“बहू….”सास ज़ोर से चिल्लाई,
“आई माँजी” बहु ने भी ज़ोर से कहा,,पर बहु वहीं की वहीं रही , न आई ,,,,
सास ने फिर आवाज़ लगाई, बहु को जाना पड़ा,,सिर ढक कर बोली “क्या बात है माँजी, कुछ चाहिए क्या”?
सास ने कहा,”पानी का गिलास पकड़ा दे, प्यास लगी है” !
बहु ने गिलास पकड़ाया और कहा,” माँजी ,,पानी भरा गिलास और जग आपके पास स्टूल पर रखा रहता है, गिलास आप ले लेतीं,, डॉक्टर ने तो उठने को कह दिया है,,फिर भी,,आपने रोज़ रोज़ का यही क़िस्सा बना रखा है,,मुझे और भी तो काम होते हैं,,,कहती हुई बहु चली गई,,,,
सास को बहुत ग़ुस्सा आया,, मन ही मन कहा,, मैं नहीं उठती मेरी मर्ज़ी ,, क्या कर लेगी मेरा तू,,, !
सास का चार साल का पोता यह सब देखता रहता था,, अगले दिन सास ने फिर आवाज़ लगाई,,”बहु ,, मेरी केन पकड़ा दे गिर गई है,,,कैसे उठूं अब,,,?
बहु ने फिर कह दिया आई माँजी ,और आई नहीं,,, पोते ने सुना, वह दौड़ कर गया और लाठी पकड़ा दी,,
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अब रोज़ रोज़ का यही क़िस्सा होता, सास आवाज़ लगाती ‘बहु’, और बहु कहती आई ‘माँजी’ और आती नहीं,, पोता सुनता भाग कर जाता और दादी की माँग पूरी करता,, दादी के पूछने पर कह देता, माँ काम कर रही है,, चाहे वह कुछ भी न कर रही हो,,,सास झुंझला कर रह जाती और बहु बहुत खुश,,,
पाँच सात दिन यह क़िस्सा ‘बिल्ली चूहे का खेल’ चलता रहा,,,सास आवाज़ लगाती,, बहु आई माँजी कहती और पोता दौड़ा हुआ आता,,,
एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि पोता ऊपर कमरे में था, दादी ने आवाज़ लगाई,, बहु ने कहा आई माँजी ,,,पोता दौड़ता हुआ जो सीढ़ी से उतरने लगा कि गिर गया,,और बेहोश हो गया,,
दादी ने फिर आवाज़ लगाई,, कोई नहीं आया,, न पोता न बहु,,सास को कुछ आशंका हुई,, बहु भी उत्सुक हुई कि क्या हुआ ?
सास भी कमरे से निकली,, बहु भी दौड़ी आई कि बेटा कहाँ है,, कि देखा वह तो सीढ़ियों के नीचे गिरा पड़ा है बेहोश,,,,
दोनों घबराईं,, बेटे को लेकर बहु अस्पताल दौडी , सास भी चली उनके साथ,, दोनों एक दूसरे को मन ही मन कोसती ,, पर लाचार,,
अस्पताल में नर्स बच्चे को एमरजैंसी रूम में ले गई,, सास बहु एक दूसरे से दूर खडीं , भगवान से प्रार्थना करतीं,,,
एक घंटे के बाद नर्स आई, उन्हें बताया, बच्चे को होश आ गया है,, पर अभी आप मिल नही सकतीं , डाक्टर साहिब बाहर आकर आपसे बात करेंगे,,,
थोड़ी देर में डाक्टर आया और बोला “दादी कौन है’ ? बच्चा बडबडा रहा है, ,,,”दादी ने आवाज़ लगाई है, , मुझे जाना है,, माँ तो नहीं आएगी,,, दादी को पानी देना है , आदि आदि,,,”
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“दादी मैं हूँ ,,गलती मेरी है,, मेरा ही क़सूर है,, ,, “दादी बोली
बहु बोली “नहीं मेरा कुसूर है,,”
डाक्टर सब समझ गया कि बात क्या है,,,, इसलिए दोनों को समझाते हुए बोला ,,” बच्चों के मन बड़े कोमल होते हैं,,सास बहु के झगड़े बच्चों के मन पर बहुत बुरा प्रभाव डालते हैं,,, ऐसी क्या बात है जो आप अपने मनमुटाव खुद नहीं निपटा सकतीं,,, और दादी की तरफ़ देखते हुए,, आप अच्छी भली हैं, स्वस्थ हैं फिर क्यों अपने को पराधीन बना रही हैं, यह तो आपकी बेटी की तरह है, गलती हो जाती है तो क्षमा करो,, क्योंकि संतों ने कहा है “क्षमा बडेन को चाहिए,छोटे को अपराध “ आप तो माँ हैं,,
फिर बहु की तरफ़ देखते हुए,, डाक्टर साहब बोले ,” तुम समझदार हो, तुम्हारी माँ की तरह हैं ये,, बच्चों के सामने तुम आदर्श बनो,,
फिर दोनों की तरफ़ देखते हुए कहा,,मैं , डाक्टर होने के साथ एक बेटी का पिता भी हूँ और ससुर भी, , जान गया मामला क्या है ? इसलिए अपने घर को स्वर्ग बनाना तुम दोनों के हाथ में है , , और अधिक कुछ नहीं कहूँगा,,” !
डाक्टर चला गया , सास और बहु , एक दूसरे को क्षमा करती हुईं गले लगीं ,, इतने में नर्स बच्चे को ले आई ,, बच्चा दादी और माँ के गले लग गया !!