. मैं प्रिया को देखकर सोच रहा था कि क्या सांवला रंग इतना आकर्षक हो सकता है?…… वह मुझे कुछ समझा रही थी ,कितने पतले हो गए हो एक्साइज बगैरह किया करोअरे बस करो,” मैंने उसकी बात काटी, अच्छा एक बात सुनो तुम्हारे नीला रंग बहुत खिलता है, “अरे तुम्हें भी पसंद आया,” मम्मी भी कह रही थी , तुम पर बहुत जाता है इसमें तुम्हारा रंग निखरता है, “हटो अच्छा बहुत हो गया”….. चलो कल मिलते हैं, दीदी क्या जाना है….. उनकी तबीयत ठीक नहीं है, उस दिन के बाद हम जब भी मिलते हुए हमेशा आसमानी रंग के कपड़े पहने होती मेरी और प्रिया की शादी में कुछ दिन शेष थे और हम दोनों अपनी नई दुनिया के सपने संजोते…. दीदी की बीमारी के कारण शादी की तैयारियों रुक गई थी, बस फोन पर मेरी और प्रिया की बातें होती, एक शाम मैंने जब उससे मिलने बुलाया तो ,” उसने मना कर दिया कि, “मम्मी पापा जीजाजी दीदी को लेकर हॉस्पिटल गए हैं अंशु मेरे पास है…. दीदी बहुत तकलीफ में है पर अफसोस कि उनका दर्द कोई नहीं बांट सकता , इतना कहते ही प्रिया फफक फफक कर रोने लगी, कुछ दिन बाद पता चला कि दीदी नहीं रही 3 महीने की अंशी को प्रिया ही संभालती थी हमारा मिलना बिल्कुल न हो पाता , इस बीच उसके परिवार का मेरे प्रति व्यवहार भी बदल गया था। कई दिनों बाद जब मैं प्रिया से मिलने उसके घर गया तो मैं उसे देख कर चौक गया “क्या हुआ तुम्हें ? रात को सोई नहीं हो क्या? आंखें क्यों सूजी हैं तुम्हारी?…..वह मेरे पास बैठ कर सर नीचे कर फिर रोने लगी, “राज मैं क्या करूं पापा मम्मी बहुत परेशान है अंशु बहुत छोटी है सब चाहते हैं कि मैं….. जीजाजी से शादी कर लू ,और फिर रो पड़ी, सब की खुशी के लिए मैं इतना तो कर ही सकती हूं ,”हो सके तो मुझे माफ करना, और प्रिया उठकर अंदर चली गई। मैं सोचता ही रह गया …..कैसी खुशी है, जो इतना दर्द अपने अंदर समेटे हैं। एक दिन फेसबुक पर कितने सालों बाद देखा अनगिनत तस्वीरें पति के साथ, बच्चों के साथ, कितनी खुश दिख रही थी ,पर उसकी आंखों में छुपा दर्द केवल मैं ही पढ सकता था और मैं फोटो देख बुदबुदा उठा, ” लोग दूसरों की खुशी के लिए अपना दर्द कैसे छुपा लेते हैं।
#दर्द
श्रद्धा खरे