सज़ा – बरखा दुबे शुक्ला

ममता के ससुराल में पति प्रकाश के अलावा सास ससुर व एक छोटा देवर है ,जो लगभग बारह साल का व सबका लाड़ला है । पर  पता नही क्यों ममता को वो शुरू से ही खटकता ।मायका उसी शहर में होने से वहाँ आना जाना लगा रहता ।

जब भी मायके जाती ममता शुरू हो जाती ,”सब तो अच्छा है मेरे ससुराल में ,पर मेरे  देवर को कुछ ज़्यादा ही सर चढ़ाया है ,मेरे  सास ससुर ने ।और ये भी बहुत लाड़ लड़ाते है ,मुझे तो ज़रा नही सुहाता ।”

“बेटा ऐसे नही बोलते ,अब घर में और है ही कौन ,देवर को अपना छोटा भाई समझा कर।”माँ समझाती ।

पर ममता नही समझती , मन ही मन कुड़ती रहती ।

सब ऐसा ही चलता रहा , ममता के एक बेटा व बेटी भी हो गए पर देवर के प्रति उसका रवैया नही बदला ।देवर भी उसकी बेरुख़ी समझ ,उससे कम ही बोलता।पर बच्चों से उसे बड़ा स्नेह था ।

अब नियति देखिए ,दुर्घटना में सास ससुर का निधन हो गया सो देवर के साथ ममता का व्यवहार और बिगड़ गया ।उसे भविष्य में बिज़नेस में सुबोध की साझेदारी की भी चिंता थी ।

पति व माँ के समझाने का भी उस पर कोई असर नही होता ।

ऐसे ही समय बीत रहा था , तभी बिज़नेस के काम से प्रकाश को शहर से बहार जाना पड़ा ,वो ताकीद कर के गए कि “ममता बच्चों के साथ सुबोध का ध्यान भी अच्छे से रखना ।”

पति को तो उसने आश्वासन देकर विदा किया ।पर अब वो अपनी मर्ज़ी की मालिक थी ।

दूसरे दिन कॉलेज की छुट्टी होने से सुबोध घर पर ही था ,व दोनो बच्चे जो अपने चाचा को बहुत चाहते थे ,के साथ खेल रहा था ,तभी भाभी की कड़कती आवाज़ आयी “क्या अब चोरी भी सीख गए हो सुबोध ,मेरे कंगन नही दिख रहे है, नहाने जाने से पहले यही तो रखे थे ।”

“भाभी मै क्यों चोरी करने लगा ,वही रखे होगे ।”चोरी के इल्ज़ाम से ग़ुस्साए सुबोध का स्वर भी कुछ ऊँचा हो गया ।

“एक तो चोरी ऊपर से सीनाज़ोरी ।”ममता कहाँ चुप रहने वाली थी ।



“भाभी मै जानता हूँ आपको मै ज़रा पसंद नही ,पर कम से कम चोरी का झूठा इल्ज़ाम तो न लगाए ।”सुबोध बोला ।

पर ममता चुप न हुई ,डर से दोनो बच्चे रोने लगे ।आज सुबोध भी सहन नही कर पाया व घर से निकल गया ।शाम तक जब वो नही लौटा तो ममता मन ही मन ख़ुश होकर सोची चलो बला टली ।पर पड़ोसियों को दिखाने के लिए चिंता दिखाने लगी , ये उस समय की बात है ,जब फ़ोन का ज़्यादा चलन नही था ,मोबाइल फ़ोन नही थे ।तो प्रकाश को भी ख़बर न करने का बहाना था । सब थोड़ा यहाँ वहाँ पूछ शांत बैठ गए ।

प्रकाश जब आठ दस दिन बाद लौटा तो ममता ने चोरी वाली बात बड़ा चढ़ा कर बता दी व रोकर खुद की गलती छुपाने की कोशिश करने लगी । प्रकाश को शंका तो हुई ,वो समझ गया सुबोध चोरी नही कर सकता , सब ममता का ही किया धरा है ।पर घर की शांति व बच्चों को देख चुप रहा ।उसने भाई के बारे में पता लगाने की उसने बहुत कोशिश की ,पर सुबोध के बारे में कुछ पता नही लगा ।वो भाई का दुःख मन में लिए दिन बीता रहा था ।

इसके विपरीत ममता अब बड़ी ख़ुश थी । बच्चे बड़े होने पर धीरे धीरे चाचा को भूल गए ।

ममता की बेटी बड़ी सुंदर है ,उसे किसी शादी में देख अहमदाबाद के बहुत नामी परिवार से उसके लिए रिश्ता आता है ।प्रकाश व ममता बिना देर किए उनके आमंत्रण पर अहमदाबाद पहुँच जाते है ।

उनका घर ,परिवार, लड़के राहुल व बिज़नेस देख ममता भगवान से मनाती है ,कि बेटी का रिश्ता यही पक्का हो जाए ।

लड़के के दादाजी जल्दी शादी करना चाहते है ,अतः लड़के राहुल की माँ बोली , हम सबको आपकी बेटी पसंद है ।अगर आपको भी हमारा बेटा व सब पसंद हो ,तो हम आगे की बात करे ।

प्रकाश बोला “हमारा अहो भाग्य जो हमारी बेटी आपके घर की बहू बने , यदि आपको सब मंज़ूर है ,तो हमारी हाँ है । “



“अरे वाह ,इसी बात पर सब मुँह मीठा करे ।” राहुल की माँ बोली ।

तभी नौकर आकर बोलता है “साहब मैनेज़र साहब आए है ,कुछ ज़रूरी काम से ।”

राहुल के पिता बोलते है “हाँ उन्हें भेज दो ।उन्हें कुछ फ़ाइल में साइन करवाने होगे ।”

राहुल के दादाजी बोलते है ,”हमारे मैनेज़र बिल्कुल घर के सदस्य जैसे ही है ।”

मैनेज़र जैसे ही कमरे में आते है ,उन्हें देख ममता दँग रह जाती है व प्रकाश एकदम कहता है ,मेरा भाई सुबोध ।दोनो भाई गले लग जाते है ।

उनका मिलन देख दादाजी बड़े ख़ुश होते है , व कहते है “मुझे सुबोध काफ़ी साल पहले भोपाल से लौटते समय ट्रेन में मिला था । मै इसकी मनोदशा देख समझ गया था ,कि ये घर से भाग कर आया है ।मेरे स्नेह से पूछने पर इसने सारी बात बताई ।फिर मै इसे अपने साथ ले आया । और ये आज आपके सामने है ।”

“आपकी मेहरबानी से आज मुझे मेरा भाई मिल गया ।”प्रकाश हाथ जोड़ कर बोला ।

“पर हम अब चाह कर भी ये रिश्ता नही कर पाएँगे ।”राहुल के दादाजी बोले ।

“लेकिन क्यों ? “ममता जैसे आसमान से गिरी ।

“क्योंकि सुबोध ने मुझे घर छोड़ने की वजह भी बताई थी ।और हमारे घर भी राहुल का एक छोटा भाई है ।हम चाहते है ,हमारे घर ऐसी लड़की बहू बन कर आए जो उसे भाई सा स्नेह दे , न कि दोनो भाइयों को अलग कर दे ।”दादाजी बोले ।

“सर भाभी की गलती की सज़ा मेरी भतीजी को न दे ।”सुबोध बोला ।

“नही बेटा दिल नही मान रहा ,हम ये रिश्ता नही कर सकते ।”दादाजी बोले ।

ममता ने कभी नही सोचा था ,कि उसे अपने वर्षों पहले किए अपराध की ऐसी सज़ा मिलेगी ।

 

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