समझदार बहू – डॉक्टर संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

नीरा को देखने आज लड़के वाले आ रहे थे,नीरा एक आधुनिक,पढ़ी लिखी ,सुंदर लड़की थी जो किसी और

से प्यार करती थी पर पिता,भाई के अनुशासन की वजह से उनके विरुद्ध न जा पाई थी,उसके प्रेम की बात

उसकी मां और भाभी नैना ही जानती थीं बस।

नैना ने उसे सलाह दी थी कि आप लड़के से एक बार मिल लें,बातचीत कर लें ,अगर पसंद नहीं आयेगा तो

इनसे बात करूंगी और आपका साथ दूंगी पर आज कुछ न बोलिए प्लीज!

नीरा चुप थी लेकिन निराश नहीं,उसने अपने प्रेमी मंगल को फोन कर बुला लिया था जिससे वो वहां से वक्त

रहते भाग सके।वो मंगल के सिवा किसी और के बारे में सोचना भी नहीं चाहती थी,मिलने की बात दूर।

वो मंगल का इंतजार करती रह गई और उसे देखने लड़का,अपने माता पिता के साथ आ गया था।सॉफ्टवेयर

इंजीनियर था शरद और खासा स्मार्ट भी।नीरा उससे बात जरूर कर रही थी पर उसका दिमाग मंगल में ही

अटका हुआ था।

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तभी उसके मोबाइल की मैसेज टोन बजी और वो वहां सबसे “एक्सक्यूज मी”कहकर बाहर की ओर चल दी।

उसके पिता रामनाथ जी को ये बात कुछ अजीब सी लगी और ये बात उनकी बहू नैना ने भी महसूस कर ली

थी।वो भी दबे पांव नीरा के पीछे चल दी।

नीरा घर के पिछवाड़े बने बगीचे के घने पेड़ के नीचे मंगल से लिपटी खड़ी थी और अनुनय कर रही थी कि मुझे

यहां से भगा कर ले चलो,नहीं तो मै कुछ खा कर जान दे दूंगी।

मंगल असमंजस में था कि क्या करे ,क्या न करे?तभी वहां पहले नैना और फिर रामनाथ जी आ पहुंचे। नैना

ने उन दोनो को चेताया ही था कि रामनाथ जी चीखते हुए बोले…”ये कौन है और यहां क्यों आया है इस वक्त?”

नीरा सूखे पीपल के पत्ते सी कांप गई,ये कहां से आ धमके? ये तो मेहमानों के साथ व्यस्त थे!!

नैना ने झट बात संभालते हुए कहा,”पिताजी!ये मंगल अवस्थी हैं,मेरे साथ मेरे ऑफिस में काम करते हैं…”

“ओह!उन्होंने संशय से नीरा को देखा,”तो तू यहां क्यूं आई थी वहां से उठकर?”

“वो मैंने ही दीदी के पास इनको देने के लिए कुछ जरूरी डॉक्यूमेंट्स रखवा दिए थे कल…बस इसलिए इन्हें

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आना पड़ा…” नैना ने नीरा की हड़बड़ाहट खत्म करते बोला।

ठीक है…अब अंदर जाओ…रामनाथ के कहने पर नीरा अंदर चली गई।

और आप मंगल की तरफ उन्मुख होकर वो बोले,” आप!…किसी और दिन आएं,चाय पी कर जाइए,आज

कुछ मेहमान आए हैं घर पर, सॉरी!!”

“नो प्रॉब्लम अंकल!!”मंगल उल्टे पैर वहां से लौट गया।

बाद में लड़के वालों के चले जाने के बाद,घर में सबको हकीकत का पता चला।रामनाथ जी गुस्सा थे कि बहू

को इतने मैनर्स तो होने चाहिए कि अपने सहकर्मियों को उस समय घर न बुलाए जब खास मेहमान आए हों।

उनकी पत्नी बीना ने बताया,वो बहू का सहकर्मी नहीं था बल्कि आपकी अपनी बेटी का दोस्त था जिसके

साथ वो भागने का प्लान बना रही थी,ये तो हमारी बहू इतनी समझदार है कि उसने सारा दोष अपने सिर ले

लिया,सच में हम लोग कितने समझदार हैं कि हमे इतनी समझदार बहू मिली है नहीं तो आज बाहर वालों के

सामने वर्षों की कमाई इज्जत धूल में मिल जाती।

रामनाथ अवाक होकर अपनी बेटी नीरा की झुकी निगाहें देख रहे थे।

दोस्तों!आजकल ज़माना बदल रहा है,बड़े होते बच्चों से उनकी पसंद नापसंद के बारे में बातचीत करते रहना

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चाहिए,ये तो बहू की समझदारी से अनहोनी टल गई नहीं तो परिणाम कुछ भी हो सकते थे।प्लीज कमेंट में

बताएं,आपका क्या कहना है इस बारे में

डॉक्टर संगीता अग्रवाल

वैशाली,गाजियाबाद

#हम लोग भाग्यशाली हैं जो हमें समझदार बहू मिली

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