“मम्मा जल्दी से मैंगो शेक बना दो, उफ्फ कितनी गर्मी है आज बाहर”…
ट्यूशन से आते ही पंद्रह वर्षीय माही ने अपनी मम्मी आरती को आवाज लगाई…. आरती ने जल्दी से एसी ऑन किया और पनीर सैंडविच के साथ मेंगो शेक विद आइसक्रीम टेबल पर रख दिया.. माही टीवी देखते हुए मजे से खाने लगी.. तभी छोटी बेटी और आरती के पति भी घर आ गए और तीनों बाप – बेटी आराम से खा पी कर अपने अपने कमरों में चले गए.. आरती भी जल्दी जल्दी रात के खाने में बच्चों और पति का पसंदीदा “छोले भटूरे” बनाने की तैयारी करने लगी….
आरती बहुत ही सुघड़ और हंसमुख स्वभाव की महिला है उसकी दुनिया सिर्फ उसके बच्चो और पति तक ही सीमित है, उनकी जरूरतों का ख्याल रखना ही जैसे उसका एकमात्र उद्देश्य है.. बाहर भी कम ही आती जाती थी.. उसकी कुछ पुरानी कॉलेज की सहेलियां हमेशा उसे कहती रहती की आरती अब बच्चे भी बड़े हो गए है और सब शाम तक ही वापस आते है तो तू क्यों नही हमारे साथ किट्टी ज्वाइन कर लेती.. कुछ समय अपने लिए भी तो निकाल यार…
लेकिन आरती मना कर देती,.. उसे यही लगता की अगर वो बाहर जायेगी तो बच्चो को , पति को परेशानी ना उठानी पड़ जाए और यही सब सोचकर वो बस अपनी दुनिया में मस्त रहती….आज सुबह से ही आरती को कुछ अच्छा नही लग रहा था उसे हल्के चक्कर भी आ रहे थे …
किसी तरह रात का सारा काम कर वो सोने चली गई पर अचानक देर रात को सोते सोते ही उसे खांसी का ऐसा दौरा पड़ा की सांस तक लेने में मुश्किल हो रही थी…. लगातार खांसते हुए उसने उठ कर देखा पास सो रहे पति देव ने खांसी की आवाज से चिढ़कर कानों पर तकिया रखा और करवट बदल कर सो गए…कमरे में ही दूसरे बेड पर सो रही दोनों बेटियां भी चिढ़कर बोली क्या है मम्मी खो खो करके नींद खराब कर रही हो…आरती की आंखों से आंसू निकल पड़े और दिल आहत हो गया जिस परिवार पर उसे बहुत “अभिमान” था,
जिनकी सेवा के लिए उसने अपनी जिंदगी होम कर दी की उन्हें कोई कष्ट ना होने पाए, उन्ही तीनों में से किसी एक ने भी, प्यार के दो शब्द तो बहुत दूर, पास रखी पानी की बॉटल भी नही पकड़ाई… ये बिना खंजर का घाव एक पत्नी, एक मां के दिल को असहनीय दर्द दे रहा था…
तभी फोन पर माही का मैसेज आया
“Happy Mother’s Day Mom”… आरती ने मैसेज देखा और एक गहरी सांस ली… उसे पता था अब शाम को दोनो बेटियां केक, फूलों के साथ उसे विश करेंगी, सेल्फी लेंगी ओर सोशल मीडिया पर पोस्ट करके मातृ दिवस मनाएंगी…पर कल रात उसी मां को पानी भी ना पूछने वाली ये संतान क्या कभी समझ पाएगी की मातृ दिवस के नाम पर इतने चोंचले करने से अच्छा है अपनी मां की थोड़ी परवाह (कम से कम बीमारी में) ही कर लो तो एक मां के लिए वही सबसे प्यारा उपहार होगा।।।।
स्वरचित, मौलिक रचना
#अभिमान
कविता भड़ाना