Moral stories in hindi : कॉलेज कैंटीन में दोस्तों के कुछ छोटे-बड़े groups बने हुए हर तरफ टेबल पर बैठे हुए थे और सब अपने-अपने चाय-कॉफी के साथ-साथ अपनी-अपनी चर्चा में व्यस्त थे । कहीं कोई किसी की खिंचाई कर रहे थे, तो कहीं कोई किसी टॉपिक पर बहस, तो कहीं कोई अपने आगे के जीवन की प्लानिंग ।
इन सब के बीच कैंटीन के टेबल नंबर 11 पर एक कोने में 5 दोस्त बैठे थे । ऐसा लग रहा था किसी खास मुद्दे को लेकर शायद थोड़ा परेशान थे, या शायद उनके बीच किसी सीरियस टॉपिक पर डिस्कशन चल रही थी ,या फिर बहस ।
Actually दूर से देखकर ठीक से पता नहीं चल पा रहा था की आखिर हो क्या रहा है । तो जब पता ही नहीं लग रहा तो दूर-दूर से अंदाजा लगाने से बेहतर है कि थोड़ा पास जाकर पता करें और समझे आखिर बात क्या है ?
तो आइए उनके थोड़ा पास चलते हैं और पता करते हैं आखिर बात क्या है ….
कविता और निशा ने प्रिया के हाथ थाम रखे हैं और उसे थोड़ा शांत करने की कोशिश कर रहे हैं। राघव और केतन उसे कुछ समझाने की कोशिश कर रहे हैं । ( प्रिया स्वभाव से बहुत ही समझदार ,सरल और सौम्य स्वभाव की लड़की है पर अभी वह थोड़ी परेशान भी है और थोड़ी गुस्से में भी )
प्रिया – तुम लोग मेरी बात को समझने की कोशिश करो ।वह बस 13 साल की एक मासूम बच्ची है । उस 13 साल की बच्ची की उसके माता-पिता शादी करवाना चाहते हैं , और क्यूं , क्योंकि उसके साथ एक हादसा हुआ है ? एक ऐसा हादसा जिसमें उसकी कोई गलती ही नहीं है !
केतन – (पानी का ग्लास प्रिया की और बढ़ाते हुए) प्रिया ,तुम पहले थोड़ा सा पानी पियो और शांत हो जाओ ।
राघव – हां प्रिया, थोड़ी शांत हो जा, ऐसे गुस्सा करने से कुछ नहीं होगा ।
निशा – वैसे बात है तो गलत ही ना !
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कविता – हां यार, सही में इतनी छोटी सी बच्ची, जो पहले से ऑलरेडी डरी हुई है, उसके अपने ही माता-पिता उसका साथ ना देके, उसकी तकलीफ को ना समझ कर उसी को इतनी बड़ी एक सजा और दे रहे हैं :, यह कैसे सही हो सकता है ?
प्रिया- तुम लोग मुझे बताओ उसके माता-पिता अगर उस की शादी करवाएंगे तो क्या यह सच में शादी होगी !
तुम मुझे शांत होने को कह रहे हो, पर मेरे पास ऐसे और कई सारे सवाल है, तुम लोग मेरे सवालों के जवाब दे दो मैं शांत हो जाऊंगी !
1- यह शादी शादी कह लाएगी या सजा ?
2 – क्या वह 13 साल की बच्ची शादी के बाद बच्ची बन के रह पाएंगे ?
3 – उसकी गलती क्या है, उसे किस बात की जिंदगी भर की सजा दी जा रही है ?
4 – क्या उसका लड़की होना उसकी इतनी बड़ी गलती है ?
5 – क्या उसका स्मार्ट होना उसकी गलती है ?
6 – लड़के खुद पर काबू नहीं रख पाते, क्या यह लड़कियों की गलती है ?
7 – कुछ लड़के, लड़कियों को खिलौना समझते हैं या अपने मनोरंजन का सामान समझते हैं क्या यह भी लड़कियों की गलती है ?
* आजकल एक नया ट्रेंड भी तो चल रहा है लड़कियों पर यह आरोप लगाना कि वह भद्दे कपड़े पहन के लड़कों को अट्रैक्ट करती हैं । चलो मैं एकबार को यह भी मान लेती हूं कि कुछ लड़कियां पहनती होगी भद्दे कपड़े । पर –
8 – वह 13 साल की बच्ची जो स्कूल से घर लौट रही थी, जिसने स्कूल-यूनिफार्म पहना था उसने कौनसे भद्दे कपड़े पहन के लड़कों को अट्रैक्ट किया होगा की लड़के खुद पर काबू नहीं कर पाए ?
निशा- प्रिया, तुम यह क्या बोले जारही हूं ?
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प्रिया- मैं सच बोल रही हूं निशा, तुम बताओ मुझे, मैंने क्या गलत कहा क्या आजकल लड़कियों के पहनावे पर सवाल नहीं उठाए जाते ? खैर मेरे सवाल अभी खत्म नहीं हुए –
9 – क्या उस बच्ची का स्मार्ट और इंटेलिजेंट हो ना उसकी गलती है?
10 – उन लड़कों का स्कूल कंपटीशन मैं हार जाना क्या उस लड़की की गलती थी ?
लड़कों को औरतों की इज्जत करना कभी नहीं सिखाया जाता, क्या यह लड़कियों की गलती है ?
(इस बार निशा और कविता दोनों एक साथ बोल पड़ी ) – सही बात है ।
कविता – लड़कियों को कितना कहा जाता है, कितना टोका जाता है , ऐसे कपड़े मत पहनों, ऐसे मत बैठो, ऐसे मत हंसो, इतना जोर से मत बोलो और पता नहीं कितना कुछ ।
निशा – पर क्या इनमें से लड़कों के लिए कुछ नहीं होना चाहिए ?तुम बताओ राघव, केतन क्या तुम लोगों को बचपन से आज तक इन सब बातों के लिए कभी रोका-टोका गया है ?
राघव और केतन दोनों ही गर्दन हिलाते हुए नहीं ।
कविता – जितनी बातें, जितने तौर-तरीके, जितने कायदे-कानून हम लड़कियों को सिखाए जाते हैं, क्या उनमें से कुछ लड़कों को भी नहीं सिखाना चाहिए ?
प्रिया, निशा और कविता की यह सारी बातें कहीं ना कहीं राघव और केतन को सहि लग रही थी और उन पर असर कर रही थी ।वह दोनों इन बातों से बेचैन हो रहे थे कुछ बोल भी नहीं पा रहे थे और बस चुपचाप उन तीनों की बातें सुने जा रहे थे ।
ईधर, इनकी मनोदशा से बेखबर तीनों लड़कियां अपनी ही बातों में खोई हुई थी । तीनों केही चेहरे पर दुख और गुस्से का एक मिश्रित भाव दिखाई पड़ रहा था ।
निशा – वह सिर्फ 13 साल की एक मासूम बच्ची है, फिर भी उसने हिम्मत दिखाई और उन चारों लड़कों से खुद को बचाकर वहां से भाग निकली । पर इस हादसे का उसके मन पर कितना गहरा असर हुआ है इसका हम शायद अंदाजा तक नहीं लगा सकते ।
कविता – हां सच्ची, कुछ ना होकर भी बहुत कुछ हो गया उसके साथ और जीवन भर के लिए उसके दामन पर एक दाग लग गया, जो ना तो मिठाई मिटेगा और ना ही भूलाए भूलेगा । लोग किसी हालत में भूलने नहीं देंगे ।
प्रिया – (थोड़ा गुस्से में ) दाग ! कविता, किस दाग की बात कर रहि हो तुम। दाग उसके जीवन पर नहीं, बल्कि उन लड़कों के जीवन का है जिन्होंने ऐसा गंदा और घिनौना काम करने की कोशिश की ।
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तुम मुझे एक बात बताओ, जब चोर चोरी करता है,जब कोई लुटेरा लूट मचाता है, या कोई भी कुछ भी गलत काम करता है, तो उसका इल्जा़म किस के सर पर होता है, उस चोर उस लुटेरे उस बदमाश के सर पे ही ना। जिनके घर चोरी हुई है या लूटपाट हुई है उन पर तो कोई दोषारोप नहीं होता हैं ना ।
इन सब की सजा़ जब हम चोर और लुटेरों को देते हैं, तो फिर लड़कियों के साथ होनेवाले दुष्कर्म, दुर्व्यवहार की सजा उन लड़कियों को ही क्यों दी जाती है ? उनको क्यों नहीं, जो सच में दोषी है, जो लड़कियों के साथ ऐसा घीनौना काम करते हैं ?
लड़कीयों के वक्त हमारा समाज ये सब कुछ क्यूं भूलजाता है ? ये कैसा समाज है हमारा ? यह कैसा सिस्टम और यह कैसी व्यवस्था है ?
निशा और कविता फिर एकसाथ बोल ऊठी – सही कहा तुमने प्रिया ।
कविता – समाज तो जैसे सिर्फ लड़कियों पर उंगली उठाने के लिए ही इंतजार करता है ।
कविता – जब बचपन में ही बच्चों को सिखाया जाता है कि झूठ बोलना , चोरी करना, मारपिट करना गलत बात है, तब उनको लड़कियों की इज्जत करना क्यों नहीं सिखाया जाता? लड़कियों के साथ बदतमीजी से पेश आना गलत है यह उनको क्यों नहीं बताया जाता ।
प्रिया – हां ! लड़कियों को जरूर सिखाया जाता है और टोका जाता है की यह तुम्हारा भाई है इससे ऐसे बात मत करो, यह तुम्हारे घर के बड़े हैं इनके सामने नजर नीचे रखो, इनके साथ ऐसे मत बैठो, ऐसे मत खेलो , तब थोड़ी सीख इन लड़कों को भी देने की जरूरत है कि बहन के साथ मां-काकी के साथ, दोस्त और अन्य लड़कियों के साथ कैसे पेश आना चाहिए ।
अगर लड़कों को ये संस्कार और मर्यादा बचपन से सिखाई जाएगी तो शायद किसी लड़की को अपनी मर्यादा नहीं तोड़ने पड़ेगी ।ना ही किसी लड़की के दामन पर यह सो कॉल्ड # दाग लगेंगे । धन्यवाद
#दाग
मधु पारीक।