समधनों का घर – ऋचा उपाध्याय : Moral Stories in Hindi

  “अम्मा आप न कमरे से बाहर मत निकालिएगा मेरी सहेलियाँ आ रही हैं आप बिल्कुल मिसफिट हो जाती हैं उनके बीच”, रिया ने ज़ोर से अपनी सीधी सादी सरल हृदया सास कमला जी को बोला।

   “ममा आप अच्छे से रेडी हो जाओ मेरी फ्रेंड्स भी तो देखें कि मेरी ममा अपनी इकलौती बेटी के साथ रह रही हैं आजकल यही ट्रेंड है”। कमरे से बाहर आकर रिया ने अपनी माँ सीमा जी को बोला।

  “पर बेटा कमला जी से ऐसे कैसे बात ………. रिया ने सीमा जी को बीच में टोकते हुए कहा “ममा वो इसी लायक हैं। देहातन! ,अच्छा खासा गाँव में रह रही थीं पर बाबूजी के गुजरने पर रवि ने मेरे सर पर ला कर मढ़ दिया” चिढ़ते हुए रिया बोली।” इतनी हाई सोसाइटी में ये बिल्कुल सूट नहीं करती हैं पर रवि की ज़िद है कि अम्मा अब यहीं रहेंगी”। 

   “फिर तो रवि को भी लग रहा होगा कि मैं उसके गले मढ़ दी गई” सीमा जी ग्लानि से भर कर बोलीं।

  “ओह नो ममा! इस मामले में रवि बहुत सीधे हैं घर के बारे में कुछ नहीं बोलते उनके पास टाइम ही नहीं है”।” जानती हो ममा,पापा के जाने के बाद जब मैं आपको याद करती थी या आपके लिए परेशान होती तो बोलते कि रोने से क्या फायदा ममा को जबरदस्ती यहाँ ले आओ उम्र हो गई है अकेले रहना ठीक नहीं है। और हाँ ये भी कि, यहाँ रहेंगी तो ममा और अम्मा को एक दूसरे का साथ भी हो जाएगा”।”बट डोंट वरी ममा एक दो दिन आप इनके साथ एडजस्ट करो मैं इनको उपर के कमरे में सेट कर दूंगी”।

  “नहीं नहीं रिया मुझे कमला जी के साथ रहने में कोई समस्या नहीं ‌है उनको भी बार बार ऊपर नीचे आने-जाने में दिक्कत होगी हम दोनों साथ में रहेंगे तो मन लगेगा”। सीमा जी बोलते हुए क्षुब्ध सी होकर कमला जी के पास जाकर बैठ गईं। उन्हें अपनी बेटी का ये दोहरा चरित्र समझ नहीं आ रहा था।

     सहेलियाँ आ गईं तो रिया ने आवाज़ दी “ममा जल्दी आइए मेरी फ्रेंड्स आपसे मिलना चाहती हैं”। थोड़ी देर में सीमा जी कमला जी का हाथ पकड़ कर ड्रॉइंग रूम में आईं और दोनों रिया की सहेलियों से बातें करने लगीं। रिया को काटो तो खून नहीं । जैसे तैसे पार्टी खत्म हुई।

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    रिया ने खिसिया कर गुस्से से सीमा जी से कहा “ममा आप अम्मा को क्यों बाहर मेरी सहेलियों के पास ले कर आईं। कैसे सीधे पल्ले की गुजी-मुजी सूती धोती पहन कर आ गई थीं, बात करने का ढंग भी बिल्कुल गंवारों वाला”। सब क्या सोच रही होंगी। इतने दिनों से यहाँ हैं मैंने कभी किसी से नहीं मिलाया था”।

  ” पर रिया घर में तो सब ऐसे ही रहते हैं न” सीमा जी ने बोला और वो तो बुजुर्ग हैं, माँ हैं”।

“बस बस ममा उन्हें ज्यादा सर चढ़ाने और सहेली बनाने की ज़रूरत नहीं है”।

   ये सब रोज़ की कहानी……और ये देख कर सीमा जी ने कुछ निश्चय किया और बस ….

  कुछ दिनों बाद एक सुबह सीमा जी को अपने सब सामान के साथ बाहर बैठे देख कर रवि ने पूछा “ममा ये सब क्या है आप कहाँ जा रही हैं”। सीमा जी ने कहा “बेटी के घर ज्यादा दिन रहना अच्छा नहीं लगता है बेटा। मुझे आप स्टेशन छोड़ दो”।

  रिया ने कहा “ममा आप भी कैसी दकियानूसी बातें ले कर बैठ गई। आजकल के ज़माने में बेटा बेटी एक समान “।

   ” हाँ रिया ठीक कह रही है।आप ये कैसी बात कर रही हैं ये आपकी बेटी का घर है तो आपका भी तो घर हुआ न ममा” रवि ने कहा।

   सीमा जी ने भावुक होते हुए कहा कि “रवि बेटा तुम बहुत अच्छे हो पर जब बेटे का घर उसकी माँ का नहीं तो बेटी का घर मेरा कैसे”।रवि अवाक सा उनका मुँह देखने लगा।

   सीमा जी ने कहा “हाँ बेटा सिर्फ माँ को गाँव से ले आने से ही तुम्हारी ज़िम्मेदारी खत्म नहीं होती। उनकी ज़रूरत को समझना और उन्हें समय देना भी तुम्हारा फर्ज है”।

    ” पर माँ रिया है न वो तो घर पर रहती है मुझे लगा वो ……

    ” हाँ पर ज़रूरी नहीं है कि हर किसी की सोच तुम्हारे जैसी अच्छी हो।हर कोई तुम्हारे जैसा सहज और सरल हो ज़रूरी तो नहीं” ,सीमा जी ने रवि की बात काटते हुए कहा।

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     “पर अम्मा ने भी तो मुझ से कभी कुछ नहीं कहा कोई शिकायत नहीं की रवि ने अचकचा कर कहा”। अम्मा भी बिल्कुल भौंचक सी थीं कि ये हो क्या रहा है।

    ” ये तो कमला जी की भलमनसाहत है, पर उनके सीधेपन की कद्र मेरी बेटी को नहीं है। और मुझे अपने आप पर शर्म आ रही है कि मेरे संस्कार में कहाँ कमी रह गई जो मेरी बेटी अपनी माँ और पति की माँ में भेदभावपूर्ण व्यवहार करने लगी। जिस घर में एक माँ को नज़रंदाज़ किया जा रहा है उस घर में…

 ” बस करो माँ रिया ने रोते हुए कहा आज आपने मेरी आँखे खोल दीं। मैं रवि जैसे अच्छे दिलवाली क्यों नहीं बन सकी, आपने संस्कार देने में कोई कमी नहीं की ममा सब मेरी गलती है’ मैं सास बहू के रिश्तों के बारे में सहेलियों के किस्से सुन सुन कर पूर्वाग्रह से ग्रस्त थी। और आपको आपकी बेटी के घर में कोई कमतर न समझे इसलिए अम्मा के साथ ऐसा रूखा व्यवहार करने लगी।

 ममा और अम्मा आप दोनों मुझे माफ़ कर दीजिए…..

     तभी कमला जी ने आगे बढ़कर कहा “रवि बेटा सीमा जी का सामान अन्दर ले जा कर रख दे। आज से ये घर रिया या रवि का नहीं है ये हम दोनों समधनों का घर है हम दो सहेलियों का, और हंस कर सीमा जी को गले से लगा लिया।

ऋचा उपाध्याय

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