Moral stories in hindi : जज साहब स्वाति मेरी इकलौती संतान है मैंने इसके लिए क्या नहीं किया है । तीस हज़ार रुपये वेतन में भी मैंने इसकी हर ज़रूरतों को पूरा करने की कोशिश की है । आपको मालूम है जज साहब मेरे लिए पाँच सौ रुपये का शर्ट ख़रीदता हूँ और उसका ड्रेस पाँच हज़ार का है,मैं दो हज़ार का फ़ोन उपयोग में लाता हूँ और उसके लिए आठ हज़ार का स्मार्ट फ़ोन ख़रीद कर दिया है । आप नहीं जानते हैं जज साहब मैंने इसे अच्छे से स्कूल में पढ़ाया। मेडिसिन के लिए एम सेट में अच्छा रेंक
आया तो भी पचास लाख भरकर प्राइवेट कॉलेज में पढ़ने की ज़िद करने लगी । अब सोचिए ऐसी बेवक़ूफ़ी कोई करता है । जब मैंने फीस भरने के लिए मना किया तो बी एस सी में जॉइन हो गई है ।
उसने एक बॉयफ़्रेंड बना लिया है । मैंने पूछताछ करवाया तो पता चला कि वह लड़का पढ़ा लिखा नहीं है सिर्फ़ पढ़ी लिखी लड़कियों को फँसाना और मौज मस्ती करना उसका काम है । जब मैंने मना किया तो मैं बुरा हो गया बोलिए क्या करूँ । हम बच्चों को अच्छे संस्कार देते हैं जज साहब और उन्हें समाज में इज़्ज़त से जीने के लायक़ बनाते हैं पर वे इस तरह संस्कारहीन होकर व्यवहार करेंगे और सब कुछ भुलाकर हमारे ही ख़िलाफ़ हो जाएँगे यह आशा तो हम नहीं करते हैं । कल की ही बात ले लीजिए जज साहब मेरी बेटी अपने बॉयफ़्रेंड को घर में लेकर आई और उसके साथ हँसते हुए मस्ती कर रही थी । मैंने अपने कमरे से उसकी हँसी ठिठोली को सुनकर उसके कमरे का दरवाज़ा
खटखटाया तो उसने खोलकर कहा कोई नहीं है
लेकिन मैंने उस लड़के को अलमारी के पीछे देख लिया था। उसे अलमारी के पीछे से बाहर निकाला और दो चाँटे जड़ दिए और उसे घर से बाहर कर दिया था । आप जानते हैं जज साहब इस लड़की ने बॉयफ़्रेंड को घर से बाहर निकाला है इस ग़ुस्से में मुझे घर के बाहर धकेल कर मेरे मुँह पर दरवाज़ा बंद कर दिया है । मैं वहीं पार्क में जाकर बैठ गया था । सुबह होने पर मार्निंग वॉक के लिए आए मेरे दोस्त ने मुझे देखा और अपने घर ले गया । शाम को कोर्ट से आकर मुझे बताया था कि स्वाति को उसका बॉयफ़्रेंड दिखाई नहीं दे रहा है तो उसने मुझ पर केस दर्ज कर दिया है कि मैंने उसके बॉयफ़्रेंड को मार दिया है ।
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मैं ऐसी ज़िल्लत भरी ज़िंदगी नहीं जीना चाहता हूँ जज साहब मुझे नहीं जीना है आप मुझे जेल में बंद कर दीजिए मेरे ऊपर बहुत सारे केस दर्ज कर दीजिए ताकि मैं बाहर ना निकल सकूँ । मुझे नहीं जीना है जज साहब मुझे नहीं जीना है कहते हुए वहीं ज़मीन पर गिर जाता है ।
उनका दोस्त श्याम वकील था । उन्होंने ही बताया था कि तुम्हारी बेटी ने तुम पर केस दर्ज किया है । श्याम ने अपने दोस्त की हालत को देखते हुए स्वाति के बॉयफ़्रेंड के बारे में जब पता लगवाया था तो पता चला कि स्वाति के पिता को उनके बारे में जानकारी प्राप्त हो गई है इसलिए उसका बॉयफ़्रेंड शहर छोड़ कर भाग गया है । इसलिए स्वाति के पिता पर से केस हट गया था । उन्होंने फिर से अपनी नौकरी जॉइन कर ली थी। वे घर तो पहुँच गए थे परंतु उन्होंने स्वाति से बात करना बंद कर दिया था और हाँ उन्होंने अपना तबादला दूसरे शहर में करा लिया था ।
स्वाति एक दिन श्याम से मिलने गई और उनके सामने बैठकर रोने लगी । श्याम ने कहा क्यों रो रही हो बेटा अपने पिता को उनकी अच्छाई का अच्छा सबक दिया है तुमने!!
मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गई है अंकल मैंने अपने पिता को गलत बताकर सभी की नज़रों में गिर गई हूँ । आप ही बताइए अब मैं क्या करूँ । श्याम ने कहा देखो बेटा बच्चे कितनी भी ग़लतियाँ क्यों न करें माता-पिता उन्हें क्षमा कर देते हैं परंतु उसके लिए समय लगेगा । तुम्हें अपने पिता की माफ़ी के लिए इंतज़ार करना पड़ेगा क्योंकि तुमने अपने पिता को बहुत दुख दिया है । माता-पिता बच्चों के दुश्मन नहीं होते हैं । उन्होंने दुनिया देखी है। जाओ !! तुम्हारा पिता बहुत ही अच्छा है तुम सच्चे मन से माफ़ी माँग लोगी तो वह तुम्हें मृ कर देगा । कहते हुए उसे घर भेज देता है।
अब समय ही बताएगा कि स्वाति को पिता ने माफ किया होगा कि नहीं ? आशा करते हैं कि उसे उसकी उम्र की लड़कियों को एक सबक तो मिल ही गई होगी ।
दोस्तों सभी माता-पिता अपने बच्चों को संस्कार देते हैं। बात यह है कि बच्चे उन्हें समझ नहीं पाते हैं उन्हें बड़ों की हर सीख बुरी लगती है और गलत रास्ते पर चल पड़ते हैं । जरूरी नहीं है कि सभी बच्चे ऐसे ही निकले लेकिन वर्तमान समय में ऐसा होने की सम्भावना है इसलिए बच्चों की ज़रूरतों को पूरा करने से पहले एक बार सोचिए कि उनके लिए क्या ज़रूरी है और क्या नहीं है ।
के कामेश्वरी