सच्चे रिश्तों की पहचान – सीमा शर्मा : Moral Stories in Hindi

दीपक जी खाना खाकर कुछ देर आराम करने के लिए अपने कमरे में गए ही थे कि अचानक फोन की घंटी बज उठी। उन्होंने फोन उठाया तो दूसरी तरफ से उनके समधी शशिकांत जी की आवाज़ आई। उन्होंने कहा, “कल आपसे एक ज़रूरी मुलाकात करनी है।”

यह सुनकर दीपक जी चिंतित हो गए, क्योंकि दो दिन पहले ही वे अपने समधी के घर जाकर शादी की सारी बातें तय करके आए थे। अब अचानक इस फोन कॉल का क्या मतलब हो सकता है? उन्हें यह सोचकर चिंता होने लगी कि कहीं समधी जी कोई और नई मांग तो नहीं रखने वाले। उन्होंने खुद को शांत किया और बात आगे बढ़ाई।

फिर उन्होंने अपनी पत्नी शारदा को बुलाया और पूरी बात बताई। दोनों परेशान हो गए क्योंकि दीपक जी ने पहले ही अपनी सारी जमा-पूंजी बेटी की शादी के खर्च में लगाने की योजना बना ली थी। अगर समधी जी ने कोई और मांग रख दी, तो वे उसे कैसे पूरा करेंगे?

दीपक जी एक साधारण नौकरी करते थे, जिससे घर का गुजारा ठीक-ठाक चलता था। उनकी इकलौती बेटी थी विनिता  इसलिए वे उसकी शादी को लेकर बहुत संवेदनशील थे।

कुछ महीने पहले, जब वे अपने मित्र के यहां एक शादी में गए थे, तब उनकी मुलाकात शशिकांत जी से हुई। शशिकांत जी शहर के एक प्रतिष्ठित डॉक्टर थे और अपने बेटे राहुल की शादी के लिए उपयुक्त रिश्ता खोज रहे थे। दीपक जी के मित्र ने जब उनका परिचय कराया और विनिता के बारे में बताया, तो शशिकांत जी का परिवार विनिता को देखने के लिए आया।

पहली ही नज़र में, विनिता की सादगी और संस्कारों ने उन्हें प्रभावित किया। राहुल को भी विनिता पसंद आ गई, और जल्द ही उनकी सगाई तय हो गई। दो सप्ताह पहले ही दीपक जी और शशिकांत जी के बीच शादी की तैयारियों को लेकर विस्तृत चर्चा हो चुकी थी।

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अगले दिन, दीपक जी अपनी पत्नी शारदा के साथ शशिकांत जी के घर पहुंचे। शशिकांत जी और उनकी पत्नी ने उनका आत्मीय स्वागत किया। लेकिन दीपक जी के चेहरे पर चिंता के भाव स्पष्ट दिखाई दे रहे थे।

शशिकांत जी ने मुस्कुराते हुए कहा, “दीपक जी, हम आपसे यह कहने के लिए बुलाए हैं कि हम अपने बेटे की शादी सादगी से करना चाहते हैं। हमें किसी भी तरह का दहेज नहीं चाहिए। बल्कि, शादी का जो भी खर्च होगा, उसका आधा हिस्सा हम स्वयं उठाना चाहेंगे।”

यह सुनकर दीपक जी आश्चर्यचकित रह गए। उन्होंने घबराते हुए पूछा, “क्या कहीं कोई कमी रह गई है?”

शशिकांत जी उनकी चिंता समझ गए और बोले, “रिश्ते लेन-देन से नहीं, बल्कि प्रेम और विश्वास से निभाए जाते हैं। हमारे परिवार में प्यार, सम्मान और आपसी विश्वास को अधिक महत्व दिया जाता है, न कि दहेज को। हम चाहते हैं कि विनिता को किसी भी प्रकार की परेशानी न हो और वह हमारे घर में बेटी की तरह रहे। अब वह हमारी बहू नहीं, बल्कि हमारी बेटी है।”

शशिकांत जी की समझदारी और उच्च विचारों को सुनकर दीपक जी बेहद भावुक हो गए। उनकी आंखों में आंसू आ गए और उन्होंने बस इतना ही कहा, “काश! हर लड़की को आपके परिवार जैसा ससुराल मिले।”

स्वरचित 

सीमा शर्मा 

अहमदाबाद

#हमारे खानदान में लेनदेन से ज़्यादा आपसी स्नेह और अपनेपन को महत्व दिया जाता है

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