आज रुनझुन कुछ सोच कर खुश थी और मन ही मन मुस्करा रही थी।
क्या बात है बेटा क्या सोच रही हो और मुस्करा भी रही हो ?
मुझसे गले लगकर बोली कुछ नहीं मम्मा ऐसे ही, आज स्कूल में कुछ पढ़ाई ही नहीं हुई।
क्यों?
आज साइंस वाली अनुषा मैम को स्कूल में चक्कर आ गए
अरे क्यों, कैसे?
उनके घर में कुछ कहासुनी हो गई थी तो उन्होंने खाना नहीं खाया था।
फिर क्या हुआ? मैने जिज्ञासा से पूछा
मम्मी मैने उन्हें पानी पिलाया फिर सब टीचर्स भी आ गई ओर बच्चे भी
पर मैम ने फिर सब बच्चो को क्लास में वापस भेज दिया सिर्फ मै रही उनके साथ।
अच्छा
फिर इंग्लिश मैम ने आकर उनसे पूछा कि क्या हुआ?
तो उन्होंने बताया कि दो साल हुए है शादी किए
बड़ा घर है तो सब मेनेज सही से नहीं कर पाती।
कोई ना कोई कमी रह ही जाती है।
सबके लिए कर कर के किसी ना किसी को दुखी कर ही जाती हूं।
ओह! ऐसा है अनुषा जी
वो कहते है ना जिंदगी को जीना आसान नहीं होता
जिंदगी को जीना आसान बनाना पड़ता है।
कैसे मैम?
कुछ सब्र करके
कुछ बर्दाश्त करके
और कुछ नजरंदाज करके
होता है अनुषा हर घर में सबको सब कुछ नहीं मिलता
पर उसके लिए खुद को परेशान करना कहा को समझदारी है।
आप खुद को खुश रखेंगी, तो ही आप सबको खुश रख पाएंगी।
दूसरो के साथ साथ खुद के लिए भी जीना सीखो अनुषा।
हसा करो खुश रखा करो खुद को
कुछ लोगों का हँसना भर ही मोटिवेशन हुआ करता है आप जब दोपहर बाद ऐसे किसी व्यक्ति से मिलते हैं जिसके चेहरे पर मुस्कुराहट फैली हो उसके चेहरे की रौनक देख आप की झुंझलाहट, कहीं गुम हो जाती है आप यह भी भूल जाते हैं कि आप सुबह घर से निकलते समय किस बात पर उदास थे…
समझी कुछ
जी जी सब समझ गई आज आपने मुझे बहुत कुछ सीखा दिया।
रुनझुन तुम क्या समझी बेटा
मम्मा मैं भी सब समझ गई आप चिंता ना करिए
मेरी समझदार बेटी
नताशा हर्ष गुरनानी
भोपाल