ससुराल की अहमियत (भाग -2) – स्वाती जैंन : Moral stories in hindi

अर्चना जी ने सोचा था दोनों बहने एक ही घर में ब्याहकर आएंगी तो मिलकर रहेंगी और घर को स्वर्ग बना देंगी मगर वे कहां जानती थी कि दोनों सगी बहने मिलकर ससुराल वालो का जीना हराम कर देंगी !!

सुधा और मंगला दोनों की शादी एक ही मंडप में एक ही दिन और एक साथ ही दोनों भाई रमेश और राजू के साथ हुई !!

शुरुवात का एक महिना तो अच्छे से कटा मगर धीरे धीरे दोनों एक दूसरे को नीचा दिखाने का एक भी मौका नहीं छोड़ती थी !!

दोनों में देवरानी जेठानी वाला रिश्ता ज्यादा और बहनों वाला रिश्ता कम दिखाई देने लगा था !!

अर्चना जी के पति नंदकिशोर जी रिटायर्ड क्या हुए दोनों बहनो में उनके रिटायर्ड हुए पैसों को लेकर बहस होने लगी कि वे पैसे किसको मिलेंगे ??

पहले से दोनों बहने सुधा और मंगला में अपने अपने पति की कमाई को लेकर तो हौड़ मची हुई ही थी , अब ससुर जी का घर , पैसा सब कुछ उनकी नजर में आने लगा था और दोनों की नजर इतनी लालची हो गई थी कि दोनों एक दूसरे से कटी कटी रहती और जब भी मौका मिलता दोनों बहने कुत्ते बिल्लियों की तरह लड़ने लग जाती !! दोनों अपने पतियों के बस में भी नहीं थी !! दोनों की लड़ाई में सबसे बुरा हाल हुआ अर्चना जी और उनके पति नंदकिशोर जी का !!

नंदकिशोर जी दोनों की लड़ाईयों से इतना आहत हो गए कि उन्हें लकवा मार गया !!

दोनों में से एक भी बहू नंदकिशोर जी की सेवा तो छोड़ो उनका हाल चाल जानने में भी दिलचस्पी नहीं दिखाती थी !!

बेचारी अर्चना जी अकेली ही नंदकिशोर जी का ध्यान रखती थी !!

सुधा और मंगला ने रसोई में अपना अपना टाईम बांध रखा था और बेचारी अर्चना जी दोनों को रसोई में काम करने भी लगती और नंदकिशोर जी का ध्यान भी रखती !!

एक दिन बड़ी बहु सुधा बोली मांजी कल सवेरे मेरे उठने से पहले सब्जी काट कर रख दीजिएगा और आटा भी गूंथ कर रख दीजिएगा और यह जो छोटी को रसोई में मदद करने लगती हो ना आप , यह मत भूलो कि आपकी और ससुर जी की दवाईयों का सारा खर्च मेरा पति उठाता हैं !! अगर मेरा पति यह खर्च उठाना बंद कर दे तो तुम दोनों बुढ़े यूं ही खांस खांसकर मर जाओगे !!

अर्चना जी कुछ बोलती उससे पहले सुधा ने अपने बेडरूम का दरवाजा उनके मुंह पर ही बंद कर दिया !!

दूसरे दिन जब मंगला सुबह रसोई में कुछ काम से आई तो उसने देखा कि सासू मां बड़ी जेठानी सुधा के उठने से पहले ही रसोई का आधा काम सलटा चुकी हैं !!

मंगला तपाक से बोली मांजी क्या बात हैं ?? बहुत सेवा कर रही हो बड़ी जेठानी की आप !!

सुबह का खाना वह देती हैं तो रात का खाना मैं देती हुं आप लोगों को यह तो याद ही होगा ना !!

उतने में सुधा अपने कमरे से बाहर आ गई और बोली छोटी तेरा पति सिर्फ इस घर में नाम के पैसे देता हैं समझी और मेरा पति घर के ज्यादातर खर्च उठाता हैं तो मांजी को मेरा काम ज्यादा करना होगा तेरा नहीं समझी !!

अर्चना जी की आंखों से झर झर आंसू बह निकले और वह बोली यह कैसे दिन दिखा रही हो तुम दोनों हमें ??

मुझे बहुत लोगों ने मना भी किया था कि एक ही घर की दो बेटियों को बहू मत बनाओ मगर मैंने सोचा कि दो बहने कभी देवरानी जेठानी नहीं बनती , उनमें तो बहनो वाला प्यार जो होता हैं शायद मेरी मति ही मारी गई थी जो मैंने एक ही घर की बेटियो को अपने घर की बहु बनाया !! 

सच ही कहते हैं लोग एक औरत ही घर संवारती हैं और एक औरत ही घर बिगाड़ती भी हैं !! तुम दोनों के लिए तो हम लोगों की कोई अहमियत ही नहीं हैं !!

ना सास ससुर का कुछ लिहाज हैं और ना अपने पतियों का !!

उतने में छोटी बहु मंगला बोली चुप कर बुढ़िया !!

आज मैंने अपनी आंखो से तुझे सुधा दीदी के लिए ज्यादा काम करते पकड़ लिया हैं तो तु भाषण देने लग गई और अब तक कहां छुपा रखे थे यह आंसू !!

अब शाम को मेरे कमरे में से बाहर आने से पहले दाल चावल की तैयारी करके रखना वर्ना मुझसे बुरा कोई ना होगा !!

अर्चना जी की आंखो से आज आंसूओ का सैलाब बरस रहा था और बेचारे नंदकिशोर जी जो बिस्तर पर पड़े पड़े यह सब कुछ अपनी आंखो से देख रहे थे , अपनी ही किस्मत पर रो रहे थे कि यह कैसे दिन देखने पड़ रहे हैं उन्हें और उनकी पत्नी को !!

सबसे ज्यादा दुःख तो उन्हें इस बात का हो रहा था कि वे अपनी पत्नी के लिए ना कुछ बोल सकते हैं और ना कुछ कर सकते हैं !!

उनकी आंखो से भी आंसू बह रहे थे बस !!

थोड़ी देर में अर्चना जी नंदकिशोर जी के लिए खाना ले आई और उन्हें खिलाते हुए बोली आप क्यूं रो रहे हैं ?? देखना आप जल्दी ठीक हो जाएंगे मगर नंदकिशोर जी बस एकटक अर्चना जी को देखे जा रहे थे , जैसे कह रहे हो अर्चना मैं तुम्हारे लिए कुछ नहीं कर पाया !!

दूसरे दिन सुबह नंदकिशोर जी उठाने पर भी नहीं उठे क्योंकि उन्होंने अपनी आंखें हमेशा के लिए बंद कर दी थी !!

आए दिन बहुओं के रवैये से उनके दिल को सदमा लग गया था और वे भगवान को प्यारे हो गए थे !!

अब अर्चना जी ओर अकेली हो गई थी और उनके साथ बहुओं का रवैया ओर बुरा हो गया था !!

दोनों भाई भी अपनी अपनी पत्नियों से परेशान हो चुके थे मगर सुधा और मंगला अपनी मनमानी करने में बाज कहां आती थी !!

रमेश अपने छोटे भाई राजू को अपना छोटा भाई नहीं अपने बेटे की तरह प्यार करता था और छोटा भाई राजू भी बड़े भाई रमेश को  पिता की तरह इज्जत देता था मगर उनकी पत्नियां सगी बहने होकर भी एक दूसरे के लिए चुडैल की भूमिका निभाती थी और सारे घरवालों का जीना दुर्भर कर दिया था , उनके इस तरह के रवैए में दोनो भाई और उनकी मां अर्चना जी पीस कर रह गए थे !!

एक दिन रमेश बहुत उदास बैठा हुआ था तभी अर्चना जी उसके पास आई और बोली बेटा क्या बात हैं ?? तु आजकल बहुत उदास रहने लगा हैं !!

रमेश बोला मां मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा मैं क्या करूं ?? छोटे भाई के लिए कुछ भी सोचता हुं तो खुदगर्ज कहलाता हुं !!

सुधा तानो की बौछार से मेरा जीना हराम कर देती हैं !! वह राजू और मंगला से इ तनी नफरत करती हैं कि उनकी शक्ल तक नहीं देखना चाहती !!

अर्चना जी बोली रमेश , जब पानी सर से उपर चला जाए तो उसी समय सही निर्णय ले लेना चाहिए !!

तुम दोनों के घर की शांती भंग ना हो इसलिए तुम दोनों भाईयो का अलग हो जाना ही अच्छा होगा !!

रमेश बोला मां छोटे के पास कहां इतने पैसे हैं कि वह अलग रहे और सुधा मुझे छोटे की मदद करने देगी नहीं मगर अब मुझे सुधा से छुपाकर राजू की मदद करनी होगी ताकि उसे पता ना चले और घर की शांति भी भंग ना हो !!

अर्चना जी जानती थी रमेश एक अच्छा बेटा होने के साथ साथ एक अच्छा भाई भी हैं इसलिए वह सुधा घर में उनके साथ कैसा बर्ताव करती हैं यह बातें कभी रमेश को बताती नहीं थी क्योंकि वे जानती थी रमेश अपनी मां का अपमान सहन नहीं कर पाएगा और उन्हें डर था कि रमेश यह सब सुनकर कहीं सुधा पर हाथ ना उठा दे !!

इस घर से नंदकिशोर जी की यादें जुड़ी थी इसलिए वह यह घर भी छोड़ना नहीं चाहती थी !!

 दूसरे दिन सुबह सुबह फिर दोनों बहनें सुधा और मंगला किसी बात पर झगड़ पड़ी , उतने में वहां राजू आकर अपनी पत्नी मंगला को डांट लगाकर बोला बड़ी भाभी तो किसी बात को नहीं समझती , कम से कम तुम तो समझा करो !!

यह सुनते ही सुधा चिल्लाकर बोली देवर जी मुझसे अगर आपको इतनी ही दिक्कत हैं तो अलग रहने क्यों नहीं चले जाते ??

राजू भी ताव में आकर बोला भाभी अगर आप दोनों बहनों का व्यवहार इसी तरह का रहा तो वह दिन दूर नहीं जब मुझे अलग रहने जाना पड़ेगा !!

सुधा बोली कल जाते हो तो आज जाओ और तुम्हारी मां को भी यहां से ले जाना ताकि यह यहा रहकर मेरी छाती पर मूंग ना दले !!

राजू बोला जरूर ले जाऊंगा वैसे भी यहां रहकर मां को क्या खुशी मिल गई अब तक ??

जब सारे झगड़े की खबर बड़े भाई रमेश को लगी तो उसने तुरंत राजू को एक घर लेकर दे दिया और सुधा से कहा कि राजू ने उसे बड़े भाई होने के नाते घर लेने में सिर्फ आगे रखा था बाकि रुपए – पैसे से उसने उसकी कोई मदद नहीं की हैं !!

यह सब सुनकर सुधा के कलेजे को ठंडक पड़ गई थी और आज इसी बात पर वह पति से बहस कर रही थी !!

यही सब बातें सोचते सोचते अर्चना जी की आंख लग गई और जब सुबह वे उठी तो देखा सुधा कहीं दिखाई नहीं दे रही थी !!

उन्हें चाय की जोरों से तलब लगी थी वैसे ही उन्हें सुबह सिर्फ चाय ही तो नसीब होती थी वह भी खुद ही तो बनानी पड़ती थी मगर रसोई में ताला लगा हुआ था और सुधा कहीं दिखाई नहीं दे रही थी !!

थोड़ी देर बाद सुधा ने रसोई का ताला खोला और नहाने चली गई !!

अर्चना जी रसोई में अपने लिए चाय बनाने चली गई , अर्चना जी चाय में दूध डाल रही थी तभी पीछे से सुधा आकर बोली दूध बहुत महंगा हो गया हैं मांजी , जरा संभालकर डालिए , मेरे पति के पैसों से आता हैं यह सब , तुम्हें तो बैठे बैठे सिर्फ अपने लिए घी , मेवे और दूध चाहिए !!

अर्चना जी बोली बहु तुम्हारा पति मेरा भी बेटा हैं , बार बार अपने पति के पैसों का धौंस ना जमाओ , कुछ कहती नहीं हुं इसका मतलब यह नहीं हैं कि कुछ भी बोलती रहोगी !!

सुधा गुस्से में बोली बुढ़िया , मुझसे जबान चलाएगी , बहुत शौक हैं ना चाय पीने का !!

रुक तुझे बताती हुं चाय कैसे पी जाती हैं बोलकर गर्म गर्म चाय लेकर अर्चना जी पर डालने जा ही रही थी कि रमेश रसोई में आ गया और उसने यह दृश्य देख लिया , उसने तुरंत सुधा को झन्नाटेदार चाटा गाल पर जड़  दिया और बोला तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी मां से इस तरह बात करने की और तुम यह क्या करने जा रही थी ??

अगर मेरी मां को कुछ हो जाता तो …. बोलकर वह सुधा को फिर से मारने जा रहा था कि सुधा अर्चना जी के पीछे छुपते हुए बोली जी मुझे माफ कर दीजिए , आइंदा से कभी ऐसा नहीं होगा !!

मैं आवेश में आ गई थी !!

रमेश ने सुधा की एक ना सुनी और उसे अर्चना जी के पीछे जाकर मारने वाला था कि अर्चना जी ने उसका हाथ रोकते हुए कहा क्या यहीं संस्कार दिए हैं मैंने तुम्हें ??

एक औरत पर हाथ उठाने से पहले शर्म नहीं आई तुझे ??

रमेश बोला मां तुम इसे मत बचाओ , तुम तो जानती ही हो इस औरत ने सबको बर्बाद कर दिया हैं !!

अर्चना जी ने जैसे तैसे रमेश को रोका और बोली इसको अंतिम मौका दे दो रमेश , शायद यह सुधर जाए !!

 रमेश ने मां की बात मान ली मगर सुधा कहां सुधरने वालो में थी , वह कहते हैं ना कुत्ते की पूंछ हमेशा टेढ़ी ही रहती हैं !!

दूसरे दिन सुधा अपनी सहेली के साथ मार्केट गई हुई थी वहां उसने जो देखा वह देखकर उसके पैरों तले जमीन खिसक गई , उसने देखा कि उसकी देवरानी मंगला वहीं मार्केट से सटी एक कॉलोनी में एक घर का ताला खोलकर अंदर जा रही थी , जिसे देखकर उसे बहुत गुस्सा आया और वह घर आकर रमेश पर बरसते हुए बोली – तुम तो कह रहे थे मंगला और राजू हमसे बहुत दूर रहने चले गए हैं मगर वे तो यहां पास ही के मकान में रह रहे हैं मतलब तुमने मुझसे सब कुछ झूठ बोला !!

सच सच बताओ वह घर किसके पैसों से खरीदा गया हैं और तुम्हारी मां के पास रहने का इतना ही शौक हैं तुम्हारे छोटे भाई को तो इस बुढ़िया को भी अपने साथ क्यों नहीं ले जाता ??

यह सब सुनकर अब रमेश का पारा भी चढ़ गया था और उसने ना आव देखा ना ताव और वह सुधा को मारने लगा !!

अर्चना जी ने रमेश को रोकने की बहुत कोशिश की मगर रमेश अर्चना जी को एक किनारे कर बोला मां तुम आज बीच में मत आओ !! इस औरत ने मेरा पुरा घर तबाह करके रख दिया हैं !!

अर्चना जी ने झट से छोटे बेटे राजू को फोन कर घर बुलाया !!

थोडी देर में राजू और मंगला भी घर आ गए !!

राजू रमेश को रोकने की कोशिश करने लगा तो मंगला बीच में ही बोली – वाह !! यहां तो अच्छा खासा तमाशा चल रहा हैं !!

अच्छा हुआ मैं भी साथ आ गई वर्ना यह तमाशा देखने का लुफ्त नहीं उठा पाती !!

राजू ने तपाक से एक चाटा मंगला के गाल पर जड़ दिया और बोला भैया हम दोनों भाईयों की ही गलती हैं जो आज तक इन दोनों बहनों को झेल रहे थे !!

अब भी देर नहीं हुई , इन दोनों बहनों को हमेशा के लिए इनके मायके ही भेज देना चाहिए ताकि हम लोग सुख चैन से रह पाए !!

वैसे भी इन बहनों ने मिलकर हमारा जीना हराम कर रखा हैं !!

मायके में बैंठेंगी और वहां बोझ बनेंगी तभी इन्हें पता चलेगा कि ससुराल , सास और पति की इज्जत क्या होती हैं ??

रमेश बोला तु ठीक कह रहा है छोटे , मैं भी इन रोज रोज की लड़ाईयों से तंग आ गया हुं !!

रमेश ने सुधा का सारा सामान अलमारी में से बाहर फेंक दिया और बोला निकल जाओ अभी की अभी मेरे घर से !!

दूसरी तरफ राजू भी मंगला का हाथ पकड़कर खींचते हुए बोला चलो तुम भी जाकर अपना सामान समेटो और निकलो मेरे घर से !!

अब तक मैं तुम्हारे साथ बहुत अच्छा था शायद इसलिए यह दिन देखने पड़ रहे हैं मुझे आज मगर अब ओर नहीं !!

दोनो भाइयों का यह रूप देखकर दोनों बहनें डर गई और अपने अपने पतियों से माफी मांगने लगी मगर दोनों भाई टस से मस ना हुए !!

अर्चना जी अपने दोनों बेटों को समझाते हुए बोली बेटा , क्या यहीं संस्कार दिए हैं मैंने तुम्हें ?? क्या एक लड़की को शादी के बाद छोड़ना तुम्हें शोभा देता हैं ??

रमेश बोला देखा सुधा !! जिस सास की तुमने कभी अहमियत नहीं समझी , उन्हें इज्जत नहीं दी वहीं आज तुम दोनों को बचाने आई हैं !!

सुधा और मंगला दोनों अर्चना जी के पैरों में गिर पड़ी !! सुधा बोली मांजी मैंने आप पर इतने अत्याचार किए फिर भी आप आज मुझे घर से निकलने नहीं देना चाहती !! 

मंगला बोली मां हम दोनों बहने पैसों की लालच में अंधी हो गई थी , हम दोनों छोटी थी तो अपनी सारी चीजें एक दूसरे को बांटा करती थी मगर शादी के बाद हमारी मति मारी गई थी !! मैंने भी आपका बहुत अपमान किया हैं , मुझे माफ कर दीजिए !!

दोनों बहनों ने एक दूसरे से भी माफी मांगी !!

सुधा बोली मंगला तु सच कह रही हैं हम दोनों कुंवारी थी तो एक दूसरे का कितना ख्याल रखती थी , अब से हम दोनों इस पुरे परिवार को जोड़कर रखेंगी और खुद भी जुड़कर रहेंगी !!

यह संयुक्त परिवार अब फिर से एक साथ रहने लगा था !!

आज दोनों को अपने ससुराल , सास और पति की अहमियत समझ आ गई थी !!

दोस्तों , एक लड़की के लिए उसका घर , परिवार , पति सब कुछ होता हैं मगर कुछ औरतें यह परिवार तोड़ना चाहती हैं और अकेले घर पर राज करना चाहती हैं !!

वे यह भूल जाती हैं कि जमीन जायदाद , पैसों का लालच एक दिन उनकी खुद की हस्ती भी डूबो ले जाता हैं !!

यह कहानी आपको कैसी लगी कृपया कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं  

आपकी सखी

स्वाती जैंन

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