ससुराल – वीणा सिंह : hindi story

hindi story  : बचपन से ससुराल शब्द सुनती आई हूं.. कभी कौतूहल लगता था तो कभी उत्सुकता कभी अनजाना सा भय तो कभी खुशी और शर्म से कपोल लाल हो जाते.. दादी कहती हमारी जया राज करेगी ससुराल में.. तो अम्मा कहती राजकुंवर के संग बिटिया की शादी करूंगी जो तुझे पलकों पर बिठा के रखेगा.. कभी गुस्सा होती तो कहती कर ले जितना बचपना और मनमानी करनी है सासरे में ये सब नहीं चलेगा.. एक पल के लिए दिल दहल जाता फिर उदास देख अम्मा छाती से लगा लेती अरे मैं तो मजाक कर रही थी..

    समय पंख लगा के आगे बढ़ता रहा..

     उन्नीसवें साल में मेरी शादी अच्छा घर वर देखकर तय कर दी गई.. ग्रेजुएशन की फाइनल एग्जाम के बाद शादी होगी..

                 मैने अम्मा बाबूजी से आगे की पढ़ाई के लिए पूछा.. बाबूजी बोले पढ़ा लिखा परिवार है ससुर बैंक मैनेजर के पोस्ट से इसी साल रिटायर्ड हुए हैं.. लड़का एमबीए कर अच्छी नौकरी कर रहा है.. छोटा भाई इंजीनियर है.. बड़ी बहन एम ए पास है..

               मेरी बहुत ईच्छा थी की शिक्षण के क्षेत्र  में अपना कैरियर बनाऊं.. सखियों के चुहल आंखों में सुनहले सपने और टीवी सिनेमा में देखे हुए  सास की ममतामयी छवि, पिता समान ससुर लछमन जैसा देवर और बड़ी बहन सी ननद , और प्यार करने वाला सुख दुख में साथ खड़ा रहने वाला पति की कल्पना मन मस्तिष्क में संजोए मैं ससुराल की दहलीज पर कदम रखा..

                   कुछ रस्मों के बाद मुझे एक कमरे में बिठा दिया गया.. कुछ खाने के लिए एक लड़की लेकर आई.. घूंघट डाले डाले लग रहा था दम घुट जायेगा.. थकावट गर्मी और मायके से पहली बार आने के कारण कुछ खाने का मन नहीं किया..

         अगली सुबह बड़ी ननद ने पांच बजे सुबह उठाकर पीले रंग की साड़ी दी और कहा नहा के तैयार हो जाओ..

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               सासु मां ने मंडप के पास ले जाकर पीला सिंदूर लगाया और लड्डू दिया..

          फिर मुंह दिखाई की रसम शुरू हुई.. और शाम में मुझे पहली रसोई बनानी थी.. और फिर शुरू हो गया मेरा ससुराल से असली परिचय..

          पांच बजे सुबह नहाकर पूजा कर सास ससुर को गरम पानी और चाय फिर ननद और देवर को ग्रीन टी पति को लेमन टी.. फिर सबकी पसंद पूछकर नाश्ता बनाना.. और नाश्ते के टेबल पर नुस्क निकालना आज तीखा ज्यादा है तो नमक कम है तो तेल बहुत है..

              सास ने बड़ी ननद को एक महीने के लिए रोक लिया था नई बहू को ससुराल के तौर तरीके सिखाने के लिए.. चाहे कितनी भी रात हो जाए सास के पैर की मालिश करना हीं था वरना अगली सुबह… ननद भी जितने दिन रही उनका भी मालिश करना पड़ता था.. 

          बड़ी ननद तीखी लाल मिर्च थी, हमेशा कमी निकालती और डांटती मन नहीं भरता तो भाई और मां से भी चुगली करती.. एक दिन सर में बहुत दर्द था एक कप चाय बना छत पर आ गई शांति से बैठ कर पीऊंगी, ननद ने देख लिया, सास के पास गई और बुला कर लाई देखो इसके लक्षण अपने लिए चाय बनाई और छुपा के छत पर पी रही है.. देखना जल्दी हीं अपना चूल्हा चौका अलग कर लेगी.. खूब हंगामा हुआ..

           रिजल्ट आ गया था ग्रेजुएशन फाइनल का.. सोचा पढ़ाई शुरू होगी तो थोड़ा माहौल बदलेगा.. सास ससुर और पति ने समवेद स्वर में कहा हमे नौकरी नहीं करवानी, बीबी की कमाई हमलोग नही खाते.. घर देखो..गृहस्थी संभालो.. ये था मेरे सपनों का ससुराल और सपनों का राजकुमार..

              पति को सिर्फ अपनी जरूरतों से रिश्ता था.. कभी मेरी खुशी भावनाओं पसंद नापसंद को समझा हीं नहीं.. सोचा था पति के साथ हिल स्टेशन सिनेमा तो कभी झील नदी झरने का आनंद लूंगी पर… सपने सपने हीं रह गए.. जया नाम बाबूजी ने कितने प्रेम से रखा था, अम्मा बिट्टो कह के पुकारती थी, सुने अरसा बीत गया.. सुनती हो, बहरी हो, कहां गई महारानी अब ऐसे संबोधन की आदत सी हो गई है.. अम्मा बाबूजी का फोन आता है या साल दो साल में कभी मायके जाती हूं तो जया और बिट्टो सुनाई देता है… 

    हर गर्मी छुट्टी में ननद पति और बच्चों के साथ आती.. पूरा महीना चक्करघिन्नी सा नाचते रहती पर फिर भी शिकायतें सुनने को मिलती.. मन और आत्मा कराह उठता..

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                 ससुर जी के रिटायर्ड दोस्तों की बैठक होती, नाश्ता चाय से शुरू होकर कई बार खाने की फर्माइश भी हो जाती.. यंत्रवत सब करती.. काश कोई तो समझ पाता आहत मन थके शरीर की व्यथा..

                      ससुराल में ऑल राउंडर ट्रेंड नौकरानी की जरूरत होती है, जो सिर्फ सर झुका के सुने..स्वाभिमान अहसास सपने सब मायके से विदा होते वक्त वहीं छोड़ कर कर्तव्य की बलि वेदी पर कुर्बान होने के लिए तैयार हो जाए..ये हर परिवार के लिए लागू नहीं है पर ज्यादातर मामलों में.. पति भी आंसू देख कहते हैं टसुवे बहा कर क्या साबित करना चाहती है.. तुम्हे छोड़ सकता हूं पर अपने मां बाप को नही.. मध्यम वर्गीय परिवार की लड़कियों का ससुराल अक्सर ऐसा हीं होता.. और पति भी ज्यादातर श्रवण कुमार.. मायके से भी यही सिख मिलती है बेटा तुम्हारी किस्मत में यही था निभाने में हीं सबकी इज्जत और भलाई है..

                      ऐसे हीं पंद्रह साल गुजर गए ससुराल में जय और जिया दो बच्चों की मां बन गई.. जया और जया के कुवारें सपने कड़वी हकीकत में झुलस कर दम तोड दिए..

    # स्वलिखित सर्वाधिकार सुरक्षित #

वीणा सिंह 

   #ससुराल

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