” वो देख..सफ़ेद बालों वाली आँटी जा रहीं हैं।” कंधे पर बैग डाले सीढ़ियों से उतरते हुए अठ्ठावन वर्षीय अनिता सूद ने फिर से अपने लिये सफ़ेद बालों वाली आँटी संबोधन सुना तो उन्हें लगा जैसे किसी ने उनके कानों में पिघला शीशा उड़ेल दिया हो।उसी समय उन्होंने तय कर लिया कि अब तो वो अपने सफ़ेद बालों पर काला रंग चढ़ाकर ही रहेंगी।
तेज़-तेज़ कदमों से चलती हुई वो सुपर मार्केट गईं..सबसे पहले गार्नियर का कलर बास्केट में रखा और फिर लिस्ट के अनुसार सारा सामान खरीद कर घर आ गईं।फ़्रेश होकर वो अपने बालों को रंगने की तैयारी करने लगीं।एक बाउल में कलर का पेस्ट बनाकर ब्रश से उसे बालों में लगाने ही जा रहीं थीं कि तभी उनके मोबाईल का रिंग बज उठा।अपनी सहेली नीता का नाम देखकर उन्होंने ब्रश रख दिया और फ़ोन पर हैलो बोल दिया।उनका हैलो सुनकर उधर से नीता चहकते हुए बोलीं,” यार अनिता..तुझे थैंक्स!”
” मुझे थैंक्स..ऐसा क्या कर दिया मैंने..।” उन्होंने आश्चर्य-से पूछा।
” मैं हमेशा तेरे सफ़ेद बालों का मज़ाक बनाती थी ना।” ” तो?”
” पिछले दिनों व्यस्तता के कारण मैं अपने बालों को कलर नहीं कर पाई।अचानक पोते के स्कूल-फ़ंक्शन में जाना पड़ा।सबके काले बालों को देखकर मुझे बहुत शर्मिंदगी महसूस होने लगी थी कि तभी स्कूल का एक स्टाफ़ आया और मेरा हाथ पकड़कर सबसे आगे वाली लाइन में बिठाते हुए बोला,” हमने आगे की दो लाइन सीनियर सिटीजन के लिये रखी है।
” उसी समय एक आदमी ट्रे में जूस लेकर आ गया…फिर चाय के साथ स्नैक्स भी…। मुड़कर देखा तो मेरे से अधिक उम्र वाली महिलाएँ पीछे बैठी थीं क्योंकि उनके बाल काले थे।मैं तो खुश..यार..ये सारा कमाल सफ़ेद बालों का है।अब तो मैं भी तुम्हारी तरह ही अपने बाल सफ़ेद ही रखूँगी..इतना सम्मान मिले तो..हा- हा..।” नीता ने फ़ोन डिस्कनेक्ट कर दिया।
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अब उनकी आँखों के सामने पिछले दो वर्षों की घटनायें एक-एक करके आने लगी।लगभग दस वर्षों से वो अपने बालों पर काले रंग का आवरण चढ़ाती आ रहीं थीं।फिर एक दिन अचानक रंगना छोड़ दिया।शुरु-शुरु में थोड़ा अटपटा लगा लेकिन फिर उनकी आँखों ने उनके सफ़ेद बालों को स्वीकार कर लिया।
एक दिन वो बस से कहीं जा रहीं थी।भीड़ होने के कारण उन्हें खड़ा रहना पड़ा।तभी कंडक्टर ने अपनी सीट खाली करके उन्हें बैठा दिया।यह देखकर पहले से खड़ी महिलायें भड़क गईं।तब कंडक्टर ने उनकी तरफ़ इशारा करके हुए कहा था,” बुज़ुर्ग हैं ना…।” उस दिन उन्हें सफ़ेद बालों का सही अर्थ समझ आया था।पिछले दिनों वो किसी काम से बैंक गई थी तब स्टाफ ने उन्हें कुर्सी आगे करके बिठाते हुए कहा था,” मैडम..आप आराम से बैठिये..और मुझे बताइये..आपका सारा काम मैं कर दूँगा।” सच में, बैठे- बैठे ही दस मिनट के अंदर ही उनका काम हो गया था।जबकि उनसे अधिक उम्र की काले बालों वाली महिलायें ‘पहले मेरा’ की भीड़ में लगी हुई थीं।
एक दिन वो ऑटोरिक्शा में बैठकर अपने भतीजे से मिलने जा रही थी।प्रेसिडेंट काॅलोनी ‘ काफ़ी बड़ी थी।गेट पर पहुँच कर वो अपने भतीजे को फ़ोन लगाने वाली थी कि ड्राइवर सेक्युरिटी से बात करके ऑटोरिक्शा अंदर ले गया और उनके पते पर उन्हें छोड़ा।तब उन्होंने पूछा,” आप अंदर कैसे? बाहरी वाहन को तो अंदर आने की परमीशन नहीं है।” तब वो बोला,” मैडम जी, आपकी उम्र हो रही है.. इतनी दूर पैदल कैसे..।इसलिये सेक्युरिटी से बात करके आपके डेस्टिनेशन पर ड्रॉप कर दिया।
छह महीने पहले बेटे-बहू के साथ एक रेस्तरां में गई थी।वापस आकर उन्होंने अपनी बहू से कहा था,” समझ नहीं आया कि रेस्तराँ का स्टाफ़ हमें इतना भाव क्यों दे रहा था?तब बहू बोली थी,” क्योंकि सफ़ेद बालों वालों को सीनियर सिटीजन माना जाता है और आप…।” तब उन्हें समझ आया कि कभी-कभी अचानक लिया गया निर्णय कितना लाभदायक सिद्ध हो जाता है।ऐसा कई-कई बार हुआ, जब सफ़ेद बालों ने उनका काम मिनटों में करा दिया..उन्हें अप्रत्याशित आदर-सम्मान दिलाया…।आज तो उनकी सहेली ने भी उनकी प्रशंसा कर दी।तो फिर बच्चों द्वारा दिये गये संबोधन पर वो इतनी चिढ़ क्यों गई?
“नहीं-नहीं…अब जिसे जितनी बार भी मुझे जो भी कहना है..कहे लेकिन मैं अपने बालों को स्वाभाविक-सफ़ेद ही रहने दूँगी।” यह सोचते ही उनके भीतर गज़ब के आत्मविश्वास का संचार हुआ।उन्होंने रंगाई- अभियान के साज-सामान को एक किनारे कर दिया और अपने चाँदी-से चमकते बालों को शीशे में निहारने लगीं।
दो दिनों के बाद बाहर जाने के लिये जब वो अपना स्कूटी बाहर निकाल रहीं थीं, तब फिर से काॅलोनी के बच्चों ने उन्हें सफ़ेद बालों वाली आँटी कहा लेकिन आज उन्हें वो शब्द उनके कानों में मिश्री घोल रहे थे।
विभा गुप्ता
स्वरचित