सासु जी तूने मेरी कदर ना जानी : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : सुदर्शन और पुष्पा का एक ही बेटा संजय था कुछ महीने पहले ही उसकी शादी हुई थी और रचना बहू बनकर परिवार में आई थी ।

वह आधुनिक युग की लड़की थी । संजय के साथ उसके ही ऑफिस में नौकरी करती थी । वह पढ़ी लिखी होने के बाद भी संस्कारी थी ।

रोज सुबह उठकर नहा धोकर भगवान को दिया जलाकर पूरे घर के काम करती थी । अपने और अपने पति के लिए लंचबॉक्स तैयार करके सास ससुर के लिए सब टेबल पर रख कर चली जाती थी । शाम को ऑफिस से आते ही फिर खाना बनाना सारे काम निपटाने के बाद सोने के लिए जाती थी ।

 सुदर्शन रिटायर होने के बाद अपने दोस्तों के साथ मिलकर व्यस्त हो गए थे । 

पुष्पा के साथ कभी बाहर चले जाते थे कभी अकेले ही घूम लेते थे । 

उस दिन ऐसे ही वॉक करके अंदर आने को थे कि पुष्पा की आवाज़ सुनाई दी थी कि रचना मैं देख रही हूँ कि आजकल तुम्हारा मन काम करने में नहीं लगता है । 

रचना— माँ मुझसे कोई गलती हो गई है क्या बताइए । 

पुष्पा- मैं बताऊँगी तब सुधारोगी अपने आप को । कभी खाने में नमक कम तो कभी अधिक तुम भी तो खाती हो । 

रचना ने कुछ नहीं कहा और वह वहाँ से चली गई ।

दूसरे दिन रचना ने पति से कहा घूमने चलते हैं ना ।

संजय ने कहा चलो । दोनों शाम को घूमने गए थोड़ी देर बाद आ गए बहू फ्रेश दिख रही थी ।

सुदर्शन को उनके दिन याद आए जब पुष्पा कहती थी कि मंदिर चलें ।

वे समझ जाते थे कि उसे बात करनी है । सुदर्शन की माँ भी बहू को बहुत बातें सुनाती थी । जब पुष्पा का दिल भर जाता था तो वह कहती थी कि मंदिर चले । मैं उसे मंदिर ले जाकर उसके दिल की सारी शिकायतें सुनता था । उसे विश्वास दिलाता था कि मैं अपने माता-पिता का इकलौता बेटा हूँ उन्हें छोड़ नहीं सकता हूँ । 

पुष्पा- मैंने आपसे कब कहा कि हम अलग रहेंगे बस मुझे दुख इस बात का है कि सासु जी को मेरी कदर नहीं है । मेरे दिल की बातें आपको सुना देती हूँ तो जी हल्का हो जाता है। 

आज बहू बेटे को लेकर बाहर गई तो उन्हें लगा पुष्पा को भी कल बाहर ले जाना पड़ेगा । मैं भी बहुत दिनों से देख रहा हूँ पुष्पा की हरकतों को पानी सर पर से चला जाए इससे पहले उसे सँभालना पड़ेगा । इसलिए दूसरे दिन उसने पुष्पा से कहा कि चल पुष्पा मंदिर चलते हैं । उसको लेकर मंदिर पहुँच गया और उसे कल की बातों को याद दिलाया और कहा पुष्पा तुम्हारी सास तुम्हारी कदर नहीं करती थी यह तुम्हारी शिकायत थी हाँ या नहीं?

उसने आश्चर्य चकित होकर कहा कि यह बात आप भी तो जानते हैं ना मैंने कितनी सेवा की थी उनकी लेकिन उन्हें मेरी कदर नहीं थी ।

ओह बहुत बढ़िया अब तुम अपनी बहू के साथ क्या कर रही हो । 

पुष्पा-  मैंने क्या किया है ? 

सुदर्शन-  देख पुष्पा कल मैंने तुम्हारी बातें सुन ली है जो तुमने बहू से कही है । वह नौकरी करती है फिर भी हमारे लिए सब कुछ कर देती है । उसके बाद भी तुम खुश नहीं रहती हो । अपने समय को याद करो पुष्पा । बहू को प्यार दे और उसकी कदर कर अन्यथा वह भी कहेगी कि सासु जी तूने मेरी क़दर न जानी । 

पुष्पा कुछ पल के लिये चुप रही और सोचने पर मजबूर हो गई थी कि मैं कितनी गलत थी। उसे लगा कि ऐसा क्यों होता है कि सासु माँ बनते ही बहू में सिर्फ़ ग़लतियाँ ही नज़र आती हैं । उसने पति से वादा किया था कि अब मैं अपने आप में बदलाव लाऊँगी फिर कभी आपको इस तरह मंदिर आने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी । उसने दूसरे दिन से ही अपने आप को बदलने की कोशिश शुरू कर दी थी ।

के कामेश्वरी 

साप्ताहिक विषय- सासु जी तूने मेरी कदर ना जानी

 

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