सफ़र मुहब्बत का (भाग -11) : Moral Stories in Hindi

अब तक आपने पढ़ा….

गौरव और अनुराधा भागते हुए और उनके पीछे आ रहे लोगो से बचते हुए झाड़ियों में छुप जाते है….. उधर राहुल डेविड और मीरा के साथ उसी location पर पहुँच जाता है लेकिन  उसे गौरव की गाड़ी कहीं दिखायी नहीं देती

अब आगे….

अनुराधा और गौरव को Bikes की आवाज़ और तेज़ होती सुनायी देती है मतलब वो लोग उनके काफ़ी नजदीक थे ..

और उसी रास्ते की तरफ बढ़ते जा रहे थे…. थोड़ी देर बाद वो लोग आगे निकल गए…. अनुराधा और गौरव ने चैन की सांस ली…

अनुराधा उठने लगी तो गौरव ने कहा… क्या कर रहीं हैं आप? अगर उन लोगो ने देख लिया तो?

सर वो लोग आगे चले गए है… और हम यहाँ बैठे तो रह नही सकते…. यहाँ से निकलना तो पड़ेगा ही

गौरव ने अनुराधा की तरफ देखा और उठ गया….

आसमान में पूर्णिमा का  चाँद निकल आया था उस से रोशनी हो गयी थी थोड़ा बहुत दिखने लगा था… अनुराधा और गौरव झाड़ियों से बाहर निकल आए…

अनुराधा ने चारो तरफ देखा … उसे एक डंडा दिखायी दिया उसने वो डंडा उठाया और गौरव को चलने को कहा वहीं कुछ दूर पर पड़ा हुआ एक डंडा गौरव ने भी हाथ में उठा लिया अनुराधा बहुत सावधानी से उसी रास्ते पर पीछे की तरफ जाने लगी जहाँ से वो लोग आए थे  |

थोड़ा चलने पर वो लोग उसी जगह पहुँच गए जहाँ से उन्होंने पगडंडी वाला रास्ता पकड़ा था अनुराधा भागते हुए गयी और उसे गाड़ी मिल गयी उसने गाड़ी का दरवाज़ा खोला और मोबाइल देखने लगी गौरव भी अपना फोन देखने लगा…..

तभी उनके पास से आवाज़ आयी….. इसको ढूढ़ रहे हो ?

अनुराधा और गौरव ने देखा तो वो साथ आठ लोग थे…. जो उनको घेर कर खड़े हुए थे …..

अनुराधा और गौरव एक दूसरे को देखने लगे …..

लो ले लो और जिसे चाहे उसे फोन लगा लो.. उनमें से एक ने कहा

कौन हो तुम लोग और किसने भेजा है तुम्हें ? गौरव ने पूछा

हम कोई भी हो बस तुझे मारने आए है और हमें जिसने भी भेजा है उसके बारे में हम तुझे बतायेंगे नही |

लो मैडम कर लो फोन एक आखरी इच्छा तुम्हारी हम पूरी कर देते है कहते हुए उसने फोन अनुराधा की तरफ उछाल दिया

अनुराधा ने फोन को पकड़ लिया और उनसे पूछा…. लेकिन हमने तो bike की आवाज़ सुनी थी आगे जाते हुए फिर तुम लोग यहाँ?

उनमें से एक बोला….. मैडम जी ये अदालत ना है और ना ही मैं कोई मुजरिम और ना हि तुम वकील जो तुम्हारी बात का जवाब दूँ….. मरने वाले की एक आखरी इच्छा पूछी जाती है और वो हमने कर दिया …..अब तुम फोन करो जल्दी और दोनों मरने के लिए तैयार हो जाओ…. बाकी सब उसकी बात पर हँसने लगे….

अनुराधा ने राहुल को call  किया….. राहुल ने जैसे ही देखा कि अनुराधा का call है तुरंत उठा लिया और बोला

अनुराधा जी कहाँ है आप…. आपका फोन लग नही रहा था

सर मैं location भेज रही हूँ आप आ जाए जल्दी….. उसने तुरंत location भेजी

गौरव और आप ठीक तो है ना ? राहुल ने पूछा

हाँ वो ठीक है और हमें कुछ लोगो ने घेर रखा है लेकिन आप परेशान ना हो मैं सर को कुछ होने नही दूंगी ….. कहते हुए अनुराधा उस आदमी के थोड़ा पास चली गयी  थी

राहुल ने location मिलते ही डेविड को भेजी और डेविड ने गाड़ी उस location पर दौड़ा दी

बस मैडम अब क्या पूरी कहानी सुनाओगी… चलो अब आ जाओ और ….

वो इतना ही बोल पाया था….. कि अनुराधा ने अपने हाथ में पकड़ा हुआ उसके सिर पर ज़ोर से दे कर मारा…. उसके दूसरी तरफ वाले आदमी ने जब देखा तो अनुराधा को मारने के लिए अनुराधा की तरफ आने लगा….. अनुराधा ने वही डंडा उठा कर उसके सिर पर मारा…. गौरव ने भी वही किया एक के सिर पर मारा फिर दूसरे के…. चार लोग इस तरह पीटे जा चुके थे….. बाक़ी बचे हुए लोग उनकी तरफ आ रहे थे… अनुराधा और गौरव ने एक दूसरे की तरफ देखा…. अनुराधा ने कहा – सर गाड़ी में चाबी लगी है इनको मैं देखती हूँ आप वहाँ पहुँच कर गाड़ी आगे नही पीछे की तरफ ले कर जाइये….

और आप…. ?

सर समय नही है मैं जैसा कहती हूँ कीजिए ….

तब तक वो चारों लोग अनुराधा और गौरव के एक हाथ दूर  तक आ गए थे … गौरव ने झुक कर डंडा अपने सामने वाले के मारा और भाग कर गाड़ी की तरफ जाने लगा… अनुराधा को जैसे ही वो आदमी मारने को हुआ वो झुकी और उसने उसके पैर में डंडे से मारा ऐसे ही दूसरे और तीसरे के भी मारा… चौथा आदमी पहले की नीचे अपना सिर पकड़े बैठा हुआ था… उसने फिर से उसके डंडा मारा और गाड़ी की तरफ भागी ….

गौरव ने  driving seat पर आकर गाड़ी स्टार्ट कि और उसे पीछे करने लगा इस बार गाड़ी पीछे हो गयी…,. अनुराधा गाड़ी की तरफ आ रह थी तभी उनमें से एक आदमी ने एक पत्थर फेक कर अनुराधा के मारा वो पत्थर अनुराधा के सिर में लगा और उसकी चीख निकाल गयी…. वो तब तक गाड़ी के पास पहुँच गयी थी…. गौरव ने तीनों डोर के लॉक खोल दिए थे…. अनुराधा ने पीछे वाले दरवाजे की तरफ हाथ बढ़ाया उसे खोला और बैठ गयी…. गौरव ने गाड़ी को पीछे किया झड़ियों को चीरते हुए उसने गाड़ी घुमयी और दौड़ा दी…… अनुराधा ने उसे mirror में से thumb दिखाया वो ज़ोर – ज़ोर से सांसे ले रही थी…..

आप ठीक है   ?  गौरव ने पूछा…

जी सर ठीक हूँ….

वो लोग थोड़ी दूर ही पहुँचे थे कि सामने से light आती हुयी   दिखायी दी…. गौरव ने गाड़ी की स्पीड कम की और सामने देखा झाड़ियों की वजह से के दीख नही रहा था…..

सर शायद राहुल सर हो… अनुराधा ने लाडखड़ती आवाज़ में कहा

गौरव ने गाड़ी आगे नही बढ़ायी ….वो दूसरी गाड़ी गौरव की गाड़ी से थोड़ी दूरी पर रुक गयी…. उसका दरवाज़ा खुला और उसमें से राहुल बाहर निकला फिर मीरा और डेविड भी …. उनको देख कर गौरव की सांस में सांस आयी

तीनों गाड़ी के पास गए गौरव और अनुराधा को देख कर तीनों ने राहत की सांस ली …..अनुराधा पीछे वाली सीट पर टिक कर बैठी थी पत्थर लगने से उसे अब  दर्द महसूस हो रहा था… गौरव दरवाज़ा खोल कर बाहर आया तो राहुल ने उसे कस के गले से लगा लिया…

तुम ठीक हो… ? कुछ हुआ तो नहीं

नहीं गौरव ने कहा

मीरा ने भी उसे साइड से पकड़ा डेविड ने भी  उसका हाल पूछा

मीरा ने पूछा ….अनुराधा कहाँ है?

गौरव ने पीछे देखा बाक़ी सबने भी पीछे गाड़ी में देखा …. मीरा को अनुराधा फीकी की हँसी के साथ हाथ हिलाती हुयी दिखायी दी …गौरव ने देखा तो दौड़ कर गाड़ी का दरवाज़ा खोला…..अनुराधा उसे देख कर गिरने को हुयी तो उसने आगे बढ़ कर उसे थाम लिया…..  अनुराधा  गौरव की बाहों में बेहोश हो गयी…,..  गौरव ने उसे संभाला तो उसे अपने कुर्ते पर कुछ गीलापन सा महसूस हुआ उसके कुर्ते पर खून लग गया…. उसने हाथ लगा लगा कर देखा तो सीट पर भी खून लगा हुआ था….. अनुराधा उसने ज़ोर से पुकार…. तब तक राहुल, मीरा और डेविड भी आ गए थे… राहुल चलो जल्दी……वो पूरी ताकत से चिल्लाया

राहुल तुरंत आगे आ कर driving seat पर  बैठा….. जल्दी गाड़ी स्टार्ट करो……राहुल उसने परेशान होते हुए कहा…..मीरा ने गौरव को आगे बैठने के लिए बोला लेकिन उसने मना कर दिया……

मीरा आगे वाली सीट पर बैठ गयी… राहुल ने डेविड को गाड़ी लाने के लिए बोला और अपनी गाड़ी को आगे बढ़ा दिया…

गौरव ने अनुराधा को अपने दोनों हाथों से पकड़ रखा था ..,. अनुराधा के सिर से निकाल रहा खून उसके कुर्ते को भिगो रहा था |

आशा करती हूँ ये भाग आपको पसंद आया होगा…..जल्दी ही फिर मिलूँगी ….

भाग – 12  का लिंक

सफ़र मुहब्बत का (भाग -12) : Moral Stories in Hindi

भाग – 10 का लिंक

सफ़र मुहब्बत का (भाग -10) : Moral Stories in Hindi

धन्यवाद

स्वरचित

कल्पनिक कहानी

अनु माथुर

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