सही मायने में आज पत्नी बनी – रश्मि प्रकाश  : Moral stories in hindi

वेदिका का पति सरस उसको देख देख कर दंग थे कि आज ये इतनी खुश कैसे हैं ?

आखिर इतने सालों बाद अपनी पत्नी को यूँ ख़ुशी से झूमते देख उसका आश्चर्य करना लाज़िमी भी था।

वेदिका के पैर आज जमीन पर नहीं पड़ रहे थे…वो पैंतीस की उम्र में छोटी बच्ची के जैसे खुश हो रही थी और मन ही मन कुछ गुनगुना रही थी ।

जब से सरस उसे ब्याह कर लाया था तब से एक सवाल के साथ वो हमेशा चुप चुप सी ही इस घर में रहती थी फिर आज इसे क्या हुआ?

“क्या बात है वेदिका इतना खुश तो मैंने तुम्हें पहले कभी नहीं देखा था….लगता है कोई लॉटरी निकल गई तुम्हारी।”कहकर सरस सवालिया  नज़रों से वेदिका को पकड़ कर अपने सामने खड़ा कर दिया।

वेदिका सरस के सीने पर सिर रख कर बोली,”सच कह रहे हैं आप ! आज मेरी लॉटरी ही लगी है ….मेरे बेटे ने पहली बार मुझे माँ बोला ऽऽऽऽ सरस पहली  बारऽऽऽऽऽ आप  सोच भी नहीं सकते पन्द्रह साल से जिस शब्द को सुनने के लिए तरस रही थी आज वो सुनाई दिया।”वेदिका के आँखो में खुशी के आँसू आ गए

सरस उसको सीने से लगा कर बोले,‘‘ मैं समझ रहा हूँ वेदिका, मैंने तुम्हारी आंखों में वो खालीपन हमेशा महसूस किया था पर मैं कुछ कर नहीं पाया….तुमने कसम जो दे दी थी।”

वेदिका सरस के पास से हटकर अपने अतीत के गलियारों में खो गई। 

वेदिका की शादी सरस के साथ उसके पिता ने गरीबी से तंग आकर कर दी थी…उस समय सरस का बेटा मेहुल सिर्फ डेढ़ साल का था। पत्नी की मृत्यु उस वक्त हो गई जब छत की मुंडेर से गिरते मेहुल को बचाने के चक्कर में वो खुद ही नीचे गिर गई थी। 

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मेहुल की जिम्मेदारी अकेले सरस के बस की नहीं थी तभी  किसी ने दूसरी शादी की बात कही। 

आनन फानन में वेदिका के साथ सरस की शादी हो गई।

 छोटा मेहुल नई माँ के पास ज्यादा नहीं जाता था। अक्सर मेहुल की नानी उसको अपने पास ही रखती थी।

बीतते वक्त के साथ मेहुल नानी के पास ज्यादा रहने लगा और उसके मन में सबने सौतेली मां के लिए जहर भरना शुरू कर दिया।

 तीन साल बाद वेदिका ने महसूस किया वो माँ बनने वाली है पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था और उसका गर्भपात हो गया। 

उससे उसकी हालत बिगड़ने लगी और वो गुमसुम रहने लगी थी….सरस ने तब मेहुल को अपने पास रखने का निर्णय लिया। 

उसकी नानी मेहुल को भेजना नहीं चाहती थी पर सबकी जिद्द पर उनको मेहुल को सरस के साथ भेजना पड़ा।

सरस बहुत कोशिश करते कि मेहुल वेदिका के पास रहें पर वो हमेशा उससे दूर दूर ही रहता था और वेदिका नहीं चाहती थी कि मेहुल को ज़ोर ज़बरदस्ती करके उसके साथ बांधा जाए ।

बीतते वक्त के साथ साथ वेदिका चुपचाप मेहुल के लिए वो सब करती रही जो उसको पसंद आता था ।

कभी भी मेहुल ने वेदिका से बात नहीं की पर हमेशा महसूस करता था कि लोग जैसा बोलते हैं सौतेली माँ वैसी बिल्कुल भी नहीं है। 

वेदिका सरस और मेहुल के ख्याल में अपने आपको भूलने लगी थी। 

कुछ दिन पहले मेहुल को बहुत तेज बुखार हुआ। वेदिका जब भी उसके पास जाती वो उसको देखते ही गुस्सा करता। 

पर बुखार इतना तेज़ था कि वो चाह कर भी कुछ नहीं कर सकता था। 

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वेदिका ने दिन रात एक कर के उसकी सेवा की। 

वो उसको छोड़ कर कमरे से जाती ही नहीं थी। जाने उस बेटे के लिए उसने कितने मन्नत मांग लिए थे ….बस यही बोलती रहती मेरे बेटे को ठीक कर दीजिए चाहे इसके बदले मुझे बुखार दे दो। 

डाक्टर की दवाई असर नहीं कर रही थी, डाक्टर भी समझ नहीं पा रहे थे अब कौन सी दवा दे। 

आखिर में बस इतना ही बोले ,”अब ईश्वर की मर्जी।”

वेदिका दिन रात बस अराधना करती रहती। 

मेहुल को बुख़ार की वजह से बेहोशी सी रहती ….जब भी उसे होश आता ….अपने सिर पर उसे वेदिका के हाथों का स्पर्श महसूस होता। 

धीरे धीरे मेहुल ठीक होने लगा।

“अरे कहा खो गई तुम ?” सरस की बात सुन वेदिका वर्तमान में लौट आई।

“अब बताओ भी बात क्या  हुई?”सरस ने फिर से सवाल किया 

“ वो आज मेहुल के कुछ दोस्त उससे मिलने आये हुए थे….मैं मेहुल के कमरे में ही सब को बैठाकर चाय नाश्ता लाने चली गईं….जब लौट कर आई तो मेहुल की आवाज सुन कर मैं दरवाजे पर ही रूक गई ….वो सबसे कह रहा था ,”पता है मेरी माँ ने मेरी इतनी सेवा की उसकी वजह से ही मैं ठीक हो पाया….मैं हमेशा अपनी माँ से दूर दूर ही रहा पर अब अपनी माँ के हिस्से की खुशी उसको दूँगा… लोग बेकार में ही सौतेला सौतेला कर के माँ बेटे के बीच के अटूट बंधन को सौतेला बंधन बना कर रख दिए थे …इस चक्कर में मैं कभी भी अपनी माँ को वो प्यार ना दे सका जो उनका हक था ।”

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ये सुन कर मेरी आँखों में आँसू आ गए थे पर मैं सब कुछ नजरअंदाज कर के चाय नाश्ता लेकर अंदर चली गई जैसे कुछ सुना ही नहीं हो।

पता है फिर मेहुल ने “थैंक्यू माँ “ कहा …ये सुनकर तो मैं  उसे आश्चर्य से देखने लगी।

मेहुल मेरे गले लग कर बोला ,”बस आप मुझे माफ कर देना,  आज से आपका बेटा आपके पास  है.. हमारे इस प्यार भरे अटूट बंधन को अब किसी की कोई भी बात तोड़ नहीं सकती …आज मैं आपसे ये प्रॉमिस करता हूँ ।”

उसके सारे दोस्त कहने लगे ,” तू बहुत लकी है मेहुल जो तुम्हें इतनी अच्छी माँ मिली जो तुमसे इतना प्यार करती है।”

जानते हैं सरस सही मायनों में आज मैं आपकी पत्नी बन पाई …क्योंकि हमारा रिश्ता तो मेहुल की वजह से ही हुआ था ना,….इतने सालों के इंतजार के बाद आज मै माँ बन पाई हूँ ।

सरस ने वेदिका को होंठों पर हाथ रख उसे चुप कराते हुए प्यार से बोला ,”अब तो मेरा पत्ता कट गया…अब तो बस  माँ अपने बेटे को प्यार करेगी …मेरा क्या होगा?? “अपने सीने पर हाथ रख कर सिनेमाई अंदाज में सरस बोले।

‘‘धत्त आप भी ना ‘‘ कहती हुई वेदिका अपनी आंखें हथेलियों से ढक ली।

“ आज सच में मैं बहुत खुश हूँ वेदिका…तुम्हारे सालों की लगन और तुम्हारा खुद पर अटूट विश्वास ही तुम्हें तुम्हारे बेटे के साथ एक अटूट बंधन में बाँध दिया है अब कोई भी इस बंधन को तोड़ नहीं सकता क्योंकि इस प्यार में मज़बूती धीरे-धीरे ही सही पर अटूट विश्वास के साथ जुड़ा है ।” सरस ने कहा और अपनी पत्नी की ख़ुशी देख बोला ,”अब किसी की नज़र ना लगे ।”

दोस्तों कहानी को कहानी की तरह पढ़ कर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें… ।

धन्यवाद 

रश्मि प्रकाश 

#अटूटबंधन

4 thoughts on “सही मायने में आज पत्नी बनी – रश्मि प्रकाश  : Moral stories in hindi”

  1. when the son/daughter calls maa,a woman’s life is filled with such joy ,that can’t be explained in words.

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  2. आपने कहानी को कहानी की तरह पढ़कर प्रतिक्रिया देने को कहा है परन्तु यह मैं हकीकत में होते हुए भी देखा है। शानदार। बधाई।

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