सफ़र मुहब्बत का (भाग -14) : Moral Stories in Hindi

अब तक आपने पढ़ा…

डॉक्टर गौरव  को बताते हैं कि अनुराधा खतरे से बाहर है लेकिन अभी पूरी तरह ठीक नही है…. अनुराधा को एमर्गेंसी रूम से vip रूम में शिफ्ट कर देते है

अब आगे…..

गौरव अनुराधा का हाथ पकड़े हुए उस से माफ़ी मांगता है….उसके आँखों में आंसू थे…जो अनुराधा के हाथ पर गिर रहे थे

दरवाज़े पर कोई knock करता है गौरव अनुराधा का हाथ छोड़ कर अपने बहते आँसुओं को टिशु से पोंछाता है और come in कहता है

दरवाज़े पर एक नर्स खड़ी थी अपने हाथ में कुछ bandge ले कर

उसने गौरव सी कहा… सर ड्रेसिंग करनी है….

गौरव पीछे हट जाता है और बोलता है ध्यान से इनको तकलीफ ना हो

नर्स हाँ में सिर हिलाती है…. मीरा भी तभी अंदर आ जाती है….और गौरव से बात करने लगती है

उस नर्स का ध्यान bandage करने में कम मीरा और गौरव की बातों में ज़्यादा था… मीरा इस बात को नोटिस कर लेती है और गौरव से बात करते – करते उस नर्स की तरफ जाती है और बोलती है

क्या हुआ कुछ परेशानी है?

नहीं मैम कुछ नहीं

आपका ध्यान काम करने की जगह हमारी बातों में ज़्यादा दिख रहा है मुझे

नहीं मैम…

मीरा उसे देखते हुए सोफे पर जाकर बैठ जाती है

वो नर्स bandage करके जाने के लिए दरवाज़े तक जाती है…. फिर मुड़ कर हाथ में पेपर ले कर गौरव कि तरफ जाते हुए कहती है

सर ये के पेपर्स है….. और गौरव के पास पहुँच कर पेपर फेक कर एक बड़ा सा चाकू अपने पॉकेट में से निकलती है और गौरव के एक पैर पर अपने पैर सी मारती है…. गौरव नीचे झुकता है वो नर्स उसके पीछे जा कर उसके गले में हाथ डालती है और गौरव के गर्दन को अपने हाथ से कस कर चाकू उसके गर्दन पर रख देती है…. मीरा ये देख कर अपनी जगह से उठ कर खड़ी हो जाती है

खबरदार मीरा एक कदम भी बढाया तो ये चाकू गौरव की गर्दन के पार कर दूँगी मैं…

कमरे से आती हुयी आवाज़ों को सुनकर बाहर के दो गार्ड्स भी अंदर गए … उन्होंने जब उस नर्स को गौरव पर चाकू से हमला करते हुए देखा तो वो वहीं रुक गया..

उस नर्स ने गार्ड्स को देखते हुए कहा….. वहीं रुक जाओ वरना मैं मार दूँगी गौरव को

छोड़ दो गौरव को वरना मैं तुम्हें किसी लायक नहीं छोड़ूंगी… मीरा ने कहा

उसकी इस बात पर वो नर्स गौरव की  गर्दन पर चाकू और अंदर की तरफ करती है गौरव की हल्की सी चीख निकल जाती है

कौन हो तुम….क्यों ऐसा कर रही हो… क्या बिगड़ा है गौरव ने तुम्हारा…? मीरा ने चिल्लाते हुए कहा ?

वो नर्स हँसते हुए कहती है …. ये बिलकुल सही सवाल पूछा…… वो अनुराधा के पास गौरव के को साथ लेकर गयी और बोली…..रुको जवाब देती हूँ पहले गौरव साहब आप वहाँ सोफे पर बैठ जाएं….. और तुम सब कोई होशियारी नही… वरना गौरव के साथ – साथ अनुराधा से भी हाथ धो बैठोगे……. वो drip देख रहे हो जो अनुराधा को लगी हुयी है…. बस 10 mnt में वो ख़तम होने वाली हैं….. और खतम होने के साथ ही ये अनुराधा का ब्लड bottle में जाने लगेगा… इसलिए सब अच्छे बच्चे बन जाओ वो दरवाज़ा बंद करो और बैठ जाओ और कोई होशियारी करना मत …मोबाइल स्विच ऑफ करो और उसे table पर रखो

मीरा ने गार्ड्स को इशारा से दरवाज़ा बंद करने को बोला  .. चारों लोग मोबाइल निकाल कर  सोफे पर बैठ गए….

नर्स ने कुर्सी सरकाई और अनुराधा के पास जा कर बैठ गयी…. कोई होशियारी मत करना वरना मैं इसको जिंदा नहीं छोडूँगी उसने कहा

गौरव ने चिल्लाते हुए कहा मार डालूँगा मैं तुम्हें अगर अनुराधा को कुछ हुआ

वो नर्स हँसी और बोली….. हाय क्या बात है गौरव जी इतना गुस्सा वो भी  लड़की के लिए … क्यों मीरा जी देखा कभी गौरव भरद्वाज को किसी लड़की की परवाह करते हुए………. आपके दोस्त को  मुहब्बत हो गयी लगता है…… तो गौरव जी ये तो बढ़िया हो गया …..गौरव बाबू इस बार चिल्लाये ना तो कुछ बहुत बुरा कर दूँगी मैं ….

वो थोड़ा रुकी और बोली

“ये इश्क़ नहीं आंसा बस इतना समझ लीजे

एक आग का दरिया है और डूब के जाना है “

वाह वाह वाह ग़ालिब साहब क्या लिखा है आपने

बकवास बंद करो तुम अपनी और.. मीरा ने इतना था कि उस नर्स ने तीखी नज़रों से उसकी तरफ देखा और अपने हाथ में पकड़ा हुआ चाकू अनुराधा के चेहरे पर रख दिया एक क़ातिलाना मुस्कान लिए वो अनुराधा से बोली….. देखो मेरी कोई गलती नही है तुम्हारे चाहने वाले मुझे गुस्सा दिला रहे हैं….

अच्छा ok… Sorry मैं कुछ नहीं कहूँगी तुम अनुराधा को कुछ मत करो please मीरा ने कहा

हम्म ठीक है…. तुमने माफ़ी मांगी और हमने दी…. चलो फिर आगे बढ़ते है

मैं कौन हूँ ….. ये जानने की बेसब्री तो होगी सबको

मैं स्मिता सिन्हा हूँ….. राकेश सिन्हा की बेटी… कुछ याद आया गौरव भरद्वाज?

गौरव उसे हैरानी से देख रहा था.. वो मन में ही बोला….. राकेश सिन्हा

सिन्हा uncle उनकी बेटी हो तुम…

हाँ…. वही राकेश सिन्हा जिन्होंने तीन साल पहले खुदखुशी कर ली थी…. या ये कहूँ की तुम्हारी वजह से खुदखुशी कर ली…. और एक हँसता – खेलता परिवार बिखर गया…. मैं अनाथ हो गयी

लेकिन….

चुप अब मैं बोलूँगी…. बाक़ी कोई नहीं

अपने पापा का accident तो याद होगा ना तुम्हें…?

पापा को उसके बारे में तब पता चला जब उनके पर्टनर बर्मन ने उन्हें धोख़ा दिया……उन्होंने की पैसों को लेकर हेरा फेरी धोख़ा दिया तुम्हें  और सारा इल्ज़ाम पापा पर लगा दिया … और तुमने पापा को गलत समझ कर उनको सलाखों के पीछे धकेल दिया….. वो तो भला हो पापा के दोस्त वकील uncle का जिन्होंने उन्हें बाहर निकाल लिया…. जब वो मिलने गए बर्मन से तब उन्होंने चुपके से ये बात उनकी सुन ली…. वो तुम्हें सब बताने के लिए तुम्हारे घर गए लेकिन तुमने उन्हें बताने का तो क्या अंदर आने तक नही दिया…..वो ये बात किसी को बताना नही चाहते थे तुम्हारे अलावा…… लोगो ने उनका जीना मुश्क़िल कर दिया…. तरह तरह से परेशान किया… मम्मी मेरी ये सह नही पायी एक दिन जो सोयी तो फिर उठी ही नही……पापा अपनी बेइज़्ज़ती बर्दाश्त नहीं कर पाए उन्होंने एक लेटर में सब लिखा मुझे पोस्ट किया….और उन्होंने खुदखुशी कर ली…मैं तब अपनी नर्सिंग की ट्रेनिंग के आखरी साल में थी….

जब तक मुझे लेटर मिला सब ख़तम हो गया…..पापा के अंतिम संस्कार के बाद वो बर्मन मुझसे मिलने आया झूठा दिखावा करने मैं तब कुछ कर नही सकती थी इसलिए चुप रही..

मैंने अपनी ट्रेनिंग पूरी की और इस हॉस्पिटल में मुझे जॉब मिल गयी

मैंने प्लैन बनाना शुरू किया कुछ ज़्यादा नहीं बस तुम पर नज़र रखने के लिए एक आदमी को तुम्हारे घर के पास रखा…. पूरे एक साल तुम्हारी हर छोटी से बात पर नज़र रखी .

घर और ऑफिस के अंदर तो जा नही सकते थे क्योंकि मीरा की सेक्योरिटी काफी tight थी…… फिर राहुल, डेविड और किशन इनके होते मैं तुम को ऐसे तो कुछ कर नही सकती थी…

स्मिता आगे बोली…. मेरी किस्मत ने मेरा साथ दिया एक दिन रस्तोगी जी की तबियत अचानक रात के समय यहाँ से गुजरते हुए गाड़ी में खराब हो गयी….. उनकी बेटी भी उनके साथ थी उनको heart attack आया उस समय मैं घर जा ही रही थी डॉक्टर के आने तक उनको उनको मैंने ही firstaid दिया और फिर दो दिन यहाँ रह कर वो  अपने घर वापस गए  थे …..कणिका ने मेरा number ले लिया था वो दिन में एक बार रस्तोगी जी का हाल मुझे बता देती थी और बार -बार थैंक्स बोलती रहती… हमारी अच्छी बनने लग थी वो कभी- कभी मिलने भी आ जाती थी ….

फिर रस्तोगी जी बर्थडे पार्टी में उसने तुम्हें अपना अच्छा दोस्त कह कर मिलवाया….. शायद तुमने ध्यान नही दिया तब…तुम उसे बीच डांस में छोड़ कर बाहर आ गए मैं भी तुम्हारे

पीछे -पीछे बाहर आ गयी…मैं तो तुम्हें उसी दिन मार देती जब तुम रोड पर अकेले चल रहे थे लेकिन राहुल अचानक आ गया….और तुम बच गए

फिर आयीं ये अनुराधा जिनको तुम्हारे बाबा ने तुम्हारी सेक्योरिटी के लिए रखा अब मुझे लगा कि पूरी plaining करनी पड़ेगी…अनुराधा की information मैंने थोड़ा पैसा दे कर निकलवा ली थी…. इस से मुझे कोई डर नही था जब तक मैंने जिम में इसे तुमसे लड़ते नही देखा था तारीफ तो मैंने सुनी थी लेकिन देखा तब यकीन हो गया..

मैंने कणिका के पूछने पर अपनी दुख भरी कहानी उसे सुनायी बिना किसी का नाम लिए और ये भी कहा कि मैं अकेली रहती हूँ और वो लोग मुझ पर कभी भी हमला कर सकते है

वो बहुत भोली सी है उसे मेरी बात पर यकीं हो गया सारी plaining करने के बाद  मैंने उसे उस दिन फोन करके अपने घर बुलाया और चाय में बेहोशी की दवा मिला कर उसे वहीं बांध दिया… फिर 30 तारीख को रस्तोगी जी को फोन किया और तुम कहाँ हो ये पता करने के लिए पूछा क्योंकि तुम वापस नही आए थे…रस्तोगी जी ने बहुत मना किया लेकिन अपनी बेटी के लिए उन्हें मेरे कहे मुताबिक करना पड़ा..

उसके बाद तो तुम्हें पता ही हैं… ये सारा इलाका मेरे आदमियों से घिरा था तुम कहीं भी होते तो पकड़े ही जाते…. वो हँसी और बोली.. लेकिन तुम्हें अनुराधा ने फिर बचा लिया…… बहुत किस्मत वाले हो गौरव..

लेकिन अब नहीं अब मैं तुम्हें मार दूँगी कहते हुए वो  जिस स्टैंड पर drip वाली bottle लगी थी उसे अपने साथ ले कर उठी और अनुराधा के बेड के दूसरी तरफ आ गयी जिधर अनुराधा के पैर थे… वो गौरव की तरफ बढ़ रही थी

अनुराधा ने धीरे से अपनी आँखे खोली उसके ठीक सामने मीरा थी…मीरा ने उसकी तरफ देखा तो अनुराधा ने अपने हाथ से एक दो तीन उँगली का इशारा किया…. और एक glass जो उसी बेड से लगी हुयी  की table के पास रखा था उसने पूरी ताकत से स्मिता की तरफ फेका….

आह स्मिता की आवाज़ निकली उसने पीछे देखा और अनुराधा के हाथ पर स्टैंड से वार किया अनुराधा की चीख निकल गयी

इतना वक़्त मीरा के लिए और गार्ड्स के लिए काफी था वो लोग बिजली की फुर्ती से उठे और स्मिता को पकड़ लिया

गौरव भाग कर अनुराधा के पास आया और उसे अपनी बाहों में कस लिया

आशा करती हूँ कहानी का ये भाग आपको पसंद आया होगा जल्दी ही फिर मिलूँगी

भाग – 15 का लिंक

सफ़र मुहब्बत का (भाग -15) : Moral Stories in Hindi

भाग – 13 का लिंक

सफ़र मुहब्बत का (भाग -13) : Moral Stories in Hindi

धन्यवाद

स्वरचित

कल्पनिक कहानी

अनु माथुर

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