सासू मां!! आखिर चुप्पी कब तक?? –  कनार शर्मा

रिश्तो के बीच कई बार छोटी-छोटी बातें बड़ा रूप ले लेती है… सारिका तुम घर की बड़ी हो छोड़ो ना इन सब बातों को… क्यों अपना दिल जलाती हो?? तुम चिंता मत करो मैं तुम्हारे लिए बिल्कुल वैसा ही रानी हार दोबारा बनवा दूंगा… मनोज ने अपनी पत्नी को हर बार की तरह एक बार फिर धीरज बंधाते हुए बोला।

हां बड़ी हूं तो क्या करूं इसमें मेरी गलती है… क्या बड़े होने का भुगतान मुझे हर बार अपनी इच्छाओं को मारकर देना होगा। हर बार आपकी मां के द्वारा किया हुआ “अन्याय” सहना होगा क्यों?? आखिर इस घर की खुशियों के लिए मैंने क्या कुछ नहीं किया… ना जाने ऐसी कितनी छोटी बड़ी बातों को नजरअंदाज किया ये सोचकर के सब अपने हैं, सारे रिश्ते मेरे हैं उनसे लड़ाई झगड़ा करके क्या ही मिलेगा?? लेकिन आज पानी सर से ऊपर जा चुका है मैं इस बात को बड़ा बनाकर ही छोडूंगी… आपको मेरा साथ देना है दीजिए वरना जिंदगी भर गुलामी करते रहिए। थोड़ा सोचो आपको क्या मिला?? आप ही के पैसों के गहने मुझे नसीब नहीं, आपकी तनख्वाह आपके हाथ में नहीं रहती… बेटी का खर्चा चलाना कितना मुश्किल हो जाता है, स्कूल की फीस भी भीख जैसे दी जाती है… इतने पर भी आपको चुप रहना है रहिए मगर मुझसे उम्मीद मत कीजिए… कहते हुए सारिका अपने सास-ससुर के कमरे में पहुंच गई…!!

क्या बात है बड़ी बहू सुबह-सुबह क्यों भनभना रही हो?? सास अनिता जी पूछ बैठी जबकि उन्हें अच्छे से पता था कि माजरा क्या है?? 

मांजी अब बहुत हुआ आप अभी श्रद्धा को दिया गया मेरा रानी हार वापस लेकर मुझे दीजिए वो हार मेरा है और आप इस तरह किसी को नहीं दे सकती अगर आपने अभी अपना फैसला नहीं बदला तो…

तो क्या बड़ी बहू?? आज तुमने अपनी सारी शर्म लिहाज अपने कमरे में छोड़ दी है जो इस तरह अपने सास-ससुर के सामने आकर दहाड़ रही हो… तुम्हें इस घर के रीति रिवाज अच्छे से पता है ना हम जो फैसला लेते हैं वह अंतिम फैसला होता है ना ही वह बदला जाता है ना ही उस पर दोबारा सोचा जाता है फिर तुम किस मुंह से हमारे द्वारा किए गए फैसले को पलटने आई हो… मैंने वो हार मुंह दिखाई में छोटी बहू को दे दिया है अब वो उसका हुआ अब मुझसे ज्यादा बहस करने की जरूरत नहीं जाओ जाकर अदरक, काली मिर्च वाली चाय लेकर आओ…!!




सारिका को शुक्ला परिवार में आए 6 साल हो चुके हैं और वह अच्छी तरह से अपनी सास के हर इरादे को समझती है… 

शादी के बाद मेहमानों के जाते हैं अनीता जी ने अपनी बहू के सारे गहने सुरक्षित रखने का बहाना कर अपने पास रख लिए उसके बाद जब भी सारिका ने गहने पहनने के लिए मांगे तो साफ इंकार कर दिया।

ये बोल ” सोना घर में रखना ठीक नहीं होता इसलिए सारे गहने लॉकर में सुरक्षित रख दिए गए हैं” जब कभी कोई बड़ा फंक्शन, शादी ब्याह होगा निकाल कर दे दिए जाएंगे… इतने सालों में फंक्शन शादी ब्याह सब कुछ हुए मगर गहने उसके हाथ कभी नहीं आए। उल्टा उसके गहने छोटी ननद की शादी में उपहार स्वरूप दे दिए गए कुछ बड़ी ननद को नेगचार के नाम पर…

जब सारिका ने इस बारे में अपनी सास से पूछा तो वह बोली यह सब कहने हमने अपने पैसों से बनवाए हैं इस पर तुम्हारा कोई हक नहीं हम जो चाहे करें तुम्हें क्या??? पतिदेव ने भी इस मसले पर चुप्पी साध ली जबकि सारे पैसे उन्हीं से लिए गए थे। अब मां से सवाल जवाब करना बेटे को ठीक ना लगा इसीलिए पत्नी को ही डांट कर चुप कराया कि घर में कलेश मचाने से अच्छा है अगली बार बोनस मिलने पर तुमको नए गहने दिला दूंगा। मगर घर परिवार के खर्चे इतने होते कि कभी अंगूठी के पैसे भी ना बचते हार कंगन तो बहुत दूर की बात है… मगर हर बार अपने गहनों को अपनी ननदों के गले, हाथ,कानों में सजा देख उसका जी जलता… और खुद सारिका ससुराल की इज्जत बचाने के लिए नकली गहने पहनने पर मजबूर हो जाती!!

इतना ही नहीं उसके मायके से मिले गहने सासु मां खुद पहनने से कभी नहीं चूकती… जिन्हें देख सारिका ने कई बार कहा मांजी आपने मेरी मां द्वारा दिए गए कंगन पहने हैं एक बार मुझे पहन लेने दीजिए तो गुस्से से सासू मां कहती “शर्म नहीं आती अपने सास के हाथों से कंगन उतरवाने में” बड़ी बहू तुम्हारी सोच कितनी छोटी है अपनी मां समान सास की इज्जत कैसे करना है नहीं सीखी हो????और क्या हो गया जो तुम्हारे दो कौड़ी के कंगन पहन लिए तो… इतनी बातें सुन सारिका दोबारा अपने ही गहने मांगने की हिम्मत नहीं करती और सासू मां उसके सामने ही दिखा दिखाकर उसके गहनों को पूरे अधिकार के साथ पहनती… मगर आज जब उसकी मां की आखिरी निशानी वो रानी हार जो उसकी मां ने अपने कंगन बेचकर खरीदा था… सास अनीता जी ने उसकी देवरानी श्रद्धा को मुंह दिखाई में भेंट कर दिया…ये देख सारिका आग बबूला हो गई अब उसे अच्छी बुरी कोई बात समझ में नहीं आ रही थी…जहां एक तरफ अपनी सास के खिलाफ बोलने पर “उसके चेहरे पर डर साफ दिखाई दे रहा था” वही चुप रहकर समझदारी का चोला ओढ़ना अब उसे अखर रहा था!!




जड़ बनकर अब भी सारिका सास के कमरे में ही खड़ी थी जिसे देख अनीता जी बोली “सुना नहीं तुमने बड़ी बहू जाओ जाकर चाय बनाकर लाओ”…!!

तब तक इतनी आवाजें सुन देवर प्रवीण और देवरानी श्रद्धा वहां पहुंच गए थे…!!

तभी पास में खड़े मनोज ने बड़ी हिम्मत जुटा कहा “मां आज तक मैंने आपकी हर बात मानी है मगर इस बार नहीं” आपने सारिका के मायके से मिला हार छोटी बहू को देखकर गलत किया मामला यहीं शांत हो जाएगा अगर आप वह हार इसे लौटा दे…!!

वाह!! बेटा आज तुम जोरू के गुलाम बन ही गए आखिर इसकी पढ़ाई पट्टी तुमने रट ली जो तुम अपनी मां के सामने इतनी बड़ी बात बोल रहे हो… तुम अच्छे से जानते हो मैं जो करती हूं बिल्कुल सही करती हूं… और इसके मायके वालों ने ऐसा दिया ही क्या था जो यह इतना उछल रही है?? हमने शादी पर इतना खर्च किया था जो थोड़े से गहनों से हमने वसूल लिया अब किसी भी चीज पर इसका कोई अधिकार नहीं!! (असल में अनीता जी ने वह गहने शादी में हुई कमी पेशी के बदले में रख लिए फिर उनका इस्तेमाल देने लेने में करने लगी जो की पूरी तरह गलत था

तभी पास में खड़ी श्रद्धा सारे मामले को सुन और समझ बोली “मांजी बीच में बोलने के लिए क्षमा चाहूंगी मगर सारिका भाभी एकदम सही कहती हैं”… मेरे हिसाब से बड़ी भाभी के साथ “अन्याय” हुआ है और अन्याय करना और सहना दोनों ही गलत है जो चीज उनकी है उन्हें मिलनी ही चाहिए और फिर ये हार तो उनकी मां की आखिरी निशानी है उनके लिए मां समान है। और फिर कोई भी मामला बातचीत से सुलझता हो तो उसे रबर की तरह नहीं खींचना चाहिए। और आपसे एक बात और कहना चाहूंगी भाभी ने तो कितने साल आपका लिहाज, रिश्तो की मर्यादा को निभाया उन जैसी सहनशीलता तो मुझ में बिल्कुल नहीं और फिर ऐसे रिश्तो को निभाने के लिए “चुप्पी कब तक… कल को आप अगर मेरे साथ ऐसा करेंगी तो मैं इतना अन्याय सहन नहीं कर पाऊंगी पहली बार में है भी आप से सवाल करने पहुंच जाऊंगी…!!

और फिर मुझे आए हुए यहां से चार ही दिन हुए हैं और मैं नहीं चाहती कि एक निर्जीव वस्तु के लिए मेरे रिश्ते जेठानी जी के साथ बिगड़े आखिर रहना तो मुझे उनके साथ ही है… और तुरंत वह हार उतार कर सारिका के गले में पहना दिया…!!

अनीता जी के मंसूबों पर पानी फिर चुका था क्योंकि ये सब कर के वे देवरानी जेठानी में फूट डालना चाहती थी जिससे दोनों बहुओं में कभी एका ना और वे अपना एक छत्र राज चला सके…!!

दोस्तों,

 आपकी क्या राय है?? अनीता जी जो कर रही थी उसी था या फिर दोनों बहुओं ने जो किया… जरूर बताइएगा!!

आशा करती हूं मेरी रचना आपको जरूर पसंद आएगी धन्यवाद

 आपकी सखी 

  कनार शर्मा

 (मौलिक रचना सर्वाधिकार सुरक्षित)     

#अन्याय

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