सही फ़ैसला – रचना गुलाटी : Moral Stories in Hindi

एकल परिवार में रहने वाली मीना की शादी एक संयुक्त परिवार में हुई जहाँ उसके एक जेठ, एक देवर, जेठानी व उसका दो साल का प्यारा सा बेटा यश है।

मीना के सास, ससुर व पति बहुत अच्छे स्वभाव के हैं। जेठानी भी उससे बहुत स्नेह करती है। देवर तो भाभी-भाभी कहते हुए आगे-पीछे घूमता रहता है।

मीना अपने आपको बहुत सौभाग्यशाली मानती है कि ईश्वर ने उसे इतना प्यारा परिवार दिया। यश में तो उसकी जान बसती है।

दोनों देवरानी-जेठानी मिलकर सारा काम करते, ढेर सारी बातें करते। ऐसे लगता था जैसे दोनों बहनें हों। शादी के छ: महीने बाद जब मीना को यह खुशखबरी मिली

कि वह माँ बनने वाली है तो उसकी खुशी का ठिकाना न रहा। घर में भी सब बहुत खुश थे। एक दिन घर में उसकी बुआ सास आई।

जब उसने देखा कि मीना की देखभाल उसकी जेठानी बहुत अच्छे से कर रही है तो उसे अच्छा नहीं लगा। उसने बात-बात पर मीना को सुनाना शुरू किया

कि वह घर के कामों में जेठानी की कोई मदद नहीं करती व खुद आराम करके उसे कामों में लगाए रखती है, उधर मीना की जेठानी को भी भड़काना शुरू किया

कि बच्चे के जन्म के बाद घर में उसे कोई नहीं पूछेगा, सब मीना के आगे-पीछे घूमेंगे। तुम सिर्फ़ घर की नौकरानी बनकर रह जाओगी।

जब इन सब बातों का असर उन दोनों पर होने लगा तो घर का माहौल तनावपूर्ण हो गया। किसी ने किसी को कुछ नहीं कहा पर चेहरे के भाव सब बयाँ कर रहे थे

कि कुछ हुआ है। एक दिन जब बुआ सास मीना की जेठानी से कुछ बात कर रही थी तो उसकी सास ने कुछ-कुछ सुन लिया।

वह उसी समय कमरे के अंदर गई और उन्होंने कहा कि दीदी आज आपने ये सब बातें करके मेरा जी खट्टा कर दिया। आप यहाँ जो मेरे घर का माहौल खराब करने आई हैं

वह मैं अपने जीते जी नहीं होने दूँगी। मैंने अपनी दोनों बहुओं को बराबर का दर्ज़ा दिया है और आगे भी दूँगी। इसलिए आप यहाँ रहने आई हैं

आराम से रहिए अन्यथा अपने घर वापिस जा सकती हैं। यह बात सुनकर बुआ सास का मुँह उतर गया और वह कमरे से बाहर चली गई।

स्वरचित

रचना गुलाटी 

मुहावरा– जी खट्टा करना

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!