कर देगी ।
अपनी बहू को डांटने के बाद अवनि की तरफ मुखातिब हुई दादी ये क्या हैं अवनि रोज रोज मायके आकर बैठ जाती है। बेटा अभी तेरी नई नई शादी हुई है वहां रहेगी तभी तो ससुराल के लोगों को अच्छे से समझ पाएगी । ससुराल में इज्जत पाने के लिए अपनी जगह बनाने के लिए खुद को प्रयास करना पड़ता है बेटा ।सास भी तो मां होती है मां डांट दे तो कुछ नहीं सास कुछ कह दे तो मुंह फुलाकर बैठ जाना ऐसे थोड़े ही होता है ।हम लोगों ने तो अपनी सास ससुर की कितनी बातें सुनी है तो क्या ससुराल छोड़कर क्या भाग आती थी ।
क्या हुआ अगर अभी हार नहीं दिलवाया तो उस घर की अकेली बहू है तू सबकुछ तेरा ही तो है । बेटा प्यार से रह बड़ों का आदर कर और पति को भी अभी समझने में वक्त लगेगा अभी वक्त ही कितना हुआ है शादी को।देख मेरी बात मान और बात कर क्षितिज से मैं देख रही थी वो बार बार फोन कर रहा था तुम्हें ।
नाराज़गी दूर कर इस तरह से रिश्तों में कड़वाहट न भर ।सुन रही है कि नहीं मेरी बात अवनि , हां दादी सुन रही हूं। तेरी मां तो तूझे ससुराल में बसने ना देगी उल्टी सीधी पट्टी पढ़ाती है। बेटा तू पढ़ी लिखी है अपने दिमाग से काम लें ।इस तरह अपना घर बर्बाद न कर । रिश्तों को संभाला जाता है सहेजा जाता है वक्त दिया जाता है तभी रिश्ते मजबूत बनते हैं ।और अपनी जगह भी मजबूत होती है ससुराल में।ऐसे ही नहीं एक अपरिचित परिवार अपना हो जाता बेटा, जा बेटा जा क्षितिज को फोन कर ।
दादी की बात मानकर अवनि ने क्षितिज को फोन लगाया हेलो क्षितिज सारी , चलो अच्छा बाद में कभी हार ले लेंगे ।तुम कब आ रहे हो शादी में ।मैं एक दिन पहले आ जाऊंगा ।
आज शादी में दोनों खूब हंसी खुशी से झूम रहे थे और मस्ती कर रहे थे । क्षितिज ने भी कोई पुरानी बात न छेड़कर शादी का लुत्फ उठाया।
मंजू ओमर
झांसी उत्तर प्रदेश