सासू मां का असली रूप – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : तो ये है सासू मां का असली रूप……. और सामने से तो बड़ी प्यारी बनती है…. मोबाइल पर ऑडियो क्लिप सुनते हुए स्वरा ने मन ही मन बुदबुदाया…..! 

      वो पूरा सुन भी नहीं पाई थी कि सामने शिशिर को देखते ही हड़बड़ा कर मोबाइल बंद करना चाहा….. अरे ये तो मम्मी की आवाज है…… जोर जोर से किस पर गुस्सा उतार रही हैं..?   देखूं तो…… कहकर शिशिर स्वरा से मोबाइल लेकर देखना चाहा…..

          अरे वो कुछ नहीं ….अपनी घबराहट को छिपाते हुए… दिखावटी विश्वास भरे लहजे में स्वरा ने बात टालने की कोशिश की…. वो नित्या ने कुछ ऑडियो भेजे थे …..घर के थे ना… बस वही देख रही थी ….कहकर स्वरा ने पूछा …..पानी लाऊं…??  हां ले आओ…. !  शिशिर ने भी अपनी जिज्ञासा को वही शांत तो कर दिया… पर कुछ बातों पर उसका दिमाग दौड़ने लगा….।

           और उसे माजरा समझते देर न लगी दरअसल विभा के दो बेटे थे सुशांत और शिशिर ….और दो बहूएँ थी…. नित्या और स्वरा  ……!

        शुरू शुरू में संयुक्त परिवार के रूप में सब साथ में रहते थे…… ट्रांसफर के बाद शिशिर और स्वरा अन्य शहर में रहने लगे …..

नित्या और स्वरा देवरानी जेठानी की आपस में बातें होती रहती थी …और घर की एक-एक बात नित्या… स्वरा को बताती थी… या ये कहें… कि आपस में दोनों मिलकर अपनी सासू मां की शिकायतें किया करती थीं…।

जबकि विभा ने संयुक्त परिवार की बागडोर बखूबी संभाली थी…. किसी को भी शिकायत का मौका नहीं देना चाहती थी…. घर की खुशी और एकता के लिए हर संभव प्रयास करती थी ….जो शायद उस समय बहूओं को पसंद नहीं आ रहा था….!

       हालांकि कई बातों में स्वरा और नित्या में भी मतभेद होते थे… पर जब सासु मां की चुगली करनी होती तो…. दोनों की खूब तालमेल जम जाती थी दोनों एक हो… हां में हां मिलाकर सासु मां की चुगली किया करती थीं….।

        हद तो तब होने लगी …जब चुपके से…. नित्या सासू मां द्वारा कही बातें…. टेप कर ऑडियो के रूप में स्वरा को भेजने लगी और सिर्फ स्वरा को ही नहीं ….अपने मायके और ना जाने कहां-कहां……

इन सब बातों से बेखबर विभा अपनी बहुओं से बेहद दोस्ताना व्यवहार रखती थी…. उसे थोड़ा भी आभास नही था कि ….उसके पीठ पीछे ये सब चल रहा है….।

         अब शिशिर… सारा माजरा समझ चुका था…. उसने तत्काल स्वरा से कुछ ना कह कर चुप रहना ही उचित समझा….

दूसरे दिन दफ्तर  में जाकर ….अपनी मम्मी को फोन लगाकर… बड़े प्यार से पूछा…. कल किस पर नाराज हो रही थी मम्मी…..!

       ……अच्छा तो तुझे भी पता चल गया….

          नहीं बेटा नाराज नहीं …वो तो मैं बस ऐसे ही ….समझा रही थी….. विभा ने बात टालने के अंदाज में कहा…. मम्मी मैंने आप को कड़े आवाज में किसी को डांटते हुए सुना है …..बताइए ना …….शिशिर मम्मी को धीरे से समझाना चाहता था….।

        सुना है …..??….कैसे….??

        मम्मी मैं आपसे एक बात कहना चाहता हूं ……आप सावधान रहा करें… आपकी बातों का ऑडियो क्लिप …….

       शिशिर अपनी बातें पूरी करता उससे पहले ही विभा ने बात काटते हुए कहा…… ओह…. समझ गई बेटा….. मैं तो सोचती थी …..

       आजकल फोन पर ही बातें फैलती हैं .. .पर यहां तो ऑडियो वीडियो प्रमाण के साथ शिकायतें की जाती है…..

आज विभा वाकई दुखी थी …..सोच रही थी…. भला हो शिशिर का….जिसने किसी का नाम लिए बिना …..दूरदर्शिता का परिचय देते हुए समझदारी से काम लिया….।

         अगले दिन…. खाना खाने के बाद विभा न्यूज़ पेपर लेकर कुर्सी पर बैठते हुए नित्या को आवाज लगाई….

 नित्या खाने के बाद बर्तन समेटने के काम में व्यस्त थी….. पल्लू से हाथ पोछते हुए नित्या ने लंबी सांस लेते हुए कहा….. हां बोलिए सासू मां…..

          बेटा अपना मोबाइल ले आ और आज मेरा वीडियो बना….. कैप्शन में कुछ भी लिख देना ….जो तेरा मन करे ….सासू मां आराम फरमा रही है ……मैं काम में व्यस्त हूं…… ववगैरह-वगैरह ….कुछ भी…..

    अरे ….ये क्या बोल रही है सासू मां….??     नित्या ने डरते हुए पूछा…..

       कुछ नहीं बेटा….. ऑडियो तो तू बना बना कर इधर-उधर भेजती ही है…. वो भी मेरे जाने बगैर….. चुपके से ……तो मैं चाहती हूं….. सिर्फ ऑडियो ही क्यों…… वीडियो क्यों नहीं…..??     वीडियो… इधर उधर जाएगा…… तो लोग तेरी बातों का अच्छे से विश्वास करेंगे…… ठीक कहा ना मैंने …….विभा शांति बनाए हुए…. बिना …तू – तू मैं -मैं  किए सारी बातें रख दी….।

नित्या के शरीर में काटो तो खून नहीं…. उसे तनिक भी आभास नहीं था… कि सासू मां को कभी असलियत का पता भी चल पाएगा….।

         उसे अपने किए अनुचित कार्य के लिए लज्जित महसूस हो रही थी…… फिर भी उसने लीपापोती  करनी चाही….. अरे नहीं मम्मी…. वो तो …..बस कर बहू …..अब विभा के आवाज में थोड़ी सख्ती थी…. घर को जोड़कर रखने के पीछे मेरे प्रयास को तुम लोगों ने अन्यथा लिया….।

       और एक बात सुन लो नित्या… आज मैं हूं ना बीच में ….इसलिए मुझे माध्यम बनाकर तुम लोगों की आपस में पट रही है …..वरना तुम दोनों देवरानी जेठानी का दिल से कितना पटता है…. ये तुम दोनों अच्छी तरह जानती हो……. एक कहावत भी है जब सांस की चुगली करनी हो तो बहूएं  एक हो जाती हैं….।

 खैर….. इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता नित्या…. 

           तुम कितना भी लोगों को मेरे बारे में कहते फिरो …..मेरा खुद का भी वजूद है ……अपने बनाए हुए स्वभाव के रिश्ते की अहमियतता है…

         लोग… ऑडियो वीडियो… सुन देख भले लेंगे …पर वस्तुस्थिति का आंकलन अपने दिमाग से ही करेंगे…. उसमें मेरी नहीं ….तुम्हारी ओछी मानसिकता साफ दिखाई देगी…..।

       प्लीज सासूमां…. मुझे माफ कर दीजिए ….ऐसी गलती अब दोबारा कभी नहीं होगी….. नित्या ने एक बार फिर क्षमा याचना की…..

   इतनी चालाकी से….. तुम कैसे…..

देखो बेटा …..एक बार यदि विश्वास खो दिया ना …..फिर दोबारा बनाने में वर्षों बीत जाएंगे ……और विश्वास बन पाएगा भी या नहीं …….इसकी कोई निश्चितता नहीं है …….

       विश्वास की धज्जियां उड़ जाए ये ठीक नहीं…….

थोड़ी सी मस्ती के लिए जिंदगी भर का विश्वास खो देना कहां तक उचित है ……??

प्लीज सासुमां… बस एक बार.. आखरी मौका दीजिए…. मैंने तो सिर्फ ऐसे ही मस्ती में…. नित्या आगे कुछ कहती …बात काट कर विभा ने ही कहा…

     अरे बेटा…. मेरा दिल इतना भी छोटा नहीं कि मैं तुझे माफ ना कर सकूं..  तेरे चेहरे पर पश्चाताप व शर्म  साफ दिखाई दे रहा है… फिर गलती बच्चों से ही होती है ना ।

   बेटा …  जो बीत गया वो तो वापस आ नहीं सकता… पर आगे दोबारा ऐसी चीजें ना हो…हमे उस पर ध्यान देना चाहिए…।

दोस्तों ….एक मां या सास शायद ऐसे कृत्यों को माफ कर भी दे …पर क्या वो दुबारा विश्वास कर पाएगी…? जिंदगी भर एक संदेह मन में नही रह जाएगा..!

( स्वरचित मौलिक और सर्वाधिकार  सुरक्षित रचना)

 # माफ करने वाले का दिल बहुत बड़ा होता है

     श्रीमती संध्या त्रिपाठी

# माफ करने वाले का दिल बहुत बड़ा होता है

 

 

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