सम्मान तो करना पड़ेगा..!- लतिका श्रीवास्तव : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi:

पूरे ऑफिस में सुगबुगाहट व्याप्त हो गई थी

जैसे ही अनुभा ने नए ऑफिस में कदम रखा एक अजीब सी अनुभूति उसे हुई …

वो सबसे युवा थी महिला थी और उन सबकी बॉस थी!!शायद यही सबको खटक रहा था…!!

अनुभा के लिए सबकी निगाहों में अवहेलना का भाव थे…. ये लड़की क्या कर पाएगी!!हमारे ऊपर रौब जमाएगी ….ये तो अनुभवहीन है सभी कार्य तो हमीं लोग करेंगे यही चिंतन था..!

सबसे सीनियर कर्मचारी मिस्टर अनुराग ने “….आपका इस ऑफिस में स्वागत है मैडम ..” कहते हुए एक बड़ा सा पुष्पगुच्छ भेंटतो किया लेकिन उनकी आंखों में आदर भाव कम उपहास के भाव ज्यादा दिखे थे अनुभा को।

क्या मैं एक महिला हूं सिर्फ इसीलिए ये लोग मुझे कम आंक रहे हैं और अपनी आंखों से गिरा रहे हैं!!

यही सोचते और सबके अनमने भाव से ओढ़ी हुई स्वागत की रस्में निभाती अनुभा असहज और अस्वाभाविक हो गई थी।

हम भारतीय ही सबसे पहले चांद पर पहुंच गए हैं और हम भारतीय ही अभी भी महिला वाद और पुरुष वाद की मानसिकता से मुक्त नहीं हो पा रहे हैं..!जबकि चांद पर पहुंचने की जटिलताओं को साध्य करने वाली टीम में महिला सदस्यों की संख्या ही सर्वाधिक थी..ये सोच कर ही गर्वानुभूति से वो मुस्कुरा उठी।

दो दिनों बाद ही ऑफिस का निरीक्षण होने वाला था ..!वो सब कुछ भूल चैतन्य होकर सम्मुख निरीक्षण रूपी चुनौती   का सामना करने में जुट गई।

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दूसरे दिन सुबह ऑफिस टाइम पर सबसे पहले ही अनुभा ही पहुंची सभी स्टाफ कर्मी उसके बाद ही आए…लेकिन वो कुछ गलत कर रहे हैं ऐसा भाव भी उनके चेहरे पर नहीं था इस बात को अनुभा ने तत्क्षण  अनुभव कर लिया था..!

मिस्टर अनुराग सारी फाइलें पूरी करवा कर मेरी टेबल पर ले आइए ..”कह कर वो तेजी से पूरे ऑफिस का मुआयना करने निकल पड़ी…चौतरफा पसरी अस्त व्यस्तताओं के लिए उसने सफाई कर्मियों को सख्त ताकीद की

“लापरवाहियों की कोई माफी नहीं “एक तख्ती ऑफिस में टांग दी जो सबकी टेढ़ी नजरों का केंद्र बनी थी।

मेरी फाइल तो अभी कंप्लीट नहीं हुई है अनुराग जी…मिहिर कुमार ने थोड़ी चिंता से कहा … हां यार मेरी भी फाइल में बहुत सा काम बचा है अभी ..विपिन बाबू भी  बोल पड़े …कई और लोग भी अपनी अपनी फाइल खोल कर बोलने लगे…कोई माफी नहीं मिलेगी मैडम की तरफ से भईए….नीरज जी ने कहा तो

अरे बंधुओं बिलकुल चिंता ना करिए इन मोहतरमा को क्या मालूम फाइल की लीला इन्हें तो बस ये तख्ती टांगना साहबी फटकार लगाना यही ताम झाम आता है ..फाइल कंप्लीट है या इनकंप्लीट इतना अनुभव और ज्ञान इनके पास कहां..!!अनुरागजी के कहते ही पूरे ऑफिस में जोरो के ठहाके गूंज उठे जो अनुभा के कानों तक भी पहुंच गये थे।

मैडम ये फाइल ले आया हूं…अनुराग जी ने फाइलें अनुभा के सामने रखते हुए कहा तो अनुभा ने तुरंत ही उन्हीं की फाइल मांग ली और देखने लगी…!

ये क्या अनुराग जी आपका ही कार्य पूरा नहीं है अभी तक मैंने फाइल कंप्लीट करके लाने कहा था शायद आपने ठीक से सुना नहीं था!!फिर अगली फाइल उठा कर देखना शुरू किया और उसे भी अनुराग को वापिस कर दिया

अनुराग जी मुझे लगता है ये सारी फाइल अधूरी हैं…वो तख्ती आप भी पढ़ लीजिए और बाकी सभी को भी गंभीरता से पढ़ने कह दीजिए…आज सभी लोग फाइल कंप्लीट करने के बाद ही घर जायेंगे …..!अनुभा की आवाज   की तल्खी अनुराग जी ने स्पष्ट महसूस कर ली थी।

लेकिन काम के प्रति लापरवाही बरतना जहां एक प्रवृत्ति बन चुकी हो वहां एक महिला बॉस के आदेशों की धज्जी उड़ने में वक्त ही कहां लगता है..!

सभी की गप शप और चाय स्नैक्स का लापरवाह दौर बदस्तूर जारी था….शाम होने को आ गई थी और कोई भी फाइल अनुभा की टेबल पर नहीं आई थी जबकि एक दिन बाद ही ऑफिस इंस्पेक्शन था ..!

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ऑफिस क्लोजिंग का टाइम हो चुका था सभी लोग घड़ी की तरफ देखते आज का ऑफिस तो खत्म हुआ कल करेंगे फाइल का काम …कहते हुए और नवागंतुक बॉस की उपेक्षा करते हुए अपनी अपनी सीट से उठ चुके थे…तभी ऑफिस का मेन गेट बंद होने की आवाज आने से सभी कर्मचारियों के कदम रुक से गए..ये क्या हो रहा है…”ऑफिस टाइम खत्म हो गया है हमें घर जाना है ” गेट क्यों बंद किया जा रहा है!! आक्रोशित प्रश्नों के जवाब में ऑफिस के गार्ड ने सिर्फ  ” मैडम का आदेश है” कह चुप्पी साध ली।

दिन भर काम करने के बाद अब हम घर भी ना जाएं क्या मैडम!!रोष पूर्ण प्रतिक्रिया से अविचिलित अनुभा ने भी उतने ही रोष से कहा …बिलकुल घर जा सकते हैं लेकिन दिन भर काम करने के बाद ही..!!अगर दिन भर कार्य किया होता तो फाइल अधूरी नहीं होती..!!जब तक आप सभी लंबित काम पूर्ण नहीं करते गार्ड गेट नहीं खोलेगा घर नहीं जायेंगे!

ये एक महिला का  नहीं उनके सख्त बॉस का आदेश है जिसकी अवहेलना भारी पड जायेगी ….सबको महसूस हो गया था…सारे ऑफिस में सन्नाटा था सभी अपनी अपनी फाइल में सिर घुसाए काम में तल्लीन थे शाम के सात बज गए थे …फिर ना ही टी टाइम हुआ था ना ही लंच टाइम!हर फाइल अनुभा ने जांची परखी …वापिस की ….सुधारी…!!

निरीक्षण टीम निर्धारित दिन पर ठीक समय पर आई …सभी फाइल और उनके संतोषजनक जवाब अनुभा ने आई हुई टीम को देकर सफलता पाई और अपने ऑफिस कर्मियों की शंका पर विराम चिन्ह लगाते हुए उनकी अवहेलना असहयोग और लापरवाही का कड़ा जवाब दे दिया था..!

अचानक सबकी नजरों में अनुभा के प्रति डर और सम्मान दोनों थे  …योग्यता और प्रतिभा महिला या पुरुष में भेदभाव नहीं करती!!…और प्रतिभा को अपना लोहा मनवाना भी आता है..।

आंखों से गिरना (आदर भाव कम होना)

लतिका श्रीवास्तव

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