Moral stories in hindi :“अजी सच में गौरव भैया का प्रमोशन हो गया… कल तक तुम्हारे बराबर थे आज देखो तुम्हारे बॉस बन कर आए हैं…पहले भी ऐसा लगता था मानो कितने बड़े ओहदे पर हो हमेशा गर्दन ऐंठी रखते थे ….अब तो वो क्या उसकी बीबी तनु भी गर्दन ऐंठ कर रहेगी।” निशिता ने पति रितेश से कहा
“ हाँ अब उपर मैनेजमेंट को उसका काम ज़्यादा बेहतर लगा तो कर दिया उसका प्रमोशन… मैं उन्हें उस लायक़ नहीं लगा होऊँगा तभी मेरा प्रमोशन नहीं हुआ… और तुम इन बातों को ज़्यादा तूल मत दो… जो है उसे स्वीकार करो और मेरा सिर मत खाओ।” रितेश ने कहा
कुछ दिन बाद ऑफिस के सभी लोगों को एक पार्टी में बुलाया गया निशिता जाने से मना कर रही थी उसे पता था वहाँ गौरव और तनु भी आने वाले पर रितेश के बहुत कहने पर उसे जाना पड़ा…
पार्टी में पहुँच कर पता चल रहा था हर तरफ़ गौरव की चर्चा चल रही है… सभी स्टाफ़ कानाफूसी कर रहे थे… गौरव एक सख़्त और अनुशासनप्रिय बॉस के रूप मे ही हमेशा रहा था इसलिए सब उससे थोड़ा डरते भी थे और अपने पद की अकड़ उसमें पहले से ही थी ।
गौरव और तनु को देख निशिता कन्नी काटने लगी तभी दोनों सामने आकर नमस्ते किए..
निशिता के लिए ये आश्चर्यजनक बात थी तभी गौरव ने पूछा,” कैसी है भाभी… रितेश सर से कितनी बार कहा आप लोग घर पर आइए पर रितेश सर हमेशा टालते रहते…मैं तो हमेशा वो दो साल याद करता हूँ जब हम एक ही जगह पर पोस्टेड थे और आप हमेशा हमें घर पर बुला कर अच्छे व्यंजन खिलाती थी तनु भी तो बहुत कुछ आपसे ही सीखी है ।”
निशिता गौरव और तनु के इस अप्रत्याशित व्यवहार से आश्चर्यचकित थी … ये बदलाव कैसे आ गया…उस वक्त तो बात भी कम ही करते थे… चुप रहते थे हरदम… लगता था जैसे हमसे कितने उपर हो पर आज उपर हो कर भी इतना अपनापन।
“ क्या हुआ भाभी… आप किन ख़्यालों में खो गई… गौरव के बारे में सोच रही है?” तनु ने झकझोरते हुए कहा
“ हाँ “ निशिता ने कहा
“ भाभी तब हम नए नए थे सबने कहा ऑफिस वालों से उतना ही मेल मिलाप रखो जितनी ज़रूरत…बस हम सब से कट कर रहने लगे लोग सोचते हम अकड़ में रहते हैं पर ऐसा कुछ भी नहीं है… हाँ अब ऑफिस में तो थोड़ा सख़्त रहना पड़ता है ताकि आपके नीचे अधीनस्थ कर्मचारी आपको हल्के में ना लें।” गौरव ने निशिता की सोच पर सफ़ाई देते हुए कहा
“ भाभी यहाँ पर हम सभी एक ही कम्पनी में काम करते हैं… है तो एक परिवार ही….अब कोई उपर नीचे हो गया तो इसका मतलब ये तो नहीं गर्दन अकड़ कर रहें…आज हमारा नम्बर है कल आपका होगा.. ऐसे में ये ग़लतफ़हमी क्यों?” तनु ने कहा
निशिता का भ्रम आज टूट गया था वो जो सोच रही थी ऐसा कुछ भी नहीं था…
रात को जब रितेश और निशिता घर आए तो निशिता ने कहा,” हम कितना ग़लत समझ रहे थे…गौरव भैया और तनु मैं कोई अकड़ नहीं है।”
रितेश ने भी सहमति में सिर हिलाते हुए कहा,” सही बात है आज वो उपर है कल हम हो सकते …इसमें गर्दन ऐंठ कर रखने वाली तो कोई बात ही नहीं है ।”
रश्मि प्रकाश
मौलिक रचना
#मुहावरा गर्दन ऐंठी रहना