कंगना की शादी को दो महीने हुए हैं। आते ही उसने अपने अच्छे व्यवहार से सबका दिल जीत लिया। धीरे-धीरे करके उसने घर की सारी जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली।
कंगना के पति मयंक का स्वभाव भी बहुत अच्छा है। वे सबका बहुत ध्यान रखते हैं। कंगना की भी काम में मदद करते हैं, लेकिन उनकी एक आदत कंगना को बहुत नापसंद है। वह आदत है- जो चीज खाना नहीं चाहते, उसे बिना चखे ही मना कर देते हैं।
खाने को लेकर अपनी जिद में वे बच्चों को भी पीछे छोड़ देते हैं। बच्चे तो फिर भी अपनी जिद छोड़ दें, पर उनसे उनकी जिद छुड़वाना मुमकिन नहीं है। इस मामले में वे किसी की भी नहीं सुनते। सासू मां भी उन्हें कुछ खाने के लिए मजबूर नहीं कर सकती।
एक दिन की बात है। सासू मां का मशरूम-मटर खाने का मन था। उन्होंने कंगना को सूखे मशरूम-मटर और दाल बनाने को कहा। कंगना को भी मशरूम-मटर बहुत पसंद थे, पर उसे यह नहीं पता था कि उसके पति मयंक को मशरूम-मटर बिलकुल भी पसंद नहीं हैं। सासू माँ यह बात कंगना को बताना भूल गई।
खाने का समय हुआ। कंगना ने खाना परोसा। मशरूम देखते ही मयंक का मूड खराब हो गया। कहा तो कुछ नहीं। मशरूम की सब्जी प्लेट से निकाल दी। कंगना ने कहा, “थोड़ा-सा तो खाकर देखिए। ना पसंद आए तो मत खाना”।
मांजी और ससुर जी ने भी कहा, लेकिन मयंक ने मशरूम की सब्जी नहीं खाई। उस समय तो कंगना चुप रही लेकिन उसने निश्चय किया, रात को इस संबंध में मयंक से अवश्य बात करेगी।
रात हुई। डिनर के बाद कंगना ने अवसर देखकर पति से कहा, “अगर आप हमारे कहने से थोड़ी-सी सब्जी खा लेते तो क्या हो जाता। दूसरे की खुशी के लिए भी कभी कोई काम कर लेना चाहिए।
भले ही वह आपको पसंद हो या ना हो। दूसरे का मन रखने के लिए थोड़ा-सा तो खा ही सकते हैं”।
मयंक चुप रहे। कंगना आगे बोली, “आपको पता ही है, मुझे गोभी की सब्जी बिलकुल पसंद नहीं है। फिर भी आपकी इच्छा के लिए मैंने खाई है। साथ ही बिना खाए आप कैसे कह सकते हैं, सब्जी अच्छी है या बुरी”।
मयंक बोले, “जो चीज खाने के लिए मेरा मन नहीं मानता वह मैं नहीं खा सकता”।
“यह तो सही नहीं है”।
“गलत है या सही मैं नहीं जानता। अब तुम इसे मेरी आदत कहो या कमी”।
कंगना चुप हो गई लेकिन उसने भी ठान लिया, पति की बिना चखे खाने को मना करने की आदत बदलकर रहेगी।
कुछ दिनों बाद की बात है। पतिदेव ने पिक्चर देखने के साथ बाहर खाना खाने का भी कार्यक्रम बनाया। इस बारे में उन्होंने घर पर भी बता दिया था।
पिक्चर खत्म हुई। खाने के समय मयंक ने खाने में मेरी पसंद पूछी तो मैंने तपाक से मशरूम-मटर कहा। पतिदेव को यद्यपि मशरूम पसंद नहीं थे, फिर भी उन्होंने कुछ नहीं कहा। उन्होंने मशरूम-मटर के साथ मखनी दाल और जीरेवाले आलू का ऑर्डर किया।
खाना आया। मैंने पति से कहा, मुझे आपसे कुछ कहना है। पहले वादा करो मना नहीं करोगे। मयंक ने सोचा, शायद शॉपिंग पर ले जाने को या मायके जाने की बात कंगना कहेगी। लड़कियों को यही सबसे अधिक पसंद होता है। इस कारण वादा कर दिया।
कंगना ने मंद-मंद मुसकराते हुए कहा, ‘आज से आप किसी भी चीज़ को बिना खाए मना नहीं करेंगे”।
मयंक वादा कर चुके थे। इनकार भी नहीं कर सकते थे। आखिर पत्नी ने पहली बार कुछ मांगा था। वह भी कुछ खास नहीं, जो वह पूरा न कर सकें। आखिर पत्नी की खुशी का ध्यान रखना भी उसका कर्तव्य था।
तत्पश्चात उन्होंने खाना खाना आरंभ किया। वादे के मुताबिक उन्होंने कंगना की खुशी की खातिर थोड़ा-सा मशरूम-मटर खाया। सब्जी मयंक को बहुत ही अच्छी लगी। बोले, “सब्जी तो बहुत ही स्वादिष्ट है। मैं ऐसे ही इसे बिना चखे मना करता रहा। मम्मी भी मुझे हमेशा एक बार खाने के लिए कहती रहीं। तुमने सही कहा था, बिना चखे हम किसी चीज का स्वाद नहीं जान सकते”।
आज मयंक कोई भी चीज बिना खाए मना नहीं करता। साथ ही दूसरों द्वारा किसी चीज को खाने का अनुरोध करने को चुपचाप मान जाता है| मयंक के स्वभाव में आए इस परिवर्तन को देखकर सब हैरान हैं। इसका श्रेय सभी कंगना को ही देते हैं।
अब मयंक को मशरूम के साथ पोहा, पनीर की भुर्जी और मैकरोनी विशेष रूप से पसंद है, जिसे उसने शादी से पहले कभी खाया ही नहीं था। इसे खाने का अब वे अवसर खोजते रहते हैं।
अर्चना कोहली ‘अर्चि’
नोएडा (उत्तर प्रदेश)
स्वरचित