मां… कल अपने यहां करवा चौथ पर सरगी में क्या-क्या बनेगा और हां मां मुझे सुबह जल्दी उठा देना मुझे जल्दी उठने की आदत नहीं है ना, कल सुबह-सुबह ही खाने की बहुत सारी तैयारी करनी होगी ना, पंजाबी परिवार की सिमरन जो अभी 5 महीने पहले ही इस घर में बहु बनकर आई थी ,ने अपनी सासू मां कावेरी से पूछा!
नहीं सिमरन बेटा.. हमारे यहां सरगी जैसा कोई रिवाज नहीं होता बल्कि हमारे यहां तो पूरा दिन निर्जला व्रत किया जाता है जिसमें चांद उगने तक महिलाएं पानी तक ग्रहण नहीं करती, हां.. तुम्हें कोई रोक-टोक नहीं है तुम चाहो तो पानी पी सकती हो, दरअसल कावेरी के बेटे रोहित ने सिमरन से प्रेम विवाह किया था और दोनों परिवार वालों ने खुशी-खुशी इस रिश्ते को मंजूरी दी थी!
कावेरी जी अपनी चंचल और संस्कारी बहु सिमरन को बहुत प्रेम करती थी, उन्हें खुद को डर सता रहा था कि यह नाजुक सी बच्ची कल पूरा दिन कैसे भूखी प्यासी रहेगी! तब सिमरन ने कहा.. नहीं मां जैसे आप यह व्रत करते हो वैसे ही मैं भी करूंगी, मैंने यह सिंदूर केवल नाम के लिए अपनी मांग में नहीं भरा है बल्कि मैं सारी रीति रिवाज पूरे मन से निभाऊंगी,
मैं अपने रोहित के लिए कुछ भी कर सकती हूं यह तो सिर्फ एक दिन भूखे प्यासे रहने की रस्म है, देखना मां मैं इसे अच्छे से निभाऊंगी! सिमरन की बातें सुनकर मां कावेरी खुश हो गई! अगले दिन रोहित के ऑफिस जाते ही मां ने सिमरन से कहा …देख बेटा अभी बहुत लंबा दिन है चंद्र दर्शन 9:00 बजे के आसपास होंगे तब तक तुम चाहो तो जूस या पानी पी सकती हो, फूल सी बच्ची कैसे पूरा दिन निकालेगी?
नहीं मां आप हो ना.. हम दोनों सास बहू मिलकर आज का दिन अच्छे से एंजॉय करेंगे, अब सिमरन ने घर पर ही कंपनी से ब्यूटी पार्लर वाली और मेहंदी वाली को बुला लिया जिन्होंने कावेरी और सिमरन को शाम तक अच्छे से तैयार कर दिया, कावेरी जी तो अपने आप कोदेखकर चकित ही रह गई, क्या वह इतनी सुंदर है, उनका तो बिल्कुल रूप ही बदल गया, अपने आप को नई नवेली दुल्हन की तरह एहसास होने लगा!
उन्होंने सिमरन के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा… बेटा मुझे एक बेटी की चाहत थी लेकिन तूने वह पूरी कर दी, तूने तो मुझे भी अपनी तरह नई नवेली दुल्हन बना दिया, हाथों में खिलती हुई मेहंदी, मांग में भरा हुआ सिंदूर, भरे भरे हाथों के चूड़े उनकी खुशियां अपने आप ही व्यक्त कर रहे थे कि अचानक सिमरन को चक्कर आ गया और वह बेहोश हो गई! कावेरी जी घबरा गई
उन्होंने तुरंत अपने पति रमेश जी को बुलाया और रोहित को भी फोन कर दिया, उस समय रोहित अपने पत्नी के लिए उसकी पसंदीदा मिठाई लेकर आ रहा था और उससे पहले उसने सिमरन को देने के लिए एक सुंदर सी अंगूठी भी ले ली थी क्योंकि उसकी पत्नी ने आज उसके लिए पहला करवा चौथ का व्रत रखा था, सिमरन की बेहोशी वाली खबर सुनते ही रोहित सीधा अस्पताल भागा, सिमरन के मम्मी पापा भी अस्पताल पहुंच गए,
1 घंटे बाद डॉक्टर ने बाहर आकर कहा.. देखिए घबराने की कोई बात नहीं है सिमरन बिल्कुल ठीक है शायद इसे इतना भूखा प्यासा रहने की आदत नहीं थी इसलिए इसे चक्कर आ गए और आप सबके लिए खुशखबरी है सिमरन मां बनने वाली है, यह सुनकर तो पूरे परिवार में खुशी की लहर दौड़ पड़ी! तब फैमिली डॉक्टर ने कहा.. किंतु सिमरन को अभी बहुत कमजोरी है
हमने उसे खाने के लिए एक दवाई दी थी किंतु वह नहीं खा रही और बोल रही है डॉक्टर साहब… चांद उगने में बस 2 घंटे बाकी है और मैं यह अपना व्रत किसी हालत में नहीं तोड़ना चाहती, मैं सिर्फ अपने पति के हाथों से ही पानी पियूंगी, अब आप ही उसे समझाइए, हालांकि अब सिमरन ठीक है दवाई की भी कोई खास आवश्यकता नहीं है,
आप चाहे तो यह दवाई खाने के बाद में भी दे सकते हैं, तब परिवार जन् सिमरन से मिलने उसके रूम में गए जहां सिमरन के ग्लूकोज की बोतल लगी हुई थी, सभी ने लाख कहा… सिमरन दवाई तो ले लो, किंतु सिमरन अपनी जिद पर अड़ी रही! तब उसके पति रोहित ने कहा… सिमरन मैं तो तुम्हारी बेहोशी की खबर सुनकर बहुत घबरा गया था पता नहीं क्या-क्या उल्टे सीधे विचार मेरे दिमाग में आने लग गए, अगर तुम्हें कुछ हो जाता तो मैं तो जीते जी मर जाता!
नहीं रोहित… ऐसा मत बोलो.. हम दूसरे दोनों एक दूसरे से बेहद प्रेम करते हैं और मैंने यह सिंदूर दुनिया को दिखाने के लिए नहीं भरा है यह हमारे प्रेम का प्रतीक है और रही बात दवाई की तो ऐसा मुझे कुछ नहीं हुआ है मैं बिल्कुल ठीक हूं, तब सिमरन ने चुटकी लेते हुए कहा… दो चुटकी सिंदूर की कीमत तुम क्या समझोगे रोहित बाबू और यह सुनकर पूरा परिवार हंसने लगा!
थोड़ी देर बाद सिमरन को घर ले आए तब तक चांद भी निकल आया था, हालांकि सिमरन कि बहुत इच्छा थी कि वह अपनी सासू मां के साथ आज पूरे रीति रिवाज से करवा चौथ की कहानी सुनेगी, पूजा करेगी, तब उसकी सासू मां ने अपनी उदास बहू को देखकर कहा… बेटा.. माना कहानी व्रत यह सारी रसम बहुत जरूरी है किंतु कई बार स्थिति ऐसी हो जाती है कि हम यह सब नहीं कर पाते किंतु तुम्हारे मन में इस बात को लेकर इतनी श्रद्धा और विश्वास है यही बहुत बड़ी बात है!
तुम तुम्हारे मन में किसी भी प्रकार की कोई शंका मत रखो! तब रोहित ने सिमरन को अपने हाथों से पानी पिलाया और उसकी पसंदीदा मिठाई खिलाई और सिमरन को गले लगा लिया और कहा… सिमरन में तुम्हारी जैसी पत्नी प्रकार बहुत प्रसन्न हूं! तब सिमरन ने कहा… सेम टू यू मिस्टर पतिदेव और दोनों फिर से एक दूसरे के गले लग गए!
हेमलता गुप्ता स्वरचित
कहानी प्रतियोगिता ( सिंदूर )