सच्चा प्यार, सवार्थ से परे – राशि रस्तोगी 

प्यार शब्द का अर्थ बहुत ही गहरा है,प्यार में क्या मेरा क्या तेरा, ये तो बस स्वार्थ से परे होकर दूसरे व्यक्ति के लिए कुछ कर जाने का जज़्बा है|

आइये पढ़ते हैं ये कहानी..

स्नेहा की शादी वरुण से हुई.. स्नेहा दो बहने हैं.. एक छोटी बहन है ज्योति। वरुण दो भाई हैं.. उसके बड़े भैया राजन अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ उसके माता पिता के साथ उनके पुश्तैनी शहर में ही रहते हैं|

वरुण, स्नेहा के साथ बैंगलोर में रहता है|

स्नेहा और वरुण दोनों कामकाजी है, एक दूसरे के साथ रहते हुए खुश हैं.. लेकिन शादी कों अभी 1 साल ही हुआ है इसलिए एक दूसरे से और अच्छी तरह से जुड़ने की कोशिश चल रही है|

आज स्नेहा ने ऑफिस से आकर वरुण से कहा, “वरुण, ज्योति की शादी तय हो गयी है.. लड़का अच्छा है लेकिन उन लोगों की कुछ डिमांड है.. पापा के पास अभी थोड़ी कैश की दिक्कत है, समझ नही आ रहा क्या किया जाए? मैं लड़का होती तो जरूर उनकी मदद कर देती, पर अब कैसे करुँ मदद उनकी!”

“तुम क्या चाहती हो, ये बताओं!” वरुण बोला|

“आप मुझे 2 लाख रूपये दे दे, उधार के तौर पर, मै उन्हें दे दूँगी, और आपको अपनी सैलरी में से थोड़ा थोड़ा करके वापस कर दूँगी..” स्नेहा बोली|

“ठीक है, हो जायेगा..” वरुण ने बिना कुछ कहे सुने उसे तुरंत ही कह दिया|




स्नेहा बड़ी खुश हुई, उसकी बहन की धूमधाम से शादी संपन्न हुई| स्नेहा अपनी सैलरी से थोड़े थोड़े पैसे चुकाने वाली बात भूल चुकी थी और ना ही कभी वरुण ने उससे कहा क्यूंकि वरुण कों लगता था, कि जब आप किसी से प्यार करते हो तो क्या मेरा क्या तेरा? सब हमारा ही है|

कुछ समय बाद एक दिन वरुण की भाभी का फ़ोन आया उन्होंने उससे कहा, “भैया, मम्मी पापाजी की 40वीं शादी की सालगिरह आने वाली है, पापाजी की तबियत तो सही नहीं रहती, मेरा मन है क्यूँ ना हम इसे अच्छे से मनाये.. हम लोग यहाँ फंक्शन की तैयारी कर लेंगे, आप लोग बस दोनों के लिए डायमंड रिंग ले लेना और नये कपड़े.. बाकी तो आप लोगों के टिकट में ही काफी पैसे लगेंगे इधर आने में..क्या कहते हो आप?”

वरुण बोला, “आपने बहुत अच्छा सोचा भाभी, मै ले लूंगा रिंग दोनों के लिए.. आप करो तैयारी फंक्शन की..”

वरुण थोड़ा चिंता में था क्यूंकि अभी उसने अपनी मैक्सिमम सेविंग्स शेयर बाजार में लगाई थी और उन्हें इतनी जल्दी निकालना संभव नहीं था|

वरुण कों चिंता में देख स्नेहा ने पूछा, “क्या हुआ?”

वरुण ने उसको पूरी बात बता दी.. स्नेहा बोली, “आप भाभी को सच बता दो कि नहीं हो पायेगा इंतजाम , क्यूँ इतनी टेंशन ले रहे हो?”




अब वरुण को गुस्सा आ गया.. उसने कहा, “स्नेहा, जब ज्योति की शादी के टाइम, तुम भी मना कर सकती थी ना, लेकिन मैंने तुम्हारी मदद की, और अब तुम मदद की जगह मुझे विकल्प दे रही हो, खैर छोड़ो.. मैं देख लूंगा..”

वरुण ने अपने किसी दोस्त से उधार मांग अपनी जिम्मेदारी निभाई, फंक्शन बहुत अच्छे से हुआ और वहाँ  भी वरुण ने स्नेहा से कोई खास बात नहीं की और वापस आकर भी उनके रिश्तों में मिठास कहीं खो चुकी थी|

करीब छह महीने बाद वरुण को पता चला कि उसके पिताजी इस दुनिया में नहीं रहे.. घर में दुखद माहौल था.. वापस आने से एक दिन पहले वरुण की माँ ने उन दोनों कों बुलाया और कहा, “बहू, ये दोनों डायमंड रिंग तुम रख लो, तुम्हारे बाबूजी ने जाने से पहले कहा ये उनके आने वाले पोते या पोती के लिए गिफ्ट उनकी तरफ से.. अब मैं भी बूढ़ी हो रही हूँ.. कल का क्या पता, इसलिए अभी तुमको ये गिफ्ट दे रही हूँ..”

स्नेहा चुप हो गयी, क्यूंकि इसी महंगे गिफ्ट को देने कों लेकर उसकी और वरुण की बहस हुई थी और स्नेहा ने उसकी मदद करने के लिए कुछ कहा नहीं, जिस वजह से वरुण बुरा मान गया था| स्नेहा कों अब आत्मग्लानि हो रही थी, उसने अपने ससुर जी का आशीर्वाद समझ रिंग तो लेली, लेकिन अब उसको अपनी भूल का अहसास हो चुका था|

बैंगलोर वापस आते ही स्नेहा ने वरुण से कहा, “वरुण मुझे माफ़ कर दीजिये.. मैं स्वार्थी हो गयी थी.. मुझे लगा कि आपके घर का फंक्शन है तो आप ही जानो, मैं क्यूँ ये खर्चे का भार उठाऊं!और आपने मेरे परिवार की मदद की बिना कुछ कहे और ना कभी मुझे इस बात का कोई अहसान जताया..अभी तो जो आपने खर्च किया, वो वापस हमें मिल ही गया.. सच्चा प्यार, सवार्थ से परे होता है|”

वरुण का गुस्सा ये सब सुनकर अब शांत हो गया था..खुश होकर उसने स्नेहा कों गले लगा लिया|

दोस्तों, सच्चे प्यार में आदमी स्वार्थ से ऊपर उठकर सोचता है, उसे अपने जीवनसाथी का दुख, चिंता अपना ही लगने लगता है.. आप सभी कों क्या लगता है कमेंट में अवश्य बताये|

@स्वरचित

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धन्यवाद

राशि रस्तोगी 

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