नीरज.. आज शाम को ऑफिस से आते समय गुलाब जामुन लेते हुए आना, तुम्हें पता ना इस समय मुझे कभी चटपटा कभी खट्टा कभी मीठा खाने का मन करता है तो आज मेरा मीठा खाने की बहुत ही इच्छा हो रही है और हां गुलाब जामुन छुपा कर लाना मां जी को इसकी भनक ना पड़ जाए!
जब सौम्या नीरज से यह सब कह रही थी जानकी जी ने यह सारी बातें सुन ली और उन्हें अपनी बहू के ऊपर बहुत तेज गुस्सा आने लगा, ओह.. तो मुझसे छुपा छुपा के अपने कमरे में मंगा कर चीज खाई जा रही है, पता नहीं कितनी चीज मंगा कर रखती होगी अपने कमरे में, हम क्या मना करते हैं
बहु को खाने की फिर चुपके चुपके क्यों खाती है, आने दो उसके पापा को आज सब बात बताती हूं ,शाम को नीरज ऑफिस से जैसे ही घर में आया देखा बीच हाल में मां बैठी हुई है तब मां ने कहा.. क्यों रे बीवी के भक्त.. आज बीवी की कौन सी फरमाइश पूरी करके आया है,
हां भई सही बात है, अब तो हम बुड्ढे बुढ़िया हो गए हमें कोई क्यों पूछेगा, आजकल तो वैसे भी तेरी बहू के नखरे भी बहुत है मेरी तो हर खाने की चीज में कटौती कर रखी है और खुद इतना सब कुछ मंगा मंगा कर खाती है, मेरा कितना मन करता है कभी खीर कभी हलवा कभी जलेबी का,
पहली बात तो आजकल बहू यह सभी चीज बनाती ही नहीं है और कभी बार त्योहार पर बनाती भी है तो बस प्रसाद की तरह देती है, अरे हम क्या भूखे नंगे हैं जो हमारे साथ इस तरह से व्यवहार करती है, तब नीरज ने मां की बात सुनकर सौम्या को आवाज़ लगाई,
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नीरज की आवाज सुनकर सौम्या और नीरज के पापा दोनों ही हाल में आ गए, यही सारी बातें जानकी जी ने सौम्या और अपने पति से कहीं, सौम्या तो बेचारी चुपचाप गर्दन नीचे करके खड़ी रही किंतु तब जानकी जी के पति अखिलेश जी ने कहा जानकी.. तुम बेवजह ही बहू के ऊपर गुस्सा हो रही हो
अरे “हम लोग भाग्यशाली हैं कि हमें ऐसी समझदार बहू मिली” तुम्हें पता है बहु सिर्फ तुम्हारी वजह से ही आजकल मीठा या ज्यादा तेल मसाले का खाना नहीं बनाती तुम शायद भूल गई किंतु सौम्या को अच्छी तरह याद है पिछले साल डॉक्टर ने तुम्हें डायबिटीज और हाई बीपी की परेशानी बताई थी
तुम तो अपने खाने-पीने पर बिल्कुल कंट्रोल नहीं करती किंतु बेचारी बहू तुम्हारी वजह से पूरे घर वालों के खाने पर कंट्रोल करती है, आज भी उसने गुलाब जामुन छुपा कर लाने को इसलिए कहा क्योंकि वह पेट से है और उसे इस समय खाने की चीजों का मन करता है इसीलिए उसने नीरज से ऐसी चीज छुपा कर लाने को कहा
ताकि उन्हें देखकर तुम्हारा खाने का मन ना हो और वैसे भी बहू तुम्हें किस बात की कमी रहने देती है, हम दोनों का सुबह की चाय से लेकर रात के दूध तक का ध्यान रखती है वह हमें बिल्कुल अपने मां-बाप की तरह मानती है अगर तुम्हें अपनी बीमारी का ध्यान नहीं है तो तुम शौक से इन चीजों को खा सकती हो
और जब तुम्हारी बीमारी ज्यादा बढ़ जाए तो मुझसे कहने की कोई जरूरत नहीं है, अखिलेश जी को नाराज होते देखकर जानकी समझ गई कि वह बिल्कुल सही कह रहे हैं उनके लिए थोड़ा सा भी मीठा खाना खतरनाक साबित हो सकता है, तब उन्होंने बहु के सिर पर हाथ फेरते कहा जी आप बहुत सही कह रहे हैं
बहू बहुत समझदार है किंतु मैं ही ना समझ निकाली बुढ़ापे में आकर मेरा मन बच्चों की तरह ललचाता रहता है पर हम बहुत भाग्यशाली हैं कि हमें ऐसी बहू मिली जो हमारा इतना ध्यान रखती है, बहू …आज से तुम्हें छुपा कर मंगाने की कोई जरूरत नहीं है मुझे खुद को ही अपने ऊपर कंट्रोल करना होगा
और अब मैं खुद तुम्हारे लिए अच्छी-अच्छी चीज बनाकर खिलाऊंगी ताकि तुम्हें बाजार से चुप चुप करना मंगाना नहींपड़े और जानकी की बातें सुनकर सभी हंस दिए!
हेमलता गुप्ता स्वरचित
हम लोग भाग्यशाली है कि हमें ऐसी समझदार बहू मिली