सुमित एक नौजवान था,कुछ दिन पहले तक घर में खुशियां ही खुशियां थीं।घर में प्यार करने वाले माता पिता और प्यारी सी बहना सुमी जिसकी शरारतों से घर मे चहल पहल थी हंसी खुशी से जीवन की गाड़ी चल ही रही थी।
सुमित अंग्रेजी में पी एच डी कर रहा था माता पिता का एक ही सपना था सुमित को मनचाही नौकरी मिल जाए
इसके लिए उसने कई जगह अर्जी भेजी थी।
आज उसकी मेहनत रंग लाई,पर होनी को कोई नहीं टाल सकता।माता-पिता
और बहन कार में बाजार जा रहे थे कि एक तेज रफ्तार लारी के धक्के से कार उलट गई। रास्ते मे चलते मुसाफिरो की मदद से उन्हें बाहर निकाला गया पर अस्पताल ले जाते हुए रास्ते मे सभी ने दम तोड़ दिया। सुमित का हंसता खेलता परिवार बिखर गया अब वह नितांत अकेला था।कुछ दिनों बाद पूना के एक कालेज मे साक्षात्कार के लिए बुलाया गया वह रेलगाड़ी से पूना जा रहा था पर उसकी आंखों के सामने बहन सुमी का चेहरा आने से उसकी आंखें नम हो रही थीं,मन में विचारों का तूफान उठ रहा था कि अचानक एक झटके से रेलगाड़ी रूक गई। पहले उसने सोचा कि कोई स्टेशन आया होगा पर बाहर जब उसने देखा कि बहुत से यात्री उतरकर जा रहे थे। नीचे जाने पर पता चला कि रेलपटरी टूटी थी चालक की होशियारी से बड़ा हादसा होते होते बच गया।जब तक पटरी की मरम्मत का काम पूरा नही होता सभी को वहीं पर इंतजार करना पड़ेगा।
सर्दियों के दिन थे।बाहर शीत लहर चल रही थी। सुमित को चाय की तलब होने लगी वह चलता गया, थोड़ी दूर जाने पर उसे एक छोटी सी दुकान दिखाई दी जहां बेंच पर बैठे कुछ लोग चाय पी रहे थे। सुमित ने भी चाय का आर्डर दिया और इधर उधर देखने लगा। अचानक उसने एक मासूम बालक को चुपचाप बैठे देख कर चायवाले से कहा -इतनी रात यह क्यों बैठा है?
चायवाले ने बताया कि इसका नाम सोनू है,यह अपने पिता के साथ झोंपड़ी मे रहता था।इसकी मां तो इसे जन्म देते ही मर गई थी।ईश्वर ने भी इसके साथ बेइंसाफी की,दो दिन पहले रेल-लाइन पार करते समय पिता भी कटकर मर गया।अभ वह नितांत अकेला है।
यह सुनकर सुमित ने कहा -ओह!
सुमित ने चायवाले से सोनू को चाय और बिस्कुट देने को कहा और चाय पीने लगा।
जैसे ही सुमित अपना बैग पकड़कर जाने लगा,उस मासूम ने उसका हाथ पकड़ लिया।
सुमित को उस पर दया आ गई और उसने पूछा -क्यातुम मेरे साथ चलोगे?सोनू ने तुतलाते हुए उत्तर दिया -हां तलूंगा।
सुमित उसका हाथ पकडकर अपने साथ ले आया।
बैग मे से अपने मित्र के बेटे के लिए लाया स्वेटर उसे पहना दिया और उसका सिर अपनी गोद में रखकर उसे कंबल ओढ़ा दिया।नन्हा सोनू निश्चिंत होकर सो रहा था क्योंकि उसे सुमित के मजबूत हाथों का सहारा जो मिल गया था।
सुश्री कान्ता नागी