सच्चाई की जीत – कमलेश राणा

बब्बू, आज फिर तूने मेरे बकस को हाथ लगाया,, कितनी बार कहा है जो चाहिये मांग लिया कर पर ये उठा पटक मत किया कर,, 

पर मैंने तो छुआ ही नहीं,, 

तो क्या भूत कर गये,, सारा सामान बिखरा पड़ा है,, 

वो तो चाचा और ताऊ आये थे,, कुछ ढूंढ़ रहे थे,, एक छोटी सी पोटली ले गये हैं,, 

हे भगवान, सत्यानाश हो इनका,, कीड़े पड़ें,, मुझ विधवा को चैन से नहीं रहने दे रहे,, पहले ही क्या किस्मत ने कम क्रूर मजाक किया है मेरे साथ जो अब ये रात दिन इस कोशिश में लगे हैं कि कैसे भी यह परेशान हो कर यहाँ से चली जाये,, 

बेबस हो कर जोर जोर से रोने लगती है,, आवाज़ सुनकर पड़ोसी आ जाते हैं और पंचायत में शिकायत करने का सुझाव देते हैं,, 

विमला ईंट भट्टे पर मजदूरी करके अपना और अपने बच्चे का खर्च चलाती है,, दो वर्ष पहले जहरीली शराब पीने के कारण उसके पति की मृत्यु हो गयी थी,, तबसे उसके देवर जेठ चाहते हैं कि वह घर छोड़कर कहीं चली जाये ताकि वह उसकी दो बीघा जमीन और मकान पर कब्जा कर सकें,,

विमला सरपंच के पास फरियाद ले कर जाती है,, उसके देवर रमेश और जगन्नाथ भी वहाँ हाजिर होते हैं और अपने ऊपर लगे आरोप को बेबुनियाद बताते हैं,, 



उल्टा विमला पर ही आरोप लगाते हैं कि यह गहने उन्हीं के है और विमला के पति ने हड़प लिये थे,, वे तो अपना सामान ही ले गये हैं,, अब उन गहनों के तीन दावेदार थे,, 

सरपंच ने कहा,, सबसे पहले वो गहने पंचों के पास जमा किये जाएं,, 

वो गहने मंदिर के चबूतरे पर रखते हुए सरपंच ने कहा,, अब पंचायत आठ दिन बाद फैसला सुनायेगी,,

 तीनों भगवान के सामने मत्था टेककर जब जाने लगे तो विमला ने कहा ईश्वर सबको देखता है,, मेरे बेबस दिल की हाय लगेगी तुम्हें,, 

हम तीनों में से जो गुनहगार होगा उसे अवश्य ही कोई न कोई प्राकृतिक दंड मिलेगा जो उसे दोषी साबित करेगा और जो बेगुनाह होगा ,, वो सही सलामत रहेगा,, बस ईश्वर के इंसाफ का इंतज़ार कीजिये,, 

सब अपने अपने घर चले गये,, 

दो दिन बाद रमेश बाइक से सब्जी लेकर आ रहा था एक गाय को बचाते हुए बैलेंस गड़बड़ा जाने के कारण बाइक फिसल गई और उसके पैर में फ्रैक्चर हो गया,, 

वहीं दूसरी तरफ जगन्नाथ की पत्नी को हार्ट अटैक आया और तुरंत उसे हॉस्पिटल में भर्ती करना पड़ा,, दुनियाँ भर का पैसा लग गया,, परेशानी अलग,, 

फैसले के दिन दोनों में से कोई नहीं पहुंचा,, वो समझ चुके थे कि इंसाफ हो चुका है,, सरपंच जी ने विमला के गहने उसे सौंप दिये,, 

सच्चाई की हमेशा जीत होती है भले ही देर लग जाये,, 

कमलेश राणा

ग्वालियर

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