रविवार का दिन। कल्पना ने टेबल पर नाश्ता लगा दिया था। मैथी की पूरी, अचारी आलू और गाजर का हलवा। सारा घर खूशबू से महक रहा था।
“निशु, विक्की, चलो आओ! नाश्ता कर लो। पापा को भी बुलाओ। गर्म गर्म है, फटाफट खा लो, नहीं तो ठंडा हो जाएगा। मैं गरमागरम चाय बना कर लाती हूँ।” कल्पना ने कहा।
सभी नाश्ते की टेबल पर बैठ कर स्वादिष्ट नाश्ते का लुत्फ़ उठाने लगे।
“बेटे, नया साल शुरू होने वाला है। नये साल पर तुम लोग क्या संकल्प ले रहे हो? कुछ अच्छा शुरू करो और बुरी आदतों को छोड़ो।” रविंद्र ने बच्चों से कहा।
“पापा, मैं ये संकल्प ले रहा हूँ कि ड्रायविंग करते समय नो मोबाइल। और नये प्रोजेक्ट पर कॉंसंट्रेट करुंगा।” विक्की बोला।
“वाह! पापा, देखो तो भैय्या कैसे उल्लू बना रहे हैं। जैसे हम देखने जाएंगे कि गाड़ी चलाते समय ये बात कर रहें हैं या नहीं। भई, मैंने तो सोचा है कि इस बार कॉलेज में टॉप करूंगी, चाहे कितनी ही मेहनत क्यों न करना पड़े।” नीशु ने कंधे उचकाते हुए कहा।
“पापा, आप क्या संकल्प ले रहें हैं?” विक्की ने पूछा।
“मैं स्मोकिंग पर कंट्रोल करने की कोशिश करूंगा। हो सका तो पूरी तरह छोड़ ही दूंगा।” रविंद्र ने कहा।
“चलो, चलो भाई, गर्मा-गर्म चाय भी ले लो।” इतने में कल्पना चाय टेबल पर रखते हुए बोली।
“मम्मा, आप क्या संकल्प ले रहीं हैं न्यू इयर पर।” निशु ने कल्पना से पूछा।
“मैं…..”कल्पना ने कुछ कहना चाहा।
“यही कि आलू के परांठे को और टेस्टी कैसे बनाया जाए, या सलाद की नई रैसिपी पता करूं।” बीच में रविंद्र चाय का कप उठा कर हँसते हुए बोला।
“मम्मी, आप इटालियन डिशेज सीखने का संकल्प लीजिए।” विक्की ने बोलकर ठहाका लगाया।
“मम्मा, आप तो बढिया फ़िल्टर कॉफी बनाना सीखने का संकल्प ले लीजिए।” निशु ने मुस्कुराते हुए कहा।
तीनों हँस रहे थे। कल्पना ने नज़रें झुका ली।
कुछ देर चुप खड़ी रही, फिर अपने कमरे में चली गई। उसके जाते ही डायनिंग रूम में चुप्पी छा गई।
“तुम लोग समझते हो कि मेरे अपने कोई सपने नहीं हैं। यह पढ़ो, आज ही इस विषय पर मेरा एक आर्टिकल प्रकाशित हुआ है। मेरा संकल्प है कि मैं लगातार दूसरे मुख्य अखबारों के लिए भी इसी तरह से आर्टिकल लिखूं।”
तीनों की निगाहें टेबल के बीच में रखी समाचार पत्र के उस बड़े से कॉलम पर थी जिसमें कल्पना की फोटो के साथ आर्टिकल प्रकाशित हुआ था -“संकल्प नववर्ष का”
नम्रता सरन “सोना
भोपाल मध्यप्रदेश