समर्पण- दीपा माथुर: Moral stories in hindi

Moral stories in hindi: जानती हो अपने फ्लैट में एक नई फैमिली शिफ्ट हुई है। सास,बहु को तो देखा था। और हां,साथ में एक दो साल की गुड़िया भी है। राधिका ने चटखारे लगाते हुए गार्डन में घूमती सखियों को बताया। विनीता ने मुंह बिगाड़ा और बोली ” हु उन्हे यहां शिफ्ट हुए तो छः महीने हो गए घमंडी लोग है किसी से बोलते भी नही है।”

वो बहु को देखो तो सुबह सुबह मुंह सुजाए घर से निकल जाती है । सासू मां अंदर बैठी रहती है। मजाल है खिड़की का पर्दा भी इधर उधर हो जाए। ऐसे लोगो से तो अच्छा था फ्लैट खाली रहता।” आज का टॉपिक तो मिल ही गया। बस भी चर्चा परिचर्चा शुरू? एक दो घंटे ऐसे ही बीत गए। सांझ पड़ने वाली है पूजा अर्चना का भी समय हो रहा है चलो घर चलते है।

कहते हुए सभी महिलाएं अपने अपने घर की तरफ बढ़ चली। तभी राधा भाभी ने देखा ” एक नन्ही सी बच्ची सीढ़ियों से चौथी मंजिल की और बढ़ रही थी।” अरे गिर जाएंगी। राधा भाभी जोर से बोली। पर उसने सुना अनसुना कर दिया और बढ़ती रही। राधा भाभी फटाफट सीढियों पर पहुंची बच्ची को गोद में उठाया। बहुत प्यारी सी बच्ची थी।

किसकी है? पहले कभी देखा नहीं? मन ही अनगिनत प्रश्नों की झड़ी लग गई। वो गार्डन में बात……? कही ये वो ही तो नही सोचते हुए राधा भाभी उस फ्लेट की तरफ बढ़ गई। दरवाजा खुला था। हेलो हेलो करती हुई आगे बढ़ी।कोई दिखाई नही दिया। तभी एक कमरे में से मेरी लाडो को अब  क्या खाएंगी?

आवाज सुन राधा भाभी कमरे में पहुंची देखा एक सत्तर साल की महिला आंगन में बैठी है। लकड़ी के सहारे से कुछ ढूंढ रही है। राधा बोली ” अम्मा जी ये बच्ची आपकी ही है ना?” अम्मा चौक गई। मेरी अमिया तो यही खेल रही होंगी ना? आज ऋचा ने बताया था लाला फ्रॉक पहनाई है। राधा भाभी को कुछ अजीब लगा।

बोली ” जी देखिए ये बच्ची सीढ़ियों पर थी” अम्मा जी बोली ” लाल frok मे?” राधा बोली ” जी अम्मा जी ” अम्मा घबरा गई बोली ” या ये ये बाहर कैसे निकल गई?” माफ करना इन आखों में अब रोशनी नही रही तो देख नही सकती । लगता है अमिया गेट बंद करना भूल गई। राधा भाभी बोली ” अरे तो अपनी बहु को कहो की ऑफिस साथ ले जाए ? आपके भरोसे क्यों छोड़ जाती है?

इस कहानी को भी पढ़ें: 

आत्मसम्मान को जिंदा रखना है – नीतिका गुप्ता

अम्मा की पलके भीग गई बोली ” क्या क्या कहूं उस देवी को?” बहु होती तो कह भी देती। राधा चौक गई ” जी मतलब ?” अम्मा बोली ” वो सामने दीवार पर एक फोटो देख रही हो? वो मेरे बेटे निर्भय की है। शहीद कर्नल निर्भय। अमिया तो उससे प्यार करती थी। पर मैने निर्भय की एक नही सुनी उसकी शादी सीमा से कर दी।

अभी आठ माह पहले बेटा शाहिद हो गया। बहु के मायके वाले सीमा को ले गए बोले ” हमारी बेटी को उम्र ही क्या है? दूसरी शादी कर देंगे। मेरा तो सब कुछ लूट गया था। और तनाव के रहते मै अपनी आखों से हाथ धो बैठी। तभी हमारे जीवन में अमिया पुनः आई। बोली बहु तो नही बन सकी पर बेटी बन कर आपकी सेवा करूंगी और निर्भय की बेटी को प्यार से पालने को सौभाग्य प्राप्त करूंगी।

जिसने देश हित अपने आप को न्योछावर कर दिया। उसके परिवार को बिखरने नही दूंगी। अम्मा अपने बहाव में बोले जा रही थी। राधा के आखों के अश्रु गालों से लुढ़क कर कपड़ो को भिगोने लगे थे। प्यार में सच्चा समर्पण आज ही देखने को मिला है। तभी अमिया आ गई ” अरे गेट कैसे खुला खुशी तो ठीक है ना? राधा को देख सहम गई।

राधा नम आखों से अमिया की तरफ बढ़ी और बोली “तुम्हारी सेवा को सलाम” पर बहन अब तुम चिंता मत करो खुशी को हम लै जायेंगे तुम जब ड्यूटी पर जाओ तो खुशी को और अम्मा को हम अपने साथ रखेंगे। एक शहीद की अम्मा का और बेटी का ध्यान रखना हमारे लिए भी सौभाग्य की बात होंगी।” अमिया राधा के गले लग गई। राधा ने अमिया के गालों पर हाथ रखा और बोली “अब नंद रानी आप भी हाथ पीले करवाने की तैयारी कर लो?

दीपा माथुर

#समर्पण

 

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!