संस्कार नहीं दिए क्या •••• (भाग 1)- अमिता कुचया 

आज रौनक  बड़े ही गुस्से में था।जब देखा पल्लवी का व्यवहार बिल्कुल उसकी मां के प्रति उपेक्षित लग रहा है।वह रात में मां के पास नहीं बैठी , न ही उनकी तबीयत के बारे में पूछा। उसे मायके से लौटे हुए बहुत समय हो गया था।इस तरफ पल्लवी को भी अंदाजा नहीं कि रौनक उसे परख रहा है। मायके से पल्लवी लौटकर आई तो काफी थक चुकी थी।वह ट्रेन का अठारह घंटे का सफर कर लौटी थी। उसने सोचा कि ख़ाना पीना खा कर जल्दी सो जाएगी।तो थकान दूर हो जाएगी।  कल फ्लैट देखने भी जाना है। इधर रौनक भी मन मसोस कर रहा सोचा चलो जाने दो•••

पल्लवी और उसको एक फ्लैट लेना था।वह चाहता था एक बार वह स्वयं देख आए, लोकेशन आउटपुट वहां की कैसी है। लेकिन पल्लवी को लग रहा था।कि रौनक उसे महत्व नहीं दे रहा है। इसी बात पर उनकी आपस में बहस होती थी। लेकिन पल्लवी के भाई को लड़की हुई तो दोनों के बीच बात हुई।कि तुम मायके से लौट आओगी तो नया फ्लैट देखने जाएंगे।

अब क्या था जैसे ही  रौनक कमरे में आया  तो पल्लवी ने फ्लैट के बारे में पूछा तब रौनक ने जवाब दिया देखो, जब तुम देखोगी तब हम डिसाइड करेंगे।

अब जैसे तैसे रात निकल गई।सुबह  हुई उसकी मां बोली बहू आज का मुहूर्त बहुत अच्छा है। चलो सब मिलकर फ्लैट डिसाइड कर एडवांस अमाउंट पेय कर दे।

उसने न जाने अपना गुस्सा न केवल पति पर निकाला, बल्कि सासुमा को भी कहा- जब तुम लोग ने फ्लैट देख ही लिया मुझे क्या औपचारिकता पूरी करने ले जा रहे हो।

तब उसके पति रौनक ने समझाया कि हम लोग ने केवल लोकेशन देखी पर अभी कुछ निश्चित नहीं हुआ है।

तब पल्लवी ने रौनक से कहा -तो फिर मां ऐसा क्यों कह रही है आज का शुभ मुहूर्त है आज ही फाइनल कर लेंगे।

अरे तुम बात का बतंगड़ क्यों बना रही हो ,देखो तो चलकर जो हमने फ्लैट डिसाइड किया है••••

तब पल्लवी जोर- जोर से  चिल्लाकर कहने लगी- हमारे साथ जाने की जरूरत नहीं है, जैसा तुम्हारी मां ने सिखाया है ,वैसा ही करो।

इतना ही कहना सासुमा का था ••••

तो वो विफर गई।

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आपकी दोस्त

अमिता कुचया ✍️

 

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