Moral Stories in Hindi : –
अब तक आपने पढ़ा…
दीनदयाल जी उनके परिवार और उनके DB ग्रुप के बारे में जिसको अब गौरव देखता है….
अब आगे…..
दीनदयाल जी भाईयों के विवाद के कारण अपना गाँव छोड़ अपनी पत्नी शांति और बेटे सुरेश के साथ मुंबई आ गए | दीनदयाल जी को बिजनेस की अच्छी समझ थी… जल्दी ही उन्होंने अपना छोटा सा रियल एस्टेट का काम शुरू किया….. धीरे – धीरे उनकी काम के प्रति ईमानदारी लोगो को भा गयी…… उनका छोटा सा काम बड़ा होता चला गया……उन्होंने DB ग्रुप के नाम से अपनी कंपनी खोल ली…. सुरेश ने उनका पूरा साथ दिया … लेकिन सुरेश और उनकी पत्नी का अचानक चला जाना दीनदयाल जी को तोड़ गया…..उन्होंने हार तब भी नहीं मानी…. और अब गौरव के आ जाने से उनकी कंपनी पहले से भी ज़्यादा बड़ी हो गयी….
कंपनी बड़ी होने से और गौरव के अच्छे स्वभाव के कारण कुछ लोग थे जो इस बात से परेशान भी थे….. ज़ाहिर सी बात है जीतना बड़ा बिज़नेस उतने बड़े दुश्मन… दीनदयाल जी को हमेशा से गौरव की फ़िक्र रहती थी… | उन्होंने गौरव के मना करने पर भी बहुत टाइट सेक्योरिटि का इंतेज़ाम किया हुआ
था | उनके घर में काम करने वाले सब लोग वफादार थे |
10 बजे के क़रीब गौरव नीचे आया और dining table पर आ कर बैठ गया दीनदयाल जी ने जब गौरव को देखा तो उन्होंने पेपर को एक तरफ रखा और वो सोफे पर से उठ कर… Table की तरफ आ गए….
‘नींद आयी गौरव… “उन्होंने पूछा
हाँ थोड़ी देर… फिर एक फोन ने उठा दिया
तब तक शांति जी गुलाबो के साथ चाय नाश्ता ले कर आ गयीं..
उन्होंने दोनों को नाश्ता दिया
ये क्या है? आलू का पराठा नही बनाया आज ? अम्मा…..उसने आवाज़ दी
बनाया है ला रहें है बिटवा … कहते हुए अम्मा किचन से आ रही थी
“बिना आलू पराठा तुम्हारा नाश्ता पूरा नहीं होता है ना “?
गौरव मुस्कुराया और बोला… आदत है डार्लिंग नही जायेगी और पेट नही भरता मेरा ब्रेड बटर से |
डार्लिंग वाली बात पर दीनदयाल जी ने उसकी तरफ देखा तो गौरव खाते – खाते उन्हें ही देख रहा था |
नाश्ता करके गौरव जाने को हुआ तो दीनदयाल जी ने पूछा “आज तुम खुद drive करोगे” …..उनके इतना कहते ही दरवाज़े से Good morning sir… कहते हुए एक शख़्स अन्दर आया
डेविड…
यस सर..
अच्छा हुआ तुम आ गए ..
सर ने call किया था … उसने बोला
“मुझे पता है आप मुझे जाने नहीं देंगे इसलिए पहले ही call कर लिया था ” गौरव ने कहा
चलें सर… डेविड ने गौरव की तरफ देख कर बोला
हाँ चलो.. गौरव पीछे मुडा उसने शांति जी और दीनदयाल जी के पैर छुये और डेविड के साथ चला गया |
गौरव जैसे ही ऑफिस में आया उसके पीछे उसकी सेक्रेटरी रीना और श्रीवास्तव जी चले आ रहे थे…. रीना गौरव से कुछ कदम पीछे थी और उसको आज की मीटिंग्स के बारे में बता रही थी… गौरव ध्यान से उसकी बात सुन रहा था |
जैसे ही रीना की बात ख़तम हुयी.. श्रीवास्तव साहब ने दोनों हाथ जोड़े और घुटने के बल नीचे बैठ गए और बोले –
” मुझे माफ कर दीजिए सर.. अब ऐसा नही होगा
“अरे … ये क्या कर रहे हैं आप श्रीवास्तव जी… उठिए…. आप उम्र में मुझसे कितने बड़े हैं ये कहते हुए उसने उन्हें ऊपर उठा लिया “
“सर आगे से ऐसा कभी नही होगा प्लीज़ माफ कर दीजिए”
“श्रीवास्तव जी… हो जाती है गलती कोई बात नही… ऐसा करिये आप थोड़े दिन की छुट्टी ले लीजिये”
जी…. छुट्टी
“रीना ..इनकी जगह पर किसी और को appoint करो….. और श्रीवास्तव जी आप थोड़े दिन आराम करिए कह कर गौरव अपनी मीटिंग के लिए चल गया “|
रीना मुस्कुराई और सिर हिला कर जी सर बोली | वो श्रीवास्तव जी के साथ बाहर आ गयी…… सारा स्टाफ उन दोनों को देख रहा था…. रीना ने श्रीवास्तव जी को टेबल के पास जाकर कहा….आप अपना ज़रूरी जो भी सामान है वो यहाँ से ले लें | श्रीवास्तव जी ने अपना ज़रूरी सामान निकाला और चले गए |
एक employ जो कि नई थी और रीना के साथ अभी काम सीख ही रही थी उसने ये सब देखा तो बोली….. “क्या सच में सर ने उनको छुट्टी दी है जितनी वो चाहे उतनी ?
रीना मुस्कुराई और बोली……” जितनी वो चाहे उतनी नही…हमेशा के लिए “
उसने हैरानी से रीना की तरफ देखा .. रीना ने प्यार से उसके गाल पर हाथ रखा और कहा…… गौरव सर गलती को माफ नहीं करते श्रीवास्तव जी अब DB ग्रुप में कभी भी वापस नहीं आयेंगे ……..पिछले तीन साल से उन्होंने DB ग्रुप के लिए जो
वफादारी दिखाई उसके लिए सर ने उनसे ज़्यादा कुछ नही
कहा |
‘लेकिन फिर उनके परिवार का क्या होगा?”
जब तक श्रीवास्तव जी को दूसरी कोई जॉब नहीं मिल जाती तब तक उनके परिवार की जो भी ज़रूरत होगी सर पूरी करेंगे…. लेकिन ऐसा नही है की हमेशा के लिए. |
.सर किसी को दूसरा मौका नही देते.. उनका मानना है कि जो गलती आप जान कर करते है वो गलती नही होती…. और जब आपको ये पता होता है कि आप विश्वसघात कर रहे है तो उसकी तो कोई माफी हो ही नही सकती….. अगर कुछ अंजाने में हुआ है तो वो माफ़ करा जा सकता है…. लेकिन जान- बूझ किया हुआ काम गलती नहीं होती |
“और जो श्रीवास्तव जी को इस company के बारे में जानकारी है उसका क्या…. वो कहीं और जाकर इस कंपनी के सेक्रेस् बता देंगे तब “?
रीना मुस्कुराई और बोली….. सर उतनी ही जानकारी किसी को देते है जितनी देनी चाहिए……ऐसे ही इतनी बड़ी कंपनी नहीं चला रहे सर |
श्रीवास्तव जी को सबक मिल गया अब वो ये गलती दोबारा नहीं करेंगे
आप सर को बहुत अच्छे से समझती हैं.”.नई employ ने कहा
मेरा काम ही वही है…चलो अब जाओ तुम भी अपना काम करो कह कर रीना अपने कामों में लग गयी
दोपहर लंच के बाद गौरव अपने केबिन में कुछ files देख रहा था तभी किसी ने दरवाज़े पर knock किया…..
गौरव के come in बोलने से पहले ही दरवाज़ा खुला एक शक़्स गाते हुए उसके तरफ आ रहा था…
ये दोस्ती हम नही तोड़ेंगे
छोड़ेंगे दम मगर तेरा साथ ना छोड़ेंगे
और आने के साथ ही गौरव के सामने रखी हुई चेयर पर बैठ गया
“आ गए आप राहुल जी?
जी हाँ….. वैसे क्या लगता है … आए कि नहीं कह कर वो मुस्कुराने लगा
तभी रीना आयी और कॉफी रख कर जाने लगी तो वो फिर गाने लगा …
अकेले अकेले कहाँ जा रहे हो?
“हाँ रीना इनको भी साथ ले जाओ और थोड़ा काम दो करने के लिए.. “गौरव ने कहा
रीना ने कहा…. सर आप कैसी बातें कर रहे है ?
“अरे रीना जी ये बॉस हैं कह सकते है .”..
राहुल बॉस वाली बात गौरव ने उसे देखा और पेपरवेट उठा कर उसकी तरफ फेकने का इशारा किया “
“अरे… अरे लग जायेगी..भाई क्या कर रहे हो “
“तुम बैठोगे चुप -चाप कि नही “
“अच्छा लो बैठ गया “
“तो कैसा रहा गोवा में कुछ बात बनी ” गौरव ने पूछा
हाँ….लगभग हो ही गया काम
काम कितना किया ये मुझे पता है…… सुमित ने बताया मुझे और,..वो डिसूज़ा के साथ वाली बात भी
सुमित…..चगलखोर कहीं का राहुल ने धीरे से कहा
क्या कहा ?
कुछ नहीं … क्या कहा सुमित ने?
वो रहने दो अगर टेंडर हमें नही मिला तो इस बार तुम्हारी छुट्टी मैं प्लैन करूँगा
राहुल मुह बना कर उसकी तरफ देखने लगा |
मिल जायेगा….
वही तुम्हारे लिए अच्छा होगा गौरव ने कहा
गौरव और राहुल शर्मा 2 साल पहले एक मीटिंग के दौरान मिले वो कहते हैं ना कि किस्मत उनसे मिला देती है जिनको आपकी जिंदगी में आना होता है…. राहुल गौरव के काम करने के तरीके और उसके स्वभाव से बहुत प्रभावित हुआ उसने गौरव को पाटनरशिप का ऑफर दिया दीनदयाल जी से विचार विमर्श करने के बाद उन्होंने ये ऑफर स्वीकार कर लिया…… लेकिन राहुल ने कंपनी का नाम बदलने को नहीं कहा | वो बस उसके साथ काम करना चाहता था |
शाम का क्या प्लैन है? रस्तोगी जी की पार्टी में चलना है?
हाँ जाना तो पड़ेगा ही…
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आशा करती हूँ कहानी का ये भाग आपको पसंद आया होगा
जल्दी ही फिर मिलूँगी |
धन्यवाद
स्वरचित
कल्पनिक कहानी
अनु माथुर
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