संयोग – परमा दत्त झा :  Moral Stories in Hindi

आज रानी परेशान थी कारण वह आटो वाला उसे देखता था तो पूरी आवभगत के साथ सम्मान के साथ बिठाता था। परंतु न जाने क्या था कि उसे बुरा लगता था।

इस आटो बाले का नाम बबलू है।बस सवारी ढोना,काम से मतलब रखना,फिर इसे देखने का कारण —

वह परेशान हो गयी तो पति से शिकायत की।

पति ने पूछा -वह बदतमीजी करता है।

बिल्कुल नहीं,बल्कि पूरे सम्मान से बात करता है।

क्या पैसे गलत लेता है, इशारेबाजी या कोई और हरकत।

नहीं ऐसा कुछ नहीं है।-वह समझ नहीं पा रही थी कि क्या बोले?

सो उस रविवार के दिन -आज उसके आटो से ही सलकनपुर चलते हैं।दिनभर साथ रखेंगे।सब जगह घुमाएंगे।

यह सुनकर वह चौंक गयी।अपना कार होते हुए आटो से–.

हां जरूरी है-कहते सभी तैयार होने लगे।

फिर तो सभी तैयार होकर निकले और इसके पति ने बबलू को बुलाया।

जी साहब कहता वह दस मिनट में हाजिर था।

सुनो सलकनपुर जाना है,दिनभर लगेंगे।

जी , कहकर वह चल दिया।

रास्ते में तेल लेते समय वह झट बोला -थोडा फोन आ रहा है।

हां मां वहीं दीदी की शक्ल वाली मैडम को लेकर सलकनपुर जा रहें हैं।साथ में पूरा परिवार है।आप चिंता मत करना,दवाई मैंने ले लिया है।

यह सुनकर वह चौंक गयी। अच्छा यह बात है।-अब उसकी आंखें नम हो गयी।

बबलू एक बात बताओ -तुम्हारे घर में कौन कौन है?

एक बूढ़ी मां हैं और मैं हूं -वह बोला।

तुम्हारा भाई या फिर बहन-वह गंभीर होकर पूछी।

एक बहन थी जो पांच साल पहले शादी करके गुम गयी है।

दूसरी ओर भाई दो हैं मगर वे सब दिल्ली में अपने परिवार के साथ रहते हैं।

बहन की कोई तस्वीर है तुम्हारे पास -यह आतुरता से पूछ बैठी।

जी कहता यह दिखा दिया।

हूं बहू इसी की तस्वीर है।-दोनों पति पत्नी देखकर चौंक गए।

तुम्हारी शादी या परिवार –

जी नहीं मैडम।मां के इलाज और गाड़ी की किश्त से पैसा नहीं बचता है।

अब वह पूरे रास्ते चुपचाप गया।घर लौटकर वह शांत थी।

तुम्हारा क्या ख्याल है,बबलू के खिलाफ कुछ –पति पूछे तो वह झट बोली -नहीं वह अच्छा लड़का है, मुझे पूरा सम्मान देता है।बस उसकी बहन की सूरत मिलने के कारण वह मुझे देखता था सो मैंने —वह रोने लगी और आगे बोल नहीं पायी।

चलो एक दिन उसके घर चलते हैं,उसके पति बोले तो वह खुश हो गई और बोली और दिन क्यों कल राखी है,कल ही।

फिर तो दूसरे दिन राखी , मिठाई सब लेकर वह आयी और #संयोग को रिश्ते में बदल दिया।

#रचनाकार-परमा दत्त झा, भोपाल।

कुल शब्द-कम से कम 700

(रचना मौलिक और अप्रकाशित है इसे मात्र यहीं प्रेषित कर रहा हूं।)

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