भाभी का फ़ोन आने के बाद अरुणा काफ़ी देर तक असमंजस में थी. उसके पति विनय ने उससे पूछा तो उसने बताया कि भाभी ,नेहा और रिया के साथ कल सबेरे आ रही है, नेहा के लिए कोई रिश्ता देखने आ रहे थे. पहले कितने बार बुलाया, पर भाभी नहीं आई , इस बार बड़ी मुश्किल से मानीं है वो यहाँ आने के लिए,और अब मुझे समझ नहीं आ रहा है कि उन्हें मना कैसे करें.बड़ी मुश्किल तो ये है कि विशाल भी आ रहा है.
विनय ने उससे कहा कि इसमें परेशान होने वाली कौनसी बात है , आने दो उनको, सब कुछ ठीक होगा, चिन्ता मत करो.
अरुणा सोचते हुए पुराने समय में खो गई. १० साल पहले की बात है. अरुणा की बड़ी नन्द अनिता दीदी के बेटे विशाल का रिश्ता लेकर अनिता दीदी, अरुणा के पास आयीं थीं, भाभी की बड़ी बेटी नेहा के लिए. विशाल को भी नेहा पसंद आ गई थी.
अरुणा तो सुनकर बहुत ज़्यादा खुश हो गई थी.
विशाल देखने में तो बहुत आकर्षक और गुणी था, और इंजीनियरिंग करने के साथ ही एक बड़ी कंपनी में उसकी नौकरी भी लग गई थी.
अनिता दीदी और जीजाजी दोनों ही साधारण नौकरी करते थे, पर उन्होंने पुरा ध्यान बच्चों की पढ़ाई पर ही लगा दिया था . बेटी पूजा भी सरकारी नौकरी में थी और उसका पति भी. कुल मिलाकर बहुत अच्छा रिश्ता आया था, पर भाभी को इसमें कुछ भी अच्छा नहीं लगा, उन्हें अपनी हैसियत के आगे रिश्ता तुच्छ लगा, छोटा सा घर, साधारण परिवार उन्हें अपने बड़े बिज़नेस वाले परिवार के सामने नौकरी करने वाले लोग गरीब लगे, और उन्होंने अरुणा कोबहुत भला -बुरा कहा, और अरुणा से बातचीत बंद कर दी.
अरुणा जब भी फ़ोन करती, भाभी कोई न कोई बहाना बनाकर उससे बात करना टाल देतीं.तीन-चार साल तक यही चलता रहा.
एक दिन भाभी का फ़ोन आया कि भैया का अचानक हार्ट अटैक से निधन हो गया है, अरुणा भी वहाँ पहुँच गई थी, अब भाभी ने काफ़ी समय के बाद उसके साथ बातचीत की थी.
भैया के जाने के बाद बिज़नेस भी ठीक नहीं चला. भाभी ने सबकुछ बेच बांच कर , पैसा बैंक में जमा कर दिया और अब ऐसे ही घर चल रहा था.
बेटियों के लिए भाभी कि अपेक्षा बहुत अधिक थी, उस हिसाब से लड़कियाँ ज़्यादा पढ़ीं लिखीं भी नहीं थी और सुंदर भी नहीं थी, लड़के वालों की तरफ़ से भी रिश्ता नामंज़ूर होने लगा और इसी चक्कर में दोनों बेटियों कि भी उम्र बड़ गई. अब तो भाभी को भी उनकी शादी कि चिंता होने लगी, पर पहले इतना ना-नुकर करने के कारण कोई भी उन्हें रिश्ता नहीं बता रहा था.
अरुणा को अपने भैया से बहुत प्रेम था इसलिए वो कोशिश करती रहती थी.कोई अच्छा रिश्ता आया कि भाभी को बताती थी.
अरुणा को चिंता इस बात पर हे रही थी कि विशाल , अनिता दीदी और अपनी गर्भवती पत्नी के साथ यहाँ दो दिन के लिए आने वाला था,
विशाल अब बहुत ही बड़े पद पर नियुक्त था, पत्नी भी उसे बहुत पढ़ी लिखी और सुंदर मिलीं थीं.अनिता दीदी और जीजाजी ने भी रिटायर होने के बाद भोपाल में ही एक बड़ा घर ले लिया था.अब तो वो एक संपन्न परिवार हो गया था.
अरुणा सोच रही थी समय का चक्र कैसा होता है न, भाभी ने जिनके छोटे घर और साधारण परिस्थितियों के कारण शादी के लिए इंकार कर दिया था , आज वो इतनी सम्माननीय स्थान पर है, काश भाभी ये पहले समझ पाती कि लड़के में क़ाबिलियत होगी तो वो बहुत अच्छा कर सकता है, तो शायद आज परिस्थिति कुछ और ही होती.
अरुणा नहीं चाहतीं थीं कि दोनों का आमना-सामना हो.
अरुणा इन्हीं विचारों में थी कि अनिता दीदी का फ़ोन आया कि वो लोग अभी नहीं आ पाएँगे, अगले हफ़्ते आएँगे, और अरुणा ने चैन की साँस ली.
अरुणा अब भाभी के स्वागत की तैयारी में जुट गई.
सोनल जोशी