मैं शुरू से ही सास और ननद इस रिश्ते से चिढ़ती थी क्योंकि मेरी मांt को आजीवन उसकी सास और ननद ने दुख दिए एक पल भी सुख का मेरी मां को नसीब नहीं हुआ। इसलिए मेरी शुरू से ही सोच थी कि जिस घर में सास और ननद होगी मै वहां शादी नहीं करूंगी।अब आप सोच रहे होंगे मै कौन तो मै हूं नम्रता ।नम्रता एक it प्रोफेशनल गर्ल मॉर्डन सोसाइटी मे रहने वाली पर घरदारी भी जानती थी बस शादी में नहीं बधना चाहती थी क्योंकि जहां जाएगी सास ननद तो मिलेगी
ही।यही सोचते सोचते वो 27 साल की हो गई मां बाप समझते सबके साथ ऐसा नहीं होता पर वो कहती पापा मैं मां जैसी सहनशील नहीं हूं प्लीज मुझे बख्श दीजिए।
मां भी कहती बेटा जरूरी तो नहीं तुम्हे भी ऐसा ही ससुराल मिले अब जमाना बदल गया है।
एक दिन सुबह नम्रता ऑफिस पहुंची और सामने आते अजनबी से टकरा गई।उस अजनबी का नाम था रितेश जो उसी का सीनियर था और उसने आज ही ज्वाइन किया था।नम्रता ऑफिस में पहुंची और बोली ये कौन है? उसकी सहेली प्रिया बोली आज ही आया है हमारा बॉस स्मार्ट है ना नम्रता बोली तुझे तो सभी स्मार्ट लगते है।नम्रता अपना काम करने लगी पर उसे लग रहा था कि कोई उसे देख रहा है सामने देखा तो कोई नहीं समझी मेरा वहम होगा।
कुछ ही दिनों में रितेश पूरे ऑफिस में अपने मिलन सार वहवार के कारण प्रसिद्ध हो गया।लगता ही नहीं था कि वो उनका बॉस है कई बार रितेश मजाक में कहता ये नम्रता दूर दूर क्यों रहती हैं किसी से घुलती मिलती भी नहीं धीरे धीरे रितेश नम्रता के प्रति आकर्षित हो रहा था और शायद नम्रता भी कुछ महसूस कर रही थीं।फिर एक दिन ऑफिस की ट्रिप मनाली गई वहां रितेश ने नम्रता से अपने प्यार का इजहार किया और बोला मै तुमसे शादी करना चाहता हूं।
नम्रता बोली तुम्हारे घर में कौन कौन है उसने कहा दादी ,मां पिताजी और 2 बहने।नम्रता बोली सारी रितेश ये संबंध नहीं हो सकता और वो वहां से चली गई।रितेश को समझ ही नहीं आया की नम्रता ने क्यों मना किया।रितेश ने प्रिया से पूछताछ की तो प्रिया ने बताया ये शादी करना ही नहीं चाहती क्योंकि जहां सास और ननद होगी वो इसे भी परेशान करेगी जैसे इसकी मम्मी को किया था इसलिए इस डर से ये शादी से दूर भागती है।
रितेश ने फिर एक दिन नम्रता को अपने केबिन में बुलाया और बोला मै एक बार तुमसे बात करना चाहता हूं कॉफी शॉप का एड्रेस दे वो वहां से चला गया।
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ऑफिस खत्म होने पर नम्रता कॉफी शॉप पहुंची।रितेश ने कहा मै तुम्हे पसंद करता हूं नम्रता और मै तुम्हे अपनाना चाहता हूं।नम्रता बोली रितेश तुम भी मुझे अच्छे लगते हो सुलझे हुए हो पर मेरी एक वजह है जिसके कारण मैं शादी नहीं चाहती।रितेश बोला मै वजह जानता हूं पर तुम्हे तो मेरे साथ यहां रहना है मां पापा और छोटी बहन अदिति और दादी देहरादून में रहते हैं।और बड़ी दीदी कृष्णा ऑस्ट्रेलिया में हैं वो वहां पर सेटल है तो तुम्हारा उनसे वास्ता कम ही होगा
हा बस त्यौहार पर घर जाना होगा।तुम कहो तो मैं रिश्ता भेजु।नम्रता बोली मुझे सोचने दो वो घर आई उसने अपनी मां को सारी बात बताई।मां बोली मै तो हमेशा ही यही कहती थी सही तो है तू तो यही रहेगी एक आध बार ही ससुराल जाना पड़ेगा।बेटा इतना अच्छा लड़का नहीं मिलेगा।।नम्रता की सहमति से रितेश के माता पिता मिलने आए बहुत सुलझे हुए लोग थे बातों बातों में नम्रता के माता पिता ने उन्हें नम्रता के डर के बारे में भी बता दिया वो बोले रितेश हमे पहले ही बता चुका है कोई बात नहीं आप और हम मिल कर ही इसका हल निकालेंगे।
नम्रता और रितेश की शादी हो गई।शादी हो नम्रता देहरादून गई वहां सब रिश्तेदार थे उन्हें देख नम्रता घबरा रही थीं। तभी कृष्णा आई और उसे कमरे में ले गई उसे बोली तुम कंफर्टेबल हो जाओ।छोटी ननद नाश्ता ले कर आई भाभी आप नाश्ता कर आराम कर लो। नम्रता ने नाश्ता किया बैग खोलने जा रही थी पर सामने अलमारी देख उसे खोल कर देखने लगी उसमें बहुत सुंदर पिंक सूट रखा था जिस पर टैग लगा था बेटा इसे पहन आराम कर लो।नम्रता ने चेंज किया हाथ मुंह धोए और सो गई।
दोपहर को जब वो उठी तो देखा सोफे पर रितेश सो रहा है तभी दरवाजा बजा उसने दरवाजा खोला तो सामने सास आशा खड़ी थी।आशा जी बोली बेटा खाना खाने आ जाओ।रितेश को भी उठा देना।रितेश और नम्रता खाना खाने आए।खाने की टेबल पर हसी मजाक चल रहा था।रितेश की दादी और मम्मी आपस में हसी मजाक कर रही थी।नम्रता ने अपनी दादी को तो मां पर चिल्लाते या लड़ते ही देखा था।खुशनुमा माहौल में खाना हुआ
फिर कृष्णा बोली नम्रता तुम फ्रेश हो जाओ हमे पार्लर जाना है रिसेप्शन के लिए रेडी होने। कृष्णा के हसबैंड आदर्श झट खड़े हुए हा चलो मैं छोड़ देता हूं ।नम्रता हैरान थी कि दामाद भाग कर काम कर रहा है उसके यहां तो फूफा जी हिलते ही नहीं थे एक जगह बैठे रहते थे। रिसेप्शन हो गया पूजा पाठ सब हो गया अब रितेश और नम्रता के जाने का दिन आ गया।नम्रता एक जुड़ाव सा महसूस कर रही थी सबके साथ फिर कृष्णा बोली अगर तुम्हारी ज्वाइनिंग में अभी टाइम है तो दो दिन रुको फिर साथ चलेंगे हमारी भी फ्लाइट है
ऑस्ट्रेलिया की दो दिन सब घूमे फिरे फिर मुंबई आ गए कृष्ण भी आई क्योंकि उनकी रात की फ्लाइट थी। कृष्णा ने नम्रता को कुछ ना करने दिया शाम को नम्रता के माता पिता मिलने आए और रात की फ्लाइट से कृष्णा चली गई अब नम्रता और रितेश थे। ऑफिस से घर वीकेंड पर घूमना फिरना उसी बीच नम्रता के माता पिता घूमने के लिए अब्रॉड चले गए पीछे से रितेश को भी ऑफिस से काम से अमेरिका जाना पड़ा अब मुंबई में नम्रता अकेली थी एक दिन सुबह ऑफिस जाने की हड़बड़ाहट में वो बाथरूम में फिसल कर गिर गई
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सिर पर और हाथ में चोट आई हाथ में फ्रैक्चर हो गया उसने रितेश को बताया रितेश तो नहीं आ सकता था पर उसने देहरादून फोन कर दिया अगले दिन सुबह सास ससुर और ननद तीनों हाजिर आशा जी ने आते ही घर संभाल लिया ससुर निर्मल जी दो दिन रुक कर डॉक्टर से मिलकर नम्रता का अच्छे से चेकअप करवा वापस लौट गए।अदिति और आशा नम्रता का पूरा ध्यान रखते।एक मिनिट उसे अकेला ना छोड़ते उसकी पूरी रिकवरी में उनका सबसे बड़ा हाथ था।नम्रता की सोच भी अब बदल गई थी
अब वो अदिति और आशा के साथ बैठती बाते करती उसका डर और वहम दूर हो गया था।नम्रता अब ठीक थी आशा बोली अब हम चलेंगे तुम अब ठीक हो परसो रितेश भी आ रहा है।नम्रता बोली मां प्लीज अभी मत जाओ रुक जाओ।रितेश आया अदिति और आशा के साथ नम्रता को घुला मिला देख वो बहुत खुश था उसने रितेश से कहा कुछ दिन दादी और पापा को भी बुला लेते है रितेश ने कहा ठीक है अगले दिन की फ्लाइट से निर्मल जी भी आ गए।दादी इतना ट्रैवल करती नहीं इसलिए वो नहीं आई ।
आज सारा परिवार खुश था नम्रता ने आज सारा खाना बनाया।जब निर्मल और आशा जी ने उसे शगुन दिया तो वो बोली आप जैसे मम्मी पापा पाकर मुझे सब मिल गया जिस चीज से मै हमेशा डरती थी वो झूठ निकली सही मायनों में मैं पत्नी तो कब की बन गई थी पर आज सही मायनों में बहु और भाभी बनी हूँ। आज सब खुश थे नम्रता ने अपनी मां को फोन किया और बोली।मां आप सही थी सब एक जैसे नहीं होते आज मै सच में बहु बन गई हूं।पीछे से आशा जी बोली बहु नहीं बेटी और सब ठहाके मार हंसने लगे।
स्वरचित कहानी
आपकी सखी
खुशी