सर्मपण की भावना दोनों तरफ से होनी चाहिए यह सिर्फ पत्नी की जिम्मेदारी नहीं !!- स्वाति जैंन : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi: अरे कोकिला , तेरे तो दिन न्यारे हो गए , आज ऐसी खुशखबरी लेकर आई हूं कि तु भी सुनकर निहाल हो जाएगी , कोकिला की जेठानी सुशीला बोली !!
कोकिला की बेटी रीना भी आज इतवार होने की वजह से घर में ही थी , वह भी अपनी ताईजी की यह बात सुनकर अपने कमरे से बाहर आ गई !!
अरे , रीना के लिए मेरे भाई के बेटे राहुल का रिश्ता आया हैं !! तुम लोग तो जानते ही हो कितने पैसेवाले है वह लोग , उस घर में शादी हो जाएगी तो रीना को भी यह रोज की सुबह दस से शाम सात बजे वाली नौकरी से भी छुटकारा मिल जाएगा हमेशा के लिए !! सोने से लदकर रखेंगे वह लोग तुम्हारी रीना को और राज करेगी हमारी रीना वहां तो हां कह देती हुं तुम्हारी तरफ से भी ठीक हैं ना , वैसे भी यह रिश्ता लाखों में एक हैं हमारी रीना के लिए सुशीला लगातार बोले जा रही थी !!
कोकिला बोली भाभी मैं आपके देवर जी से बात करके बताती हूं और रीना को भी तो सोचने का मौका चाहिए होगा ना !!
सुशीला बोली अरे , इसमें सोचने वाली क्या बात हैं भला ?? ऐसा रिश्ता तुम लोगों को ओर कहां मिल जाएगा , यह तो तुम मेरी देवरानी हो इसलिए मेरे भाई ने रीना के लिए सोचा और मैंने रीना की बहुत तारीफ कर रखी हैं उन लोगो के सामने इसलिए मेरे भाई विषंभर ने इस घर रिश्ता भिजवाया वर्ना मेरे राहुल को लड़कियों की कमी थोड़ी हैं !! तुम तो जानती हो कोकिला मैं कितने अमीर खानदान से हूं फिर भी कभी घमंड नहीं किया मैंने और अब चाहती हूं कि मेरी यह बेटी मेरे उस बेटे से शादी कर लें आखिर मेरी जबान का सवाल हैं !!
कोकिला बोली भाभी मैं कल तक जवाब देती हुं आपको !!
सुशीला के जाने के बाद कोकिला ने रीना से बात की और बोली रीना अगर यह रिश्ता हो गया तो तुम्हारी ताईजी को बहुत खुशी होगी !!
रीना बोली मम्मी यह मेरी जिंदगी हैं , ताईजी की खुशी के लिए मैं एक झटके से हां तो नहीं कर सकती ना और रीना को वह दिन याद आ गए जब ताईजी की बेटी नीरू की शादी थी जहां राहुल भी आया हुआ था !! गले में सोने की मोटी चैन , हाथ में मोटा सा सोने का ब्रेसलेट और चारो उंगली में सोने की अंगुठियां !! जब भी सभी लोग किसी रीति – रिवाज के लिए जमा होते राहुल सभी के सामने अपने पैसों की शेखी बगारता या बड़ी- बड़ी बातें करता , वह किसी को अपने आगे कुछ नहीं समझता था !! उन दो – तीन दिनों में रीना समझ चुकी थी ना जाने राहुल की पत्नी का क्या होगा क्यूंकि उसे एक ऐसा पति मिला होगा जो खुद अपने बलबूते कुछ भी नहीं मगर पिता के पैसों पर सब जगह रौब झाड़ता फिरता हैं !!
रीना को तो एक ऐसे पति की चाह थी जो उसके और उसके परिवार के प्रति सर्मपण की भावना रखें , जो उसे उसकी मर्जी से जिंदगी जीने दे , जहां उसे कभी अपने आत्मसम्मान से समझौता ना करना पड़े , जहां वह और उसका पति मिलकर घर चलाएं जहां अहम की भावना ना हो , जिसमें से एक भी ऐसी क्वालिटी उसे राहुल में नहीं दिखाई दी थी !!
रीना अपनी मां को सारी बात बताते हुए बोली मम्मी , मैं सोने से नहीं लदना चाहती , मैं तो बस आत्मनिर्भर होकर अपनी नौकरी कायम रखना चाहती हूं !! यह पैसे वाले लोग क्या मुझे और मेरे माता – पिता को वह सम्मान दे पाएंगे जो मैं चाहती हूं और क्या मैं अपनी स्वेच्छा से वहां रह पाऊंगी , जो लोग पहले ही कह रहे हैं कि मुझे शादी के बाद नौकरी करने की कोई जरूरत नहीं , वे लोग मेरी इच्छाएं क्या पूरी कर पाएंगे मम्मी और आप तो जानती हो कि मैंने इतनी पढ़ाई घर में रहने नहीं की हैं , इतनी डिग्रिया इसलिए नहीं हासिल की कि बस कल के दिन पैसेवाले घर की दुलहन बन जाऊं और उनकी इच्छानुसार रहुं !!
दूसरे दिन फिर से सुशीला कोकिला के घर आई जब रीना भी ऑफिस से घर आ गई थी !!
सुशीला ने फिर शादी के प्रस्ताव पर जवाब मांगा तब कोकिला बोली भाभी रीना अभी शादी नहीं करना चाहती , अभी इसे नौकरी करने का मन हैं बस इतना सुनते ही सुशीला भड़कते हुए बोली अरे यह तो मूर्ख हैं कोकिला मगर तुम तो समझदार हो , जरा सोचो इतना अच्छा रिश्ता हमारी रीना को कहां मिलेगा और रीना तुम अभी बच्ची हो !! मैंने तुम्हें हमेशा अपनी बेटी की तरह माना हैं इसलिए इतनी जिद कर रही हूं वर्ना तुम्हारे जैसी छत्तीस मिल जाएंगी राहुल को , ऐसा लड़का पाने तो लड़कियां और उसके घरवाले कितने पापड़ बेलते हैं शायद तुम लोग नहीं जानते यह बात !!
रीना ने जैसे ही बोलना चाहा , कोकिला ने उसे आंखों के इशारे से चुप रहने का इशारा किया !!
सुशीला बोली तुम दोनों मां – बेटी के यह इशारे खुब समझती हुं मैं , अभी भी सोच लो , दो – तीन दिन में जवाब दे देना वर्ना राहुल के लिए रिश्तों की कमी नहीं हैं !!
कोकिला खुद भी रीना की बातों से सहमत थी , वह जानती थी रीना बिल्कुल सच कह रही हैं क्योंकि कोकिला जब शादी करके इस घर में आई थी वह भी पढ़ी- लिखी युवती थी , घर में सास – ससुर का पहले ही स्वर्गवास हो गया था , घर में सुशीला जी का ही शासन चलता था , कोकिला भी नौकरी करना चाहती थी मगर सुशीला बड़े खानदान की बेटी थी जिसने नौकरी को हमेशा तुच्छ नजर से देखा था , संयुक्त परिवार में उन्होने कोकिला को नौकरी करने की इजाजत नहीं दी , तब मन मारकर रह गई थी कोकिला , बाद में परिवार तो अलग हो गए मगर कोकिला के आत्मविश्वास में कमी आ गई थी जिस वजह से वह बाद में नौकरी नहीं कर पाई !!
कोकिला नहीं चाहती थी जो उसके साथ जो हुआ वहीं उसकी बेटी के साथ भी हो !! उसने अपनी बेटी को खुब पढाया लिखाया था ताकि उसकी बेटी आत्मनिर्भर बन सकें !!
थोड़े समय बाद ही सुशीला के कानों तक बात पहुंची कि रीना की सगाई किसी स्कूल में पढ़ाने वाले अध्यापक से तय कर दी गई हैं !!
सुशीला अपने पति सोमेन से बोली – पता नहीं इन लोगों ने उस अध्यापक में क्या देखा होगा ?? खुद तो मिड़ल क्लास हैं , और अब बेटी को भी मिडल क्लास परिवार की बहू बना दिया इन लोगो ने !!
मेरे राहुल से शादी होती तो राज करती रीना मगर जाने दो उसकी किस्मत में राज करना लिखा ही नहीं !! अब दोनों पति – पत्नी नौकरी करेंगे तब घर का खर्चा उठा पाएंगे !! रीना भी तो उसकी दस से सात वाली नौकरी में ही खुश हैं अब बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद ?? मैंने इतना अच्छा रिश्ता बताया था , लगे हाथ एक तीर से दो निशाने साधे थे मगर अब किसी की किस्मत ही फूटी हो तो क्या कर सकते हैं नाराज होते हुए बोली सुशीला !!
पति सोमेन बोले भाग्यवान , अब नाराजगी ही दिखाओगी या बधाई देने भी चलोगी !!
सोमेन और सुशीला जब बधाई देने उनके घर पहुंचे तो वहां लड़का सुकेत और उसका परिवार भी मौजूद था !! देखने से ही पता चल रहा था की बहुत साधारण लोग हैं , साधारण कपड़े, व्यवहारिक और मधुर भाषी !!
रीना और सुकेत ने सुशीला और सोमेन के पांव छूए , सुशीला अनबूझे मन से आर्शीवाद देते हुए बोली बेटा सुकेत , तुम्हारी किस्मत में लिखी थी रीना , अब क्या कहें सबकी अपनी – अपनी किस्मत !!
सुशीला जब भी ऐसी कोई बात करती रीना को बहुत गुस्सा आता मगर वह अपनी मां की वजह से चुप रह जाती !!
सुकेत और रीना की शादी की तारीख पक्की हो गई और शादी की खरीदारी शुरू हो गई , रिवाज के अनुसार करीबी रिश्तेदारों को बुलाकर खरीदारी का सारा सामान दिखाया जाता हैं !!
कोकिला ने अपनी ननद , बहन , जेठानी – देवरानी सारे रिश्तेदारों को बुलाया जहां सभी ने गहने और कपड़े – लत्तों की बहुत तारीफ की मगर सुशीला बोली अध्यापक जी की औकात इतने हल्के कपड़े और गहनों की ही थी , बेचारे एक साधारण नौकरी वाले आदमी जो ठहरे और माता – पिता के पास भी तो ज्यादा पैसा नहीं हैं !! अब खानदानी पैसों की तो बात ही अलग होती हैं , बेचारे गरीबों की इतनी औकात कहां कि कुछ महंगा दे पाए उतने में कोकिला की ननद बोली – सुशीला भाभी आजकल सोना बहुत महंगा हो गया हैं फिर भी बहुत कुछ दिया हैं सुकेत के घरवालों ने !!
सुशीला बोली अरे जीजी , इसे बहुत कुछ कहती हैं आप , अभी आपने मेरे मायके के ठाठ नहीं देखें इसलिए आपको यह साधारण चीजें भी अच्छी त नजर आ रही हैं !!
रीना कोकिला जी की आंखों को देखकर फिर से चुप रह गई वरना उसका मन तो कर रहा था कि वह अपनी ताई जी से कह दे कि जीवन में पैसा ही सब कुछ नही होता , प्यार और मान – सम्मान उससे कहीं ज्यादा सर्वोपरी हैं !! कभी उन्होने अपने भानजे राहुल को देखा हैं किसी की इज्जत करते हुए और वह करेगा भी क्यूं उसे तो अपने पैसों का बहुत अहम हैं बिल्कुल आपकी तरह मगर वह चाहकर भी कुछ बोल ना पाई क्यूंकि वह नहीं चाहती थी कि उसकी वजह से रिश्तों में कोई दरार आ जाए !!
सुकेत और रीना की शादी अच्छे से संपन्न हो जाती है !! रीना को उसके ससुराल में खुब प्यार और सम्मान मिलता हैं !! सुकेत तो रीना से बहुत प्यार करता ही था , उसके माता-पिता भी रीना को अपनी बेटी की तरह प्यार करते थे !!
रीना और सुकेत रोज सुबह दोनों साथ में नौकरी पर जाते , उन दोनों की शादी शुदा जिंदगी अच्छे से बीत रही थी कि उसकी ताई जी का फोन आता है कि उनके बेटे अभिषेक की शादी तय हो गई है !!
रीना शादी में जाने की तैयारी कर रही होती है कि रीना की सास मालती जी कहती है रीना तुम्हें दो-तीन साड़ियां और खरीद लेनी चाहिए आखिर यह भी तुम्हारे घर की ही शादी है !! तुम्हें जो भी शांपिंग करनी हो तुम कर सकती हो !!
रीना बोली मम्मी जी अभी तीन महीने पहले ही तो मेरी शादी हुई है और मुझे इतनी भारी भारी साड़ियां पहनने का शौक भी नहीं है , अलमारी में कितनी सारी साडियां ऐसे ही पड़ी हैं जो मैंने अब तक पहनी नहीं !!
मालती जी के बहुत आग्रह पर रीना दो तीन कॉटन की सिंपल साड़ियां खरीद लेती है जो उसे ऑफिस में भी काम आ सकती थी !!
रीना और सुकेत ताई जी के बेटे अभिषेक की शादी में पहुंचते हैं जहां ताईजी के मायके का परिवार भी उपस्थित था !! शादी वाले घर में तो ढ़ेरो काम रहते हैं !!
रीना और सुकेत पहुंचकर अपने ताई जी और ताऊ जी की कामों में मदद करने लगते हैं !!
रीना की नजर राहुल की पत्नी शिखा पर पड़ती है जो सर से पांव तक गहनों से लदी हुई रहती है मगर उसके चेहरे पर बिल्कुल भी मुस्कान नहीं रहती और राहुल वह तो नवाबों की तरह कुर्सी पर बैठे दिखाई देता , राहुल के माता-पिता भी बस वहीं सोफे पर पसरे हुई दिखाई देते , कोई भी सुशीला की कुछ मदद करने नहीं आ रहा था !!
एक दो बार जब रीना वहां से गुजर रही थी तब उसे शिखा और राहुल के बहस करने की आवाज आई जहां शिखा कह रही थी कठपुतली बनाकर रख दिया है तुम लोगों ने मुझे जैसे मेरी अपनी कोई इच्छाएं ही ना हो , जैसा तुम लोग कहते हो मुझे वैसे ही करना होता है , मेरा खुद का तो कोई अस्तित्व ही नहीं !!
राहुल भी सामने से बहस करते हुए बोला इतने बड़े खानदान की बहू बनाया है तुम्हें यह क्या कम है जो अब तुम्हें अपने अस्तित्व की तलाश करनी है !!
रीना ने बहुत ज्यादा देर वहां खड़े रहना मुनासिब नहीं समझा और आज वह अपने फैसले पर गर्व महसूस कर रही थी , बस शुक्र मना रही थी कि उसने उस टाइम पर सही फैसला लिया वरना आज शिखा की जगह वह होती और आज अपने अस्तित्व को तलाश रही होती शिखा की तरह !!
वह दूसरे कमरे में आ गई जहां सुशीला पहले से मौजूद थी , सुशीला ने रीना से पूछा – तुम खुश तो हो ना इस शादी से रीना ??
रीना बोली क्यों ताई जी आपको सुकेत में कोई कमी नजर आई ??
ताई जी बोली अरे नहीं नहीं दामाद जी तो बहुत अच्छे हैं , आए हैं तब से तुम्हारे ताऊ जी के साथ काम में लगे हुए हैं और उनका हंसमुख स्वभाव तो ऐसा है जो रोते हुए को हंसा दे मगर बेटा सिर्फ प्यार से तो जिंदगी नहीं चलती ना , तुम्हारी यह सिंपल सी साड़ी सिंपल गहने बहुत कुछ कह रहे हैं !!
रीमा बोली ताई जी मेरे गहने और कपड़ों पर मत जाइए , मुझे ऐसे ही रहना पसंद है , आपको मेरी मुस्कान देखकर समझ जाना चाहिए कि मैं बहुत खुश हूं !!
आज रीना भी चुप रहने वाली नहीं थी वह बोली ताई जी शिखा सर से लेकर नीचे तक सोने के गहनों से लगी हुई है मगर उसके चेहरे पर बिल्कुल भी मुस्कान नहीं है , मुझे लगता है आपको यह बात जरूर पता करनी चाहिए की शिखा खुश क्यों नहीं है ?? मैं खुश हुं क्योंकि जिस तरह मैं अपने पति की हर बातों में सर्मपण की भावना रखती हूं , मेरे पति भी मेरी हर बात पर सहमति जताते हैं !! मैं अपनी स्वेच्छा से अपनी जिंदगी जी पा रही हूं बिना किसी दबाव के , मेरे ससुराल वाले हर बात में मेरी भी राय लेते हैं !!
रीना की बातों से ऐसे लगा जैसे रीना ने ताई जी को एक सबक दे दिया , जो बात सुशीला तो पहले से जानती थी रीना की बातों में एकदम सच्चाई थी
शिखा चाहते हुए भी अपने मन-मुताबिक जिंदगी नहीं जी सकती थी , उस पर घरवालों की बहुत बंदिशें थी !!
शादी के बाद शिखा की मुस्कान कहीं खो सी गई थी !!
वहीं दूसरी तरफ रीना पहले से भी ज्यादा खुश नजर आ रही थी !!
राहुल घर का बेटा होते हुए भी एक जगह कुर्सी पर बैठा हुआ था और दूसरी तरफ सुकेत घर का जवाई होते हुए भी हंसते – हंसते अपने ताऊजी के सारे कामों में उनकी मदद कर रहा था !!
आज सुशीला भी यह बात समझ चुकी थी कि सिर्फ पैसा होना ही खुशी प्रदान नहीं कर सकता !!
असली खुशी तो वह है जहां पति-पत्नी की एक दूसरे के प्रति समर्पण की भावना हो जहां दोनों एक दूसरे की हर बात पर सहमत होते हो , जहां एक बेटी बहू बनने के बाद भी स्वेच्छा से अपनी जिंदगी जी सकें !!
दोस्तों अक्सर कई बार ऐसा होता है कि लोग अपनी बेटियों की शादी ऊंचे खानदान में करना चाहते हैं मगर क्या यह ऊंचे खानदान वाले लोग आपकी बेटी को उसकी इच्छा से जिंदगी जीने देते हैं ?? क्या उसे घर में वह मान सम्मान मिल पाता है जो उसे मायके में मिलता था ??
सोचिएगा जरूर !!
आपको यह कहानी कैसी लगी कृपया अपनी प्रतिक्रिया जरूर दीजिएगा तथा मेरी अन्य रचनाओं को पढ़ने के लिए मुझे फॉलो अवश्य करिएगा !!
आपकी सखी
स्वाति जैंन

#समर्पण

 

 

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