आज कॉलेज में मेरा पहला दिन हैं । छात्र के तौर पे नहीं , विश्वविद्यालय में हिस्ट्री के अतिथि शिक्षक के तौर पे ।बहुत हाथ पैर मारने के बाद ये नौकरी मिली है ।
कहते है ना कि “ कुछ ना होने से , कुछ होना ही बेहतर है “। शिक्षक के रूप में अपने विद्यार्थियों से आज मेरा साक्षात्कार है ।
इसलिए जब मैं कक्षा में पहुँचा , तो विद्यार्थियों ने थोड़ा हंसी मज़ाक़ किया जो स्वाभाविक था । कुछ समय पश्चात मेरी झिझक मिट गई
और पढ़ाने में मज़ा आने लगा । यूँ ही दिन बीतते गए और मैं कॉलेज के छात्रों के बीच बहुत फेमस हो गया । लेकिन कहते है ना
कि ख़ुशी ज़्यादा दिन तक नहीं रहती , वहीं हुआ । मेरे सीनियर ने मुझें एक काम दिया था , जो मैं समय पर नहीं कर पाया ।
इसलिए उन्होंने मुझें खरी खोटी सुनाना शुरू कर दिया । सर ! पहली बार है । आगे से ऐसा नहीं होगा ! बोल मैंने परिस्थिति को अपने अनुकूल किया । और गाँठ बाँध ली कि आगे से काम समय से पहले करूँगा ।
एक दिन मुझे घर जल्दी जाना था , लेकिन मेहता जी ने मुझे अपने कमरे में बुलाया और कहने लगे तुमने डेटा विश्लेषण गलत किया है ।
लेकिन सर ये डेटा तो आपने ही दिया था तो इसमे गलती ….
अपने सीनियर को जवाब देते हो !
नहीं सर, मैं तो हक़ीक़त बता रहा हूँ !
तुम्हारी इतनी जुर्रत की तुम मुझें गलत बोल रहे हो !
बस फिर क्या उन्होंने मुझे जो खरी खोटी सुनाना शुरू किया तो …….उसे सुन वहाँ बैठें मेरे मित्र ने मुझे चुप रहने का इशारा किया । मैं समझ गया कि कुछ ग़लत है ।।।।।
बाहर आकर मेरे दोस्त ने मुझे बताया की मेहता जी को अच्छा नहीं लगता कि कोई उनसे पहले काम पूरा कर ले ।लेकिन ये तो ग़लत है गलती ना होने पर भी सुनना ।
मानता हूँ गलती उनकी है ! पर क्या करे हमारा सिस्टम ऐसे लोगो से भरा हुआ है । जो आपको आगे बढ़ने से रोकते है । अगर तुम्हें अपनी नौकरी प्यारी है तो थोड़ा तो सहना पड़ेगा ।
दोस्त नौकरी तो प्यारी है ,पर सम्मान उससे भी ज़्यादा प्यारा है । नौकरी एक गई तो दूसरी मिल जाएगी लेकिन सम्मान एक बार खो गया तो फिर गुमनामी ही मिलेगी ।
इसलिए आगे से अगर उन्होंने मुझे खरी खोटी सुनाई तो मैं चुप नहीं रहूँगा । सम्मान देंगे तो सम्मान पाएगे !!
#खरी खोटी सुनाना
स्वरचित रचना
स्नेह ज्योति