सफ़र मुहब्बत का (भाग -16) : Moral Stories in Hindi

अब तक आपने पढ़ा ..

स्मिता को गौरव सारी सच्चाई बर्मन के बारे में बताता है… स्मिता अपने किए की गौरव से माफ़ी मांगती है…. लेकिन उसको पुलिस ले जाती है

अब आगे….

स्मिता को पुलिस ले कर चली जाती है गौरव अपने वकील को फोन करता है और उनको सारी बात बताता है ….वकील गौरव को स्मिता को कुछ नहीं होगा कह कर पूरी जानकारी के साथ गौरव से मिलने की बात करते है

उधर कमिशनर साहब स्मिता के घर जाते है और  कणिका  को सही सलामत भरद्वाज मेंशन ले आते है …. भरद्वाज मेंशन में रस्तोगी जी और उनकी पत्नी बेसब्री से कणिका का इंतज़ार कर रहे थे..

कमिशनर  कणिका को साथ ले कर आते है कणिका दौड़ कर अपनी माँ को गले से लगा लेती है… और रोने लगती है रस्तोगी जी प्यार से उसके सिर पर हाथ रखते है और कमिशनर साहब को धन्यवाद देते हैं |

तभी कमिशनर साहब का फोन बजता है…

फोन गौरव का था

हैलो गौरव

हैलो सर… कणिका वापस आ गयी वो ठीक है ?

हाँ गौरव वो आ गयी और ठीक है

कोई परेशानी तो नहीं हुयी सर

नहीं बस कणिका थोड़ा डरी हुयी है बाकी ठीक है … स्मिता ने  उसे बस बेहोशी की दवा दी थी

सर वो स्मिता को पुलिस ले गयी है…. आप कुछ मदद कर दे तो .. वैसे मैंने अपने वकील से बात की है..

कुछ नही होगा स्मिता  को  चिंता मत करो.. मै देखता हूँ

थैंक यू सर

अनुराधा कैसी है?

ठीक है सर अभी तो दवा की वजह से सो ही रही है

ठीक है…. डॉक्टर से बात करो घर लाने के लिए.. वहाँ रहना ठीक नही है

हाँ वो की है.. कल कह रहे है वो कि हम जा सकते है

ठीक है… लो दीनदयाल जी से बात करो

गौरव

जी बाबा

सब ठीक हो गया है बेटा कोई फिकर की बात नही है तुम ठीक हो और अनुराधा?

हाँ बाबा सब ठीक है… आप मेरी डार्लिंग का धयान रख रहे है ना ?

गौरव…. दीनदयाल जी ने कुछ नाराज़ होते हुए बोला

गौरव हँसा और बोला.. Love you बाबा

ह्म्म अब सही है… अभी रखता हूँ थोड़ी देर मे करता हूँ बात

ठीक है बाबा ख्याल रखिये आपना

गौरव फोन cut कर देता है

आज भरद्वाज मेंशन मेहमानों से भरा हुआ था… राहुल के पापा , मम्मी, रस्तोगी जी का  पुरा परिवार, सुरेंद्र जी ,कमिशनर साहब और उनकी टीम सब एक दूसरे से बात करने मे लगे हुए थे……

कणिका को  कमरे में आराम करने के लिए गुलाबो ले गयी थी…. शांति जी  खाने के प्रबंध में  लगी हुयी थी..

कमिशनर साहब और वकील की मदद से कुछ जुर्माना भर कर और थोड़ी formality के बाद स्मिता को पुलिस छोड़ देती है

दीनदयाल जी के बहुत कहने पर कमिशनर साहब के साथ स्मिता  उनके घर आ जाती है…..

भरद्वाज मेंशन पहुँच कर स्मिता बाहर ही रुक जाती है….

शांति जी और दीनदयाल जी ने दरवाज़े की तरफ देखा तो  स्मिता अपने दोनो हाथो को जोड़े हुए नज़रों को नीचे कर के खड़ी थी |

शांति जी और दीनदयाल जी दोनो उसको आगे बढ़ कर लेने के लिए दरवाज़े तक जाते है…

शांति जी स्मिता के दोनों हाथों को नीचे करती है और उसके झुके हुए चेहरे को ऊपर उठाती है… स्मिता की आँखों से आँसू बहने लगते है…..शांति जी उसे गले से गले से लगाते हुए कहती है..

चुप हो जाओ बेटा…. जो हो गया वो हो गया…. सब ठीक है किसी को कुछ नहीं हुआ हमारे लिए इतना काफ़ी है….

स्मिता रोते हुए उन्हें कस कर पकड़ लेती है और भरे हुए गले से कहती है… मुझे माफ कर दीजिए …..मैंने बिना सोचे ही ये सब

तभी दीनदयाल दयाल जी बीच में ही बोलते है… कुछ गलती हमारी भी थी बेटा… और स्मिता के सिर पर प्यार से हाथ फेरते है

शांति जी स्मिता को लेकर अंदर आती है… स्मिता रस्तोगी जी से और उनकी पत्नी से भी माफ़ी मांगती है वो लोग उसे Just कर देते है…..

स्मिता कणिका के बारे में पूछती है तो गुलाबो उसे ले कर कणिका जिस कमरे में थी उसे वहाँ ले कर  जाती है

कणिका … स्मिता ने कहा

कणिका ने घूम कर देखा और वापस से मुह दूसरी तरफ कर लिया

.

मुझे पता है तुम मुझसे नाराज़ हो… माफ कर दो मुझे.. मैंने तुम्हारे और बाक़ी सबके साथ बहुत गलत किया…. मुझे सारी सच्चाई अभी पता चली

कणिका अपनी जगह से उठी और स्मिता के पास आ गयी ….उसे देखते हुए बोली  है….. मैंने तुम्हें अपना दोस्त समझा सारी बातें तुम्हें बताई…. लेकिन तुमने मुझे अपना दोस्त नही समझा…अरे एक बार बताया होता… तो मैं मदद करती तुम्हारी गौरव से बात करती… लेकिन… तुम तो सबकी जान के पीछे पड़ गयी … बिना सच जाने आधे सच के साथ

माफ कर दो कणिका please

माफ कर दूँ ….गौरव को अनुराधा और मुझे कुछ हो जाता और तुम्हें बाद में सच पता चलता तब क्या होता….

कणिका ने अपने सिर को नीचे झुका लिया..

सिर नीचे झुकाने से माफ़ी नही मिलने वाली तुमको……क्या कर सकती हो तुम माफ़ी के लिए

कुछ भी जो तुम कहो स्मिता ने ऊपर देखते हुए कहा

तुम अकेली रहती हो ना

हाँ स्मिता ने कहा

तो तुम्हें वो घर जिसमें रहती हो छोड़ना पड़ेगा..

क्यों…

क्योंकि तुम मेरे साथ मेरे घर में रहोगी..

क्या???

कणिका ने मुस्कुराते हुए कहा हाँ यही सज़ा है तुम्हारी कि तुम मेरे साथ रहोगी… जिस से अगर तुम्हारा दिमाग फ़िर से ख़राब हो तो मैं उसे डंडे से मार कर शांत कर सकूँ… कहते हुए कणिका ने उसे गले से लगा लिया ….स्मिता भीगी आँखों से बिना कुछ कहे बस ऐसे ही उसके गले से लगी हुयी थी |

भरद्वाज मेंशन में खुशी का माहौल था…. सबने खाना खाया और video call par गौरव से बात की…

शाम हो चली थी…

राहुल अपना ऑफिस का काम खतम करके हॉस्पिटल पहुँच गया था… मीरा उसे बाहर ही मिल गयी थी दोनों बातें करते हुए अनुराधा के रूम की तरफ आ रहे थे…

अनुराधा नींद से उठी तो उसके सामने बैठा हुआ  गौरव tab में कुछ देख रहा था.. अनुराधा उठने की कोशिश कर रही थी उसके हाथ पर ज़ोर पड़ा तो अनुराधा के मुह से आह निकल गयी

गौरव ने उसकी तरफ देखा और जल्दी से उठ कर उसके पास गया अनुराधा गिरने को हुयी  तो वो उसे संभालते हुए थोड़ा नाराज़ होते हुए कहता  है…..

क्या हुआ क्या चाहिए आपको ??…. मै हूँ ना यहाँ..

वो मुझे बैठना है… अनुराधा हल्के से कहा

गौरव उसको थोड़ा आगे करता है और तकिया उसके पीछे लगा देता है …गौरव  अनुराधा के सामने  झुका हुआ था…. जिस से अनुराधा का चेहरा दिख नही रहा था

राहुल और मीरा उसी वक़्त रूम में आते है…. राहुल अपनी और मीरा की आँखों पर हाथ रखते हुए कहता है…. कुछ नहीं देखा हमने…. मीरा चलो वापस ये दोनों busy है हमने disturb कर दिया इनको थोड़ी देर में आयेंगे..

गौरव राहुल की आवाज़ सुनकर पीछे पलट कर देखता है और अनुराधा को तकिए के सहारे बैठाते हुए कहता है…..हाँ मैं तो busy हूँ और तुम तो एकदम खाली …. आ जाओ नाटक मत करो….. और मैं अनुराधा को बैठने में हेल्प कर रहा था….

हाँ वो तो हमने देखा ही….. और मुस्कुरा कर अनुराधा से पूछाता है  … कैसी है आप अनुराधा जी?

ठीक हूँ …

परेशान तो नहीं किया इसने आपको

अनुराधा ने गौरव की तरफ देखा और कहा – नहीं

गौरव उसी की तरफ देख रहा था… वो मुस्कुरा दिया…

ओहो… क्या बात है…कह कर गाने लगता है

आँखों ही आँखों में इशारा हो गया

बैठे बैठे जीना का सहारा हो गया…

गौरव उसे अपने पास रखा हुआ न्यूजपेपर फेक कर मरता है

अनुराधा और मीरा दोनों हँसने लगते है…

रात को हॉस्पिटल में सबने खाना खाया….राहुल और मीरा दोनो आज वहीं रुकने वाले थे….. लेकिन ये बात गौरव को पता नही थी…… उसने राहुल से कहा..

घर नहीं जाना तुम्हें ?

नहीं…. आज मैं  यहीं रुकने वाला हूँ  राहुल ने कहा

.

क्यों…. और मीरा तुम?

मैं भी यहीं रूकूँगी..

क्यों बाहर गार्ड्स है ना फिर?

क्योंकि अनुराधा जी के साथ हम तुमको अकेला नही छोड़ेंगे… क्या पता तुम्हारा दिमाग़ खराब हो और तुम उनको फिर परेशान करो … राहुल ने कहा

क्या बकवास है……मैं क्यों परेशान करूँगा मैं तो अनुराधा से प्यार….. गौरव कहते – कहते रुक गया

क्या कहा तुमने मीरा ने उछलते हुए कहा… तुम अनुराधा से..

गौरव ने सोफे पर रखे हुए तकिए से मीरा को मारा…

अनुराधा गौरव को हैरानी से देख रही थी…

आशा करती हूँ कहानी का ये भाग आपको पसंद आया होगा जल्दी  ही  फिर मिलूँगी

भाग – 17 का लिंक

सफ़र मुहब्बत का (भाग -17) : Moral Stories in Hindi

भाग – 15 का लिंक

सफ़र मुहब्बत का (भाग -15) : Moral Stories in Hindi

धन्यवाद

स्वरचित

कल्पनिक कहानी

अनु माथुर

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